मल्हार मीडिया ब्यूरो।
महाराष्ट्र के 17 लाख कर्मचारियों ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने और लंबित मांगों को पूरा करने को लेकर मंगलवार को तीन दिवसीय हड़ताल शुरू कर दी है।
हड़ताल के कारण शिक्षा और चिकित्सा विभाग सबसे ज्यादा प्रभावित हो सकते हैं।
राज्य सरकार ने सोमवार रात सभी कर्मचारियों को मंगलवार को ड्यूटी पर हाजिर होने का निर्देश दिया था और उन लोगों के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने और वेतन काटने की चेतावनी दी जो एमईएसएमए (महाराष्ट्र अनिवार्य सेवा अनुरक्षण अधिनियम) के तहत अपने कर्तव्यों का अनुपालन करने में नाकाम रहेंगे।
यह भी घोषणा की गई कि 1,50,000 राजपत्रित अधिकारी जो इस तीन दिवसीय हड़ताल से हट जाएंगे उन्हें 14 महीने का लंबित महंगाई भत्ता (डीए) का भुगतान किया जाएगा।
वहीं, महाराष्ट्र राज्य कर्मचारी संगठन (एमएसईओ) के एक अधिकारी ने कहा कि तालुका स्तर तक के सभी कर्मचारी आंदोलन में शामिल हो गए हैं।
एमएसईओ ने राज्य सरकार को एक जनवरी 2016 से प्रभावी सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को कार्यान्वित न करने का आरोप लगाया था।
हड़तालियों की प्रमुख मांगों में सभी सरकारी कार्यालयों में काम की अवधि सप्ताह में पांच दिन निर्धारित करना, सेवानिवृत्ति की आयु 58 वर्ष से बढ़ाकर 60 वर्ष करना और राज्य में 2,00,000 से अधिक रिक्तियों पर भर्ती करना शामिल है।
हड़ताल के परिणामस्वरूप मुख्यालय, मंत्रालय, कलेक्ट्रेट, तहसील और तालुका स्तर पर सभी सरकारी कार्यालयों में कामकाज प्रभावित हो सकता है। इसके अलावा शैक्षणिक संस्थानों, चिकित्सा एवं अन्य संस्थानों में भी कामकाज प्रभावित होगा।
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