मल्हार मीडिया ब्यूरो।
नई पेंशन योजना 'यूनिफाइड पेंशन स्कीम' (यूपीएस) पर कर्मचारी संगठनों ने सवाल उठाया है। हालांकि, अधिकांश कर्मचारी संगठन यूपीएस के पक्ष में नहीं हैं। कर्मचारी संगठन के नेताओं का कहना है कि अभी वे सरकार की तरफ से नोटिफिकेशन आने का इंतजार कर रहे हैं।
उसके बाद ही आगे की रणनीति तय होगी। अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार और 'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल ने बताया कि वीआरएस वालों को रिटायरमेंट की तय आयु पर ही पेंशन मिलेगी। संभव है कि उन्हें पूरी पेंशन के लिए दस या पंद्रह वर्ष का इंतजार करना पड़े।
क्या सरकार को यकीन है कि वह व्यक्ति रिटायरमेंट की आयु तक अनिवार्य तौर पर जीवित ही रहेगा। यह गारंटी कौन देगा। कर्मचारी नेताओं ने यूपीएस को लेकर सरकार से यह अहम प्रश्न पूछा है। डॉ. मंजीत पटेल ने बुधवार को इस बाबत प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भी लिखा है।
पटेल ने कहा है कि वित्त सचिव टीवी सोमनाथन, जिन्हें अब कैबिनेट सचिव नियुक्त किया गया है, यूपीएस की प्रेसवार्ता के दौरान उनसे पूछा गया था कि वीआरएस 'स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति' लेने वालों का क्या होगा। उन्हें पेंशन कैसे मिलेगी। इस पर उन्होंने कहा था कि वीआरएस वालों को रिटायरमेंट की तय आयु पर ही पेंशन मिलेगी।
बकौल पटेल, यहां पर एक नहीं, बल्कि कई ऐसे सवाल हैं, जिनका जवाब मिलना आवश्यक है। अगर किसी कर्मचारी ने पचास साल की आयु में वीआरएस ले ली है, तो उसे पेंशन के लिए 60 साल तक इंतजार करना पड़ेगा। क्या सरकार यह गारंटी देगी कि वह व्यक्ति अगले दस साल तक अवश्य ही जीवित रहेगा।
एआईडीईएफ महासचिव सी. श्रीकुमार ने बताया, यूपीएस में ऐसे ही कई तरह के प्वाइंट फंसे हैं। सरकार को इनका समाधान करना होगा। इससे कर्मियों में भ्रांतियां फैल रही हैं। ये सवाल तो जायज है। यूपीएस का खाका तैयार करने वाली कमेटी के चेयरमैन टीवी सोमनाथन ने खुद प्रेसवार्ता में यह बात कही है।
अब मान लीजिए, कोई व्यक्ति 20 वर्ष की आयु में सरकारी नौकरी में आ जाता है और वह 25 साल बाद यानी 45 साल में वीआरएस ले लेता है तो उसे पूरी पेंशन साठ वर्ष की आयु में मिलेगी। यानी उसे 15 साल तक पेंशन का इंतजार करना पड़ेगा।
डॉ. मंजीत सिंह पटेल बताते हैं, यूपीएस में 25 साल की सेवा के बाद पेंशन मिलने का नियम है। देश में रिटायरमेंट की आयु सभी जगहों पर एक जैसी नहीं है। यूनिवर्सिटी में 65 वर्ष तक सेवा करने का नियम है। डॉक्टरों की रिटायरमेंट आयु भी अधिक है।
केंद्र सरकार के कर्मियों की साठ वर्ष है। कहीं पर 58 साल भी संभव है। अगर किसी कर्मचारी ने पचास वर्ष की आयु में 25 साल की नौकरी पूरी कर ली है और वह स्वैच्छिक रिटायरमेंट 'वीआरएस' लेना चाहता है तो उसे यह कहा जाएगा कि पेंशन तो रिटायरमेंट की आयु पर ही मिलेगी। इसे यूं भी समझ सकते हैं, अगर किसी विभाग में रिटायरमेंट की आयु साठ साल है और कर्मचारी ने पचास वर्ष के बाद वीआरएस के लिए अप्लाई कर दिया तो उसे पूरी पेंशन साठ वर्ष की आयु में ही मिलेगी। मतलब, उसे दस वर्ष तक इंतजार करना पड़ेगा।
