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विवादित आईएएस पूजा खेडेकर के माता-पिता लापता , आर्म्स एक्ट के तहत दर्ज मामला

राष्ट्रीय            Jul 15, 2024


 मल्हार मीडिया ब्यूरो।

विवादों में घिरी महाराष्ट्र कैडर की ट्रेनी IAS अधिकारी पूजा खेडकर के बाद उनके माता-पिता की मुश्किलें भी लगातार बढ़ती जा रही हैं. उनके माता-पिता से भूमि विवाद को लेकर दर्ज मामले में अभी तक पुणे पुलिस संपर्क नहीं कर पाई है. उनके घर पर ताला लटका है और मोबाइल फोन स्विच ऑफ आ रहा है. पुलिस की टीम उनकी तलाश कर रही है.

जमीन के विवाद को लेकर पूजा की मां मनोरमा द्वारा एक किसान को पिस्तौल दिखाकर धमकाने का वीडियो सामने आने के बाद पुलिस ने उनके और पति दिलीप खेडकर के अलावा पांच अन्य के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की है. अधिकारी ने बताया कि पुणे ग्रामीण पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ एक दल शहर के बानेर रोड स्थित मनोरमा व दिलीप के बंगले पर पहुंचा था लेकिन उन्हें कोई जवाब नहीं मिला. वहां दरवाजा बंद मिला. उन्होंने बताया कि पुलिस पुणे और अन्य इलाकों में तलाशी ले रही है.

अधिकारी ने बताया कि पौड पुलिस थाने में मामला दर्ज कर लिया गया है, लेकिन खेडकर दंपति पूछताछ के लिए पुलिस थाने नहीं आए हैं. उन्होंने अपने मोबाइल फोन भी बंद कर लिए हैं. हमारी टीम उनकी तलाश कर रही हैं. उनके मिलने पर उनसे पूछताछ की जाएगी और उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी. पुणे ग्रामीण पुलिस ने खेडकर दंपति और पांच अन्य के खिलाफ पौड पुलिस थाने में भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा-323 (बेईमानी या धोखाधड़ी से संपत्ति को हटाना या छिपाना) और शस्त्र अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया है.

यह मामला सोशल मीडिया पर एक वीडियो सामने आने के कुछ दिन बाद दर्ज किया गया था, जिसमें मनोरमा अपने सुरक्षाकर्मियों के साथ पुणे की मुलशी तहसील के धडवाली गांव में हाथ में पिस्तौल लेकर कुछ लोगों के साथ तीखी बहस करती नजर आ रही थीं. उन्होंने कहा कि पुलिस वीडियो में दिख रहे गार्डों सहित घटना में शामिल अन्य लोगों की तलाश कर रही है.

इस बीच ट्रेनी आईएएस पूजा खेडकर ने कहा कि वह उनके खिलाफ लगे आरोपों की जांच कर रही केंद्रीय समिति के समक्ष अपना पक्ष रखेंगी और सत्य की जीत होगी. खेडकर पर सिविल सेवा परीक्षा में गलत प्रमाणपत्र लगाने का आरोप है. उन्होंने खुद को कथित तौर पर शारीरिक रूप से दिव्यांग और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) समुदाय का बताया था.

खेडकर ने वाशिम में पत्रकारों से कहा कि मैं समिति के समक्ष अपना पक्ष रखूंगी. मुझे लगता है कि समिति जो भी निर्णय लेगी, वह सभी को स्वीकार्य होना चाहिए. उन्होंने कहा कि यहां एक ट्रेनी अधिकारी के रूप में मेरी जिम्मेदारी काम करना और सीखना है और मैं यही कर रही हूं. मैं इस पर कोई टिप्पणी नहीं कर सकती. सरकार के विशेषज्ञ (समिति) ही फैसला करेंगे. न मैं, न मीडिया और न ही जनता फैसला कर सकती है.

 

 


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