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हिंदी को इंटरनेट पर मुख्यधारा में लाने का काम करेगा मूषक

मीडिया            Dec 03, 2015


मल्हार मीडिया ब्यूरो इससे बड़ी विडंबना और क्या हो सकती है कि हिंदुस्तान में लोग खाते हैं हिंदी की और बात करते हैं अंग्रेजी में। एक बड़ा समूह है हिंदी का, एक बड़ा बाजार है हिंदी का। बावजूद इसके हिंदी बोलने वालों को दोयम दर्जे का समझा जाता है। अब ऐसा नहीं होने देंगे। मूषक आपके लिए है एक नया और बेहतर विकल्प, जिससे आप अपनी बात स्वयं की बोली में कर सकते हैं। मूषक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनुराग गौड़ ने प्रेस क्लब ऑफ इंडिया में ये बातें कहीं। संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए अनुराग गौड़ ने कहा कि कंप्यूटर और स्मार्टफ फोन में टाइप करना रोमन लिपि पर आधारित होता है, इसलिए लोग हिंदी लिखने से कतराते हैं। आज के डिजिटल युग में बदलती तकनीक के साथ हिंदी को लोगों से परिचित कराना होगाए ताकि वो रोमन लिपि से पिछड़ कर अपनी पहचान ना खो दें। भाषा वैज्ञानिकों का विचार है कि जो भाषा हम बोलना जानते हैंए थोड़े से प्रयत्नों से ही उसे सरलता से लिखना सीख जाते हैं। एक सवाल के जबाव में श्री अनुराग गौड़ ने कहा कि मूषक का उद्देश्य हिंदी और देवनागरी को आज की पीढ़ी के लिए सामयिक और प्रचलित बनाना है। उ न्होंने कहा कि सोशल मीडिया विचारों का बाजार है, जिसकी अग्रणी मुद्रा आज अंग्रेजी है। लेकिन व्यवसाय जगत में हिंदी अपनी पैठ बना चुकी है और उसके प्रयोग को मौन स्वीकृति मिल चुकी है। इस क्रम को निरंतरता और गति देने की जरूरत है। मूषक के मुख्य कार्यकारी अधिकारी अनुराग गौड़ ने संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मूषक के द्वारा हम इस प्रक्रिया को सही मायनों में गणतांत्रिक बनाना चाहते हैं, जहाँ गण की आवाज गण की भाषा में ही उठे। उन्होंने कहा मूषक एक शुरुआत है हिंदी को इन्टरनेट पर मुख्यधारा बनाने की। संकल्प ले मूषक से मूषक का लोकार्पण विश्व हिंदी सम्मलेन सितम्बर 2015 ,भोपाल में हुआ, जो काफी सफल साबित हुआ। आज गूगल प्ले स्टोर पर मूषक को करीब 50,000 लोगों ने डाउनलोड किया है और रोजाना 500 .1000 लोग इस पर अपने विचारों का आदान प्रदान करते हैं या पढ़ते हैं। मूषक को उसके असाधारण डिजिटल सामाग्री व सामाजिक सशक्तिकरण की संभावना के लिए दक्षिण एशिया के सालाना बहुचर्चित मंथन पुरस्कार की एक श्रेणी में भी नामांकित किया गया है।


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