इतना ही नहीं, किसी मंत्रालय/विभाग में सेवानिवृत्ति की आयु 65 साल है तो वीआरएस लेने वाले कर्मचारी को पेंशन के लिए 15 साल तक इंतजार करना होगा। कई विभागों में रिटायरमेंट की आयु बढ़ाने की चर्चा हो रही है। ऐसे में यूपीएस की पेंशन को लेकर कर्मचारियों के मन में कई तरह के सवाल उठ रहे हैं।
सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि पचास वर्ष की आयु में अगर कोई वीआरएस लेता है तो उसकी पेंशन का क्या होगा। यहां पर एक बड़ा यक्ष प्रश्न ये भी है कि क्या सरकार, वीआरएस लेने वाले कर्मचारी को दस वर्ष या पंद्रह वर्ष तक जीवित रहने की गारंटी भी देगी।
क्या सरकार को पता है कि वह व्यक्ति पेंशन मिलने के तय समय तक जीवित रहेगा। अगर वह व्यक्ति बीच की अवधि में मर जाता है तो उसकी पेंशन का पैसा किसको जाएगा। परिवार को पेंशन कितनी मिलेगी। डॉ. मंजीत पटेल के मुताबिक, वीआरएस लेने के बाद अगर मौत हो जाती है तो उसे मिलने वाली पेंशन का साठ प्रतिशत ही फेमिली पेंशन के तौर पर मिलेगा।
अगर सेवा के दौरान मौत होती है तो 50 प्रतिशत पेंशन मिलेगी। ऐसे कई सवाल हैं, जिनका जवाब मिलना अभी बाकी है। हमारी मांग है कि सरकार, यूपीएस में पूरी पेंशन के लिए 25 साल की सेवा अवधि को घटाकर 20 साल करे।
केंद्र सरकार में स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव शिवगोपाल मिश्रा, जिनके नेतृत्व में 12 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल, प्रधानमंत्री मोदी से मिला था, उन्होंने इस योजना को शानदार बताया है। ये बात अलग है कि उनके साथ पीएम मोदी से मिलने गए प्रतिनिधिमंडल के ज्यादातर सदस्य अभी चुप हैं। वे यूपीएस पर अभी कुछ बोल नहीं कर रहे हैं।
पीएम मोदी से मुलाकात करने वाले 12 सदस्यों में शामिल 'कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स' के अध्यक्ष रूपक सरकार कहते हैं, ओपीएस का संघर्ष खत्म नहीं हुआ है। नोटिफिकेशन आने का इंतजार कर रहे हैं। उसके बाद ही बहुत सी बातें क्लीयर होंगी। कई मुद्दों पर अभी तस्वीर साफ होनी बाकी है।
स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सचिव और रेलवे कर्मचारी संगठनों के बड़े नेता शिवगोपाल मिश्रा ने यूपीएस का समर्थन किया है, जबकि ऑल इंडिया रेलवे ट्रैकमेंटेनर यूनियन व दूसरे कई संगठनों ने ओपीएस की वकालत की है।
महाराष्ट्र में लंबे समय से ओपीएस की लड़ाई लड़ने वाले 'महाराष्ट्र राज्य जुनी पेंशन संघटना' के राज्य सोशल मीडिया प्रमुख विनायक चौथे कहते हैं, ओपीएस की लड़ाई खत्म नहीं हुई है। हमारा संगठन एनएमओपीएस के तहत अपना संघर्ष जारी रखेगा।
अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी. श्रीकुमार, जिन्होंने प्रधानमंत्री मोदी और जेसीएम के प्रतिनिधियों की बैठक का बहिष्कार किया था, वे ओपीएस के लिए संघर्ष करते रहेंगे। श्रीकुमार ने कहा, आईडीईएफ गैर-अंशदायी पुरानी पेंशन के अपने रुख पर कायम है। यह योजना सरकारी कर्मचारियों का अंतर्निहित अधिकार है।
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