खबरों में पीड़िताओं का आंकड़ा बड़ा है मीडिया कर्मी महिलाओं के मुकाबले

मीडिया, वामा            Nov 23, 2015


मल्हार मीडिया अपनी #100Women विशेष सिरीज़ में बीबीसी हिंदी ने प्रसिद्ध लेखिका तसलीमा नसरीन को अतिथि संपादक बनाया है। तसलीमा नसरीन आज बीबीसी का संपादकीय एजेंडा तय करेंगी। ज्ञातव्य है कि बीबीसी हिंदी ने पिछले हफ्ते #100Women सिरीज़ शुरू की है। जिसमें 100 दमदार औरतों की सच्ची कहानियों को दिखाया जा रहा है। ये वो औरतें हैं जिन्होंने नियम बदले, नए रास्ते बनाए और मिसाल क़ायम की। तसलीमा नसरीन को अतिथि संपादक के रूप में बुलाने की वजह मीडिया में दुनिया की आधी आबादी यानी महिलाओं की भूमिका पर चर्चा करना है। आज देश और दुनिया में कितने अख़बारों, रेडियो या समाचार चैनलों की संपादक महिलाएं हैं? ग्लोबल मीडिया मॉनीटरिंग के आंकड़ों के अनुसार दुनियाभर के मीडिया की सिर्फ़ 24 प्रतिशत ख़बरें, जो देखी, सुनी या पढ़ी जाती हैं, में ही महिलाओं की भूमिका होती हैं। फिर चाहे ख़बर में उनका हवाला हो या वो विशेषज्ञ के रूप में हों या फिर बतौर रिपोर्टर। हैरानी की बात ये है कि पिछले पाँच वर्षों में इन आंकड़ों में कोई बदलाव नहीं आया है। हाँ ख़बरों में बतौर पीड़ित उनकी संख्या पुरुषों के मुक़ाबले दोगुनी है। एक और आंकड़ा चौंकाने वाला है कि दस में से सिर्फ़ एक ही ख़बर के केंद्र में महिला होती है। और इस स्थिति में पिछले 15 साल में कोई बदलाव नहीं आया है। दुनियाभर की 500 से अधिक कंपनियों पर किए गए सर्वे के अनुसार, पूर्णकालिक पत्रकारों में महिलाओं की संख्या सिर्फ़ एक-तिहाई है। यही नहीं शीर्ष प्रबंधन पर बैठे लोगों में तीन-चौथाई पुरुष हैं। bbc


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