राकेश दुबे।
भारत में बीमारियों से मौत का आंकड़ा दिनों-दिन बढ़ रहा है। भारत में अब लगभग 62 प्रतिशत मौतें हार्ट डिसीज, कैंसर, डायबिटीज जैसी जीवनशैली से जुड़ी बीमारियों से हो रही हैं। कोई दो दशक पहले यह आंकड़ा 30.5 प्रतिशत था।
मलेरिया, टीबी जैसे रोगों से मौतें आधी रह गई हैं। जीवन शैली से जुडी मौतों का एक कारण कुपोषण भी है। अभी कुपोषण के कारण देश में लगभग 4 करोड़ बच्चे बौने हैं।
भारत में लड़कियों की औसत लंबाई 5 सेमी और लड़कों की 3 सेमी बढ़ी। औसत हाइट बढ़ने की ये दर दुनिया में सबसे कम है। वैसे भी आज 95 प्रतिशत बीमारियों का कारण सेहत के पंचतत्व- हवा, पानी, वन, भोजन और जीवनशैली की अनदेखी है।
भारत में पिछले साल वायु प्रदूषण से 12 लाख जानें गई हैं। द स्टेट ऑफ ग्लोबल एयर रिपोर्ट (२०१९ ) के मुताबिक इनमें से करीब 55 हजार मौतें दूषित हवा से होने वाली डायबिटीज के कारण हुईं।
वायु में मिल रहे जहरीले कण शरीर में इंसुलिन पैदा करने की ताकत और रोगों से लड़ने की क्षमता को कम कर रहे हैं। इससे भूलने की बीमारी भी बढ़ रही है।पहले आम तौर पर यह बीमारी 65 वर्ष की आयु के बाद दस्तक देती थी अब 45 वर्ष पर ही थाप सुनाई देती है।
इसी प्रकार भारत में खेती और अन्य में कीटनाशक, प्लास्टिक में इस्तेमाल होने वाला बिस्फेनॉल ए और पानी में आर्सेनिक जैसे रसायनों की अधिकता से मोटापे की समस्या लगातार बढ़ रही है। देश में 15 से 49 साल आयु वर्ग के 20 प्रतिशत लोग मोटापे के शिकार हैं।
पिछले वर्षों में भारत में गलत खान-पान से बीमार होने के 10 करोड़ मामले सामने आए। इस कारण से हर साल 4.2 लाख मौतें हो रही हैं।तंबाकू, शराब और जंक फूड के साथ ही दूषित पानी से भी दिल की बीमारियां हो रही हैं।
उद्योगों और खेती में केमिकल के निरंतर इस्तेमाल से भूजल भी दूषित हो रहा है। देश का आधे जिलों में भूजल में नाइट्रेट की मात्राअधिक है। इस कारण से 23 करोड़ लोगों को पेट के कैंसर, स्नायु तंत्र, दिल की बीमारी का खतरा बढ़ गया है। भारत में लगभग 24 प्रतिशत लोग आर्सेनिक युक्त पानी पीने को मजबूर हैं।
वैश्विक सर्वे कहते हैं पिछले ४ दशक में दुनिया में करीब 500 महामारियां फैली हैं, जिनका सबसे बड़ा कारण जंगलों की कटाई है। मलेरिया, डेंगू, इबोला जैसी बीमारियां इसी कारण बढ़ी हैं। भारत के ठंडे इलाकों में मलेरिया पैरासाइट 7 से 9 माह तक तक अपनी विनाशलीला दिखाता है।
अनुमान है 2030 तक यह पूरे साल बना रहेगा। ब्राजील में सिर्फ 4.3 प्रतिशत ज्यादा जंगल कटने से मलेरिया के मामले 50 प्रतिशत तक बढ़े हैं। भारत में भी पेड़ों की कटाई वृक्षारोपण से अधिक हो रही है।
भारत में बीमारियों से होने वाली मौतों में करीब 62 प्रतिशत मौतें जीवन शैली रोग [लाइफ स्टाइल डिसीज] से हो रही हैं। हर चौथा व्यक्ति इसकी जद में है। इससे डिप्रेशन, डायबिटीज, ब्लड प्रेशर, मोटापा जैसी बीमारी हो रही हैं। 6.5 प्रतिशत आबादी अवसाद [डिप्रेशन] में है।
12 से 25 साल आयु वर्ग की 65 प्रतिशत आबादी में अवसाद [डिप्रेशन] के लक्षण हैं। 10 में से 1 महिला और 7 में से एक पुरुष को उच्च रक्तचाप [हाई ब्लड प्रेशर] से पीड़ित है।
इसके विपरीत सरकार का दावा है कि स्वास्थ्य के मद में जीडीपी के ढाई फीसदी खर्च करने के इरादे को पूरा करने की प्रक्रिया इस बजट से शुरू हो जायेगी।
सरकार चाहे तो बीमारियां, दुर्घटनाएं और अवसाद पर अंकुश लगाकर लाखों मौतों को टाला जा सकता है| इससे परिवार, समाज और देश को विकास एवं समृद्धि की राह पर अग्रसर होने में बड़ी मदद मिलेगी।
दावा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पिछले कुछ सालों में केंद्र सरकार ने स्वास्थ्य सेवा को समेकित रूप से सक्षम बनाने के लिए कई पहलें की है। हालांकि, इनके परिणाम सामने हैं, परंतु अभी बहुत कुछ किया जाना शेष है।
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