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2015 में मारे गये 110 पत्रकार,9 भारत में भी

मीडिया            Dec 29, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क वर्ष 2015 में दुनिया भर में कुल 110 पत्रकार मारे गए हैं। रिपोर्टर्स विदआउट बार्डर्स ने मंगलवार को जानकारी देते हुए चेताया कि ज्यादातर को उनके काम के लिए शांतिपूर्ण माने जाने वाले देशों में जानबूझकर निशाना बनाया गया है। निगरानी समूह ने अपने वार्षिक लेखा-जोखा में कहा कि इस साल 67 पत्रकार अपनी ड्यूटी करते हुए मारे गए, जबकि 43 के मरने की परिस्थिति साफ नहीं है। इसके अलावा 27 गैर-पेशेवर सिटीजन जर्नलिस्ट और सात अन्य मीडियाकर्मी भी मारे गए हैं। रिपोर्ट कहती है कि ज्यादातर पत्रकारों की हत्या उनके खिलाफ जानबूझकर की गई हिंसा का नतीजा थी और यह मीडियाकर्मियों की रक्षा की पहलों की विफलता हो दर्शाता है। रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र से कार्रवाई करने का आह्वान किया गया है। आरएसएफ की रिपोर्ट कहती है कि भारत में 2015 की शुरुआत से नौ पत्रकार मारे गए, उनमें कुछ संगठित अपराध और राजनेताओं से इसके संबंध की रिपोर्ट करने के दौरान मारे गए और अन्य को अवैध खनन को कवर करने की वजह से अपनी जान गवांनी पड़ी। भारत में अपनी ड्यूटी करने के दौरान पांच पत्रकार मारे गए, जबकि चार अन्य के मरने के कारणों का पता नहीं है। इसलिए भारत की रैंक फ्रांस के नीचे आती हैं जहां पर मौत की वजहों की जानकारी है। आरएसएफ ने कहा कि पत्रकारों की मौत इस बात की पुष्टि करती है कि भारत मीडियाकर्मियों के लिए एशिया का सबसे घातक देश है जिसका नंबर पाकिस्तान और अफगानिस्तान दोनों से पहले आता है। आरएसएफ ने भारत सरकार से पत्रकारों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय योजना लागू करने का आग्रह किया है। रिपोर्ट पत्रकारों के खिलाफ अत्याचारों को अंजाम देने के लिए खासतौर पर गैर राज्य समूहों पर प्रकाश डालती है, जो इस्लामिक स्टेट समूह सरीखे जिहादी है। आरएसएफ ने 2014 में कहा था कि दो तिहाई पत्रकार जंगी क्षेत्रों में मारे गए हैं, जबकि 2015 में यह एकदम से विपरित है और संस्था कहती है दो तिहाई पत्रकार शांतिपूर्ण देशों में मारे गए हैं। आरएसएफ के महासचिव क्रिस्टोफ डेलोएरी ने कहा कि पत्रकारों की रक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानून को लागू करने के लिए एक विशेष तंत्र को बनाना बिल्कुल जरूरी है। पेरिस स्थित संस्था ने कहा कि इस वर्ष 110 पत्रकार मारे गए हैं जिसके लिए इस आपात स्थिति से निपटने के लिए एक तंत्र की जरूरत है। पत्रकारों की सुरक्षा के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव के एक विशेष प्रतिनिधि की तुरंत नियुक्ति होनी चाहिए। संस्था ने कहा कि सन 2005 से 787 पत्रकारों में से 67 की हत्या की गई। जानकारी के मुताबिक उनके काम करने के दौरान उन्हें निशाना बनाया गया। आरएसएफ की रिपोर्ट कहती है कि युद्ध ग्रस्त इराक और सीरिया इस साल पत्रकारों के लिए सबसे खतरनाक जगह है। इराक में 11 और सीरिया में 10 पत्रकार मारे गए हैं। सूची में तीसरा नंबर फ्रांस का है जहां जनवरी में जिहादी हमले में आठ पत्रकार मारे गए थे। यह हमला व्यंग पत्रिका शार्ली हेब्दो के दफ्तर पर हुआ था जिसने दुनिया को सदमे में डाल दिया था। बांग्लादेश में, चार धर्मनिरपेक्ष ब्लागरों की हत्या की गई, जिसकी जिम्मेदारी स्थानीय जिहादियों ने ली।


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