मल्हार मीडिया भोपाल।
स्मार्ट विधानसभा, विजन डॉक्यूमेंट के बाद अब जिला समीक्षा बैठक से भी विपक्ष से ताल्लुक रखने वाले विधायकों को दूर रखा जाने लगा है। राजधानी भोपाल के प्रभारी मंत्री चैतन्य कश्यप द्वारा ली गई जिले की पहली समीक्षा बैठक में शहर के दोनों कांग्रेस विधायकों को शामिल नहीं किया गया।
शुक्रवार को हुई इस बैठक को लेकर कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने सवाल उठाया है कि जब बैठक भाजपाई नेताओं की थी, तो इसके लिए भाजपा कार्यालय की बजाए जिला कलेक्टर ऑफिस पर क्यों आयोजित किया गया?
राजधानी भोपाल की मध्य विधानसभा के कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद ने इस मामले को लेकर प्रभारी मंत्री चैतन्य कश्यप को चिट्ठी भेजी है। इस स्थिति पर उन्होंने जिला कलेक्टर से भी सवाल किया है। मसूद ने अपने पत्र में लिखा है कि 20 सितम्बर को भोपाल जिले की प्रथम समीक्षा बैठक भोपाल कलेक्टर कार्यालय में आहुत की गई।
जिसमें सांसद आलोक शर्मा, महापौर मालती राय समेत भारतीय जनता पार्टी के विधायकों, संगठन के भोपाल जिले एवं ग्रामीण अध्यक्ष को बुलाया गया था। जबकि इस दौरान राजधानी में मौजूद दोनों कांग्रेस विधायकों को सूचित नहीं किया गया। न ही उन्हें बैठक में शामिल किया गया। मसूद ने लिखा है कि इससे यह स्पष्ट है कि मीटिंग भोपाल जिले की ना होकर भाजपा जिले की मीटिंग थी। लेकिन स्थान बीजेपी कार्यालय ना होकर कलेक्टर कार्यालय कर दिया गया।
मसूद ने प्रभारी मंत्री से कहा है कि कलेक्टर भोपाल से इस संबंध मे जानकारी ली जाना आवश्यक होगी कि विपक्ष के विधायकों को जिला समीक्षा बैठक में क्यों नहीं बुलाया गया। उन्होंने कहा कि या फिर शासन द्वारा विपक्ष के विधायकों को समीक्षा बैठक में नहीं बुलाए जाने के संबंध में कोई दिशा निर्देश जारी किए गए हों, तो विपक्ष को भी अवगत कराया जाए।
प्रदेश की विधानसभाओं को आदर्श और सुविधायुक्त बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने योजना बनाई है। जानकारी के मुताबिक इस योजना पर करीब 100 करोड़ रुपए खर्च होना है। शासन ने इसके लिए सभी विधायकों से उनके क्षेत्र के विकास कार्यों की प्राथमिकताओं पर आधारित विजन तलब किया है। लेकिन बताया जाता है कि इस योजना में भी सिर्फ भाजपा विधायकों को ही शामिल किया गया है। जबकि कांग्रेस विधायकों को इससे दूर रखा गया है।
प्रदेश की राजधानी भोपाल में इस समय दो कांग्रेस विधायक आरिफ मसूद और आतिफ अकील मौजूद हैं। राजधानी के उत्तर और मध्य विधानसभा शहर के पुराने इलाके में स्थित हैं। नए शहर की विधानसभाएं गोविंदपुरा, दक्षिण पश्चिम, हुजूर वैसे ही सुविधा संपन्न हैं लेकिन उत्तर और मध्य विधानसभा में विकास के नाम पर मूलभूत सुविधाएं तक मौजूद नहीं हैं। लगातार भाजपा सरकार के दौर में इन दोनों विधानसभा को विकास की कवायदों से दूर रखा गया है। जिसके चलते यहां पिछड़ापन और अभाव का डेरा बना हुआ है।
आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर के प्रसादम लड्डू के निर्माण में पशु बर्ची के इस्तेमाल पर राज्य की राजनीति गरमा गई है। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू ने एक दिन पहले ऐसा दावा किया था। अगले दिन यानी गुरुवार को आई रिपोर्ट में इसकी पुष्टि हो गई थी। नायडू ने पूर्ववर्ती जगन मोहन सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। अब इस मुद्दे पर आंध्र के पूर्व मुख्यमंत्री और वाईएसआर कांग्रेस के प्रमुख जगन मोहन रेड्डी ने चुप्पी तोड़ी है। जगन मोहन ने कहा है कि मैं भारत के मुख्य न्यायाधीश को एक पत्र लिख रहा हूं, जिसमें उन्हें बताऊंगा कि चंद्रबाबू नायडू ने किस तरह तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर पेश किया है और ऐसा करने के लिए उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों की जानी चाहिए।
वाईएसआर कांग्रेस हाईकोर्ट की शरण में
इस मुद्दे पर जहां जगन मोहन रेड्डी ने पलटवार किया है तो वहीं दूसरी तरफ उनकी पार्टी ने वाईएसआर कांग्रेस ने टीडीपी सरकार के लड्डुओं में 'पशु चर्बी' के इस्तेमाल के दावे की अदालत की निगरानी में जांच की मांग को लेकर हाईकोर्ट का रुख किया है। अमरवती में एनडीए की बैठक में आंध्र के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने दावा किया था कि पिछली वाईएसआरसीपी सरकार ने श्री वेंकटेश्वर मंदिर को भी नहीं बख्शा और उन्होंने तिरुमला लड्डू के निर्माण में भी घटिया सामग्री और पशु चर्बी का इस्तेमाल किया। नायडू के आरोपों की पुष्टि लैब रिपोर्ट में हुई है। गुजरात के आणंद में स्थित लैब में सैंपल की जांच करवाई गई थी। तिरुपति ‘लड्डू प्रसादम’ तिरुपति के प्रतिष्ठित श्री वेंकटेश्वर मंदिर में चढ़ाया जाता है, जिसका संचालन तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (टीटीडी) द्वारा किया जाता है। अब इस पूरे विवाद पर जगन मोहन रेड्डी ने कोर्ट में खींचने की बात कही है।
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