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एक्टिविस्ट, लेखक, कवि मनीष आजाद की गिरफ्तारी को जीन्यूज ने दिया नक्सली एंगल

मीडिया            Jan 07, 2025


मल्हार मीडिया डेस्क।

प्रयागराज से सामाजिक कार्यकर्ता, कवि और लेखक मनीष आजाद (मनीष श्रीवास्तव) को गिरफ्तार किए जाने की खबर सामने आई है. इसे लेकर माले, सीएसआर समेत तमाम संगठन और सोशल मीडिया यूजर्स आक्रोशित हैं और इस गिरफ्तारी को सरकारी दमन करार दे रहे हैं. इंटरनेट पर इस गिरफ्तारी को लेकर भारी विरोध चल रहा है. बताया जा रहा है कि मनीष आजाद की यह दूसरी बार गिरफ्तारी है.

एटीएस द्वारा की गई इस कार्रवाई में एक्टिविस्ट मनीष आजाद पर यूएपीए जैसे गंभीर आरोपों के तहत दोषी ठहराया गया है.

बहरहाल, मीडिया के हाथ तड़का लगा देने वाली नई खबर हाथ लगी है. खासकर जी न्यूज के. जी न्यूज ने मनीष आजाद को नक्सली बताकर कुंभ हमले का एंगल दे दिया है. और पूरी खबर को इस तरह से पेश किया है कि यूपी गवर्नमेंट विज्ञापन की मियाद बढ़ा दे.. बस.

इस मामले में वरिष्ठ पत्रकार राकेश कायस्थ ने मनीष की बहन सीमा आजाद की पोस्ट इन लाईनों के साथ शेयर की है

फेसबुक के ज़रिये मैं Manish Azad को एक संवेदनशील रचनाकार के रूप में जानता हूँ। उनकी अचानक गिरफ्तारी की ख़बर चिंताजनक और निंदनीय है। मैं मनीष आजाद की बहन सीमा आज़ाद Seema Azad का पोस्ट साझा कर रहा हूँ। पढ़े और विचार करें…

सीमा आज़ाद-

पत्रकार बंधुओं,

आज 3 बजे दोपहर में एटीएस के लोग 3-4 गाड़ियों में भर कर हमारे गोविंदपुर स्थित घर पर आए पूरे मोहल्ले में आतंक का माहौल बनाया और मेरे भाई मनीष आज़ाद को उस केस में गिरफ्तार कर ले गए, जिसमें वे 4 साल पहले ही जमानत पर बाहर आकर घर पर रह रहे हैं।

मनीष आज़ाद अनुवाद का काम करते हैं कवि हैं और राजनीतिक कार्यकर्ता हैं। 2019 के पहले वे भोपाल में रहते थे। 2019 में ATS ने उन पर और उनकी पत्नी अमिता पर FIR दर्ज कर लखनऊ जेल भेज दिया था। FIR में यह कहा गया था कि मनीष उत्तर प्रदेश में घूम-घूम कर लोगों को सरकार के खिलाफ भड़काते है।

इस केस में वे आठ महीने बाद 2020 में जमानत पर बाहर आ गए, और इलाहाबाद स्थित घर पर ही माता पिता और पत्नी के साथ रह रहे हैं और अनुवाद का काम कर रहे थे। जमानत पर बाहर आने के बाद भी एटीएस कई बार घर पर आ कर पूछताछ के नाम पर उन्हें और मेरे माता पिता को मानसिक रूप से उत्पीड़ित कर चुकी है।

ATS को पता था कि वे घर पर ही माता पिता और पत्नी के साथ रहते हैं, फिर भी उन्होंने गिरफ्तारी के आदेश में लिखा है कि वे फरार थे और “मुखबिर ने उनकी लोकेशन दी।” एटीएस पुलिस और उनकी संस्थाएं ऐसी कहानी गढ़ने में माहिर हैं।

कानून के मुताबिक एटीएस के लोगों को मेरे भाई मनीष को नजदीकी कोर्ट यानि इलाहाबाद की कोर्ट में हाजिर करके ले जाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने इसका भी पालन नहीं किया। वे सीधे मनीष को लखनऊ ले गए।

मनीष का मोबाइल भी वे जब्त करके ले गए। पुराने केस में धारा बढ़ाकर मनीष आज़ाद की फिर से गिरफ्तारी करना न्याय की बड़ी अवमानना है। इस संबंध में कृपया मेरा बयान भी प्रकाशित करें।

राकेश कायस्थ के फेसबुक वॉल और भड़ास4मीडिया से

 

 

 


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