डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
अवैधानिक चेतावनी : अगर किसी ने चार पैग लगा लिये हों और फिर देवरा पार्ट वन देखने चले जाएं तो ये उसके लिए नंबर वन पिच्चर है। सामान्य होशो-हवास में ये मगज और मनी दोनों के लिए हानिकारक है। भूल-चूक लेनी-देनी।
इस फिल्म के अनुसार इसकी कहानी आज़ादी के बाद की है, 1980-90 के आसपास की। तब भारतवर्ष में इंडियन कोस्ट गार्ड तो था, लेकिन भारतीय पुलिस का प्रादुर्भाव नहीं सका था। न ही कोई कोर्ट-कचहरी होती थी। इस कारण लाल सागर के पास जंगल वाली पहाड़ी के चार गाँव के लोग अपने झगड़े-टंटे खुद सलटा लेते थे। किसी को मार डालना पड़ता तो भी वे आत्मनिर्भर थे।
जैसे हमारे एमपी में कुछ मासूम गिरोहों के रोजगार का एकमात्र जरिया ट्रक-कटिंग है, वैसे ही इन गाँवों के मर्दों का काम समंदर में मालवाहक जहाजों की कटिंग करना और वहां से ड्रग्स और हथियार निकालकर तस्करों को देना था। बेचारे तस्कर लोग ही उनके स्थायी रोजगार प्रदाता थे।
इन चार गाँवों की स्त्रियों का काम था समंदर में जहाज कटिंग के पवित्र काम के लिए गये अपने पति या बेटे का इन्तजार, उसके बिना भूखा रहना, जागते रहना और तड़पते रहना। जवान लड़कियों का एकमात्र काम था शादी के लिए गाँव के ही सबसे बलिष्ठ नौजवान की खोज। चारों गांव में स्कूल नहीं है, अस्पताल भी नहीं हैं, लेकिन शानदार मंदिर हैं। होने भी चाहिए।
इन गांवों में हर साल 'लोकल ओलिम्पिक' होता है, जिसका नाम है संग्राम। इस मल्ल युद्ध में विजेता को मिलते हैं ढेर सारे हथियार। ... तलवार, खंजर, ड्रेगर, कटार, ग्रेटस्वार्ड, डर्क, खुरपी, रैपियर, पन्नी, माचे, मैचेट आदि। काटने, भोंकने, खाल उधेड़ने के हथियार। आधुनिक हथियारों में इन लोगों का भरोसा कम ही है। ये क्या कि गन का घोड़ा दबाया और काम तमाम? जब तक मारा काटी नहीं की जाए तो बहादुरी कैसी? खून बहना चाहिए तभी सागर का नाम सागर पड़ा।
अच्छा लगता है जब हीरो खाते-पीते घर का शम्मी कपूर जैसा हृष्ट-पुष्ट, परिपक्व गबरू जवान हो। वह भी दोहरी भूमिका में हो। हो भी क्यों नहीं, उसके बाप की कंपनी की फिल्म है। जिसका दादा नामी अभिनेता और आंध्र प्रदेश का मुख्यमंत्री रहा हो - नन्दमूरि तारक रामाराव यानी एनटीआर। इसीलिए पोता जूनियर एनटीआर हुआ। सैफ अली खान, (तैमूर-बाबर के अब्बाजान)
हिन्दी फिल्मों में हीरोइन रखने का रिवाज है, इसलिए इसमें भी है। मूल फिल्म तेलुगु में बनी है, इसलिए जाह्नवी कपूर को लिया गया। जाह्नवी शानदार तेलुगु और तमिल बोलती हैं, क्योंकि उनकी मां श्रीदेवी हिन्दी फिल्मों के पहले तेलुगु और तमिल फिल्मों की सुपरस्टार थीं।
इस फिल्म में पर्दे पर कई बार सीजीआई (कंप्यूटर जेनरेटेड इमेजनरी) लिखा आता है, खलता है।
देवरा फिल्म का यह पार्ट वन है। हे भगवान ! अभी और पार्ट भी आएंगे !!
देवरा अझेलनीय है। बकवास कहानी, बकवास गाने, हिंसा का अतिरेक, बेहद लम्बी फिल्म यानी अधिक यातना। झेल सको तो झेल लो !
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