12 की मौत के बाद करोड़ों तक पहुंचे कार्टून

मीडिया            Jan 08, 2015


साल 2012 में फ्रेंच मैगजीन शार्ली एब्दो ने जो 'विवादित' कार्टून छापे थे, वे कार्टून एक बार फिर देखे और शेयर किए जा रहे हैं। तीन आतंकवादियों ने उन कार्टूनों के विरोध में बुधवार को मैगजीन के ऑफिस पर हमला करके एडिटर समेत 12 लोगों को मौत के घाट उतार दिया, मगर इस कदम की वजह से ये कार्टून करोड़ों लोगों तक पहुंच गए है। साल 2012 में फ्रांस या बाकी दुनिया में कुछ ही लोगों ने कार्टून देखे होंगे, मगर आज सोशल मीडिया पर शार्ली एब्दो के कार्टून छाए हुए हैं। फेसबुक और ट्विटर पर लोग इस आतंकी हमले की आलोचना कर रहे हैं। दुनिया भर में लोग न सिर्फ इस्लाम और पैगंबर पर बने उन कार्टूनों को सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं, बल्कि मारे गए पत्रकारों को श्रद्धांजलि देते हुए उन्हें अपनी डिस्प्ले इमेज भी बना रहे हैं। गुस्सा और दुख जाहिर करते हुए लोग लिख रहे हैं कि मैगजीन के कार्टूनों से इस्लाम का उतना नुकसान नहीं हुआ था, जितना उनके विरोध में किए गए इस घिनौने हमले ने किया है। दरअसल, फ्रेंच मीडिया से आ रहीं रिपोर्ट्स के मुताबिक हमलावर खुद को अल कायदा से जुड़ा बता रहे थे और वे चिल्ला रहे थे- पैगंबर का इंतकाम पूरा हुआ। अभी पुष्टि नहीं हुई है, मगर कहा जा रहा है कि पैगंबर के कार्टून्स की वजह से ही यह हमला किया है। इस वक्ट ट्विटर पर ‪#‎CharlieHebdo‬ टैग वर्ल्डवाइड टॉप पर ट्रेंड कर रहा है। पेश हैं ट्विटर पर आ रहे लोगों के कुछ कॉमेंट्स: @selfstyledsiren: मेरा परिवार फ्रेंच है। मेरा परिवार मुस्लिम है। मैं पत्रकार हूं। हम दुख में हैं। @HassibaHS: मैं मुस्लिम हूं और मेरा मानना है कि अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब है- इस्लाम समेत हर धर्म पर व्यंग्य करना। @Sankalp1703: पेन अभिव्यक्ति का औजार है, युद्ध का नहीं। @MohmdAshoor: हिंसा से नफरत और हिंसा पैदा होती है। विचारों को विचारों से चुनौती दीजिए, गोलियों से नहीं। आप लोगों के विचारों को नहीं मार सकते। @BSchmeitzner: शब्द नहीं मिल रहे, यह प्रेस पर किया गया क्रूर हमला है। सभी अखबारों को कल शार्ली एब्दो के कार्टून छापने चाहिए। @RezaMoradi: इस्लामिस्ट्स से डरिए मत। शार्ली एब्दो के विक्टिम्स को श्रद्धांजलि देने के लिए और अभिव्यक्ति की आजादी के लिए कार्टूनों को फिर से पब्लिश कीजिए।


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