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फिल्म समीक्षा :ठंडे तेल में जीरे की तरह देशभक्ति का तड़का फिरंगी

पेज-थ्री            Dec 01, 2017


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
फिरंगी एक महापकाऊ फिल्म है और 160 मिनिट तक उसे झेल पाना कोई मजाक बात नहीं। हंसाने की कोशिश में यह फिल्म कामयाब नहीं हो पाई। 1921 की कहानी, जिसमें अंग्रेज, राजा, शोषित गांव वाले और गांधीजी के ऐतिहासिक संदर्भ ठूंसे गए हैं। समझ ही नहीं आता कि यह कॉमेडी फिल्म है कि रामांटिक? ठंडे तेल में जीरे की तरह देशभक्ति का तड़का भी है, जो कहीं से भी देशभक्ति नहीं लगता।

कलर्स और सोनी चैनल के निर्माताओं जैसी अक्ल इस फिल्म में नजर नहीं आती। इतनी खराब कहानी, इतना औसत अभिनय और औसत से भी कमतर संगीत। अंग्रेजों के जमाने को रियलस्टिक दिखाने के लिए पुराने जमाने की रेल और कार, अंग्रेज रेसीडेंट के ठाट-बाट, ब्रिटेन में पढ़कर आई राजा की बेटी, गुलामों जैसे अर्दली, गुल्ली-डंडा का खेल, शादी-ब्याह के नाच-गाने आदि सभी कुछ हैं, लेकिन कहानी दर्शक को बांधे रखने में सक्षम नहीं है। बोरियत की हद पार कर देती है यह फिल्म।

हीरो पगपायला हैं। मान्यता है कि इस तरह उल्टे तरीके से जन्म लिया बालक कुछ खास होता है। मंगा बने कपिल शर्मा की इस फिल्म में खूबी यह है कि वह लात मारकर किसी का भी कमर दर्द दूर कर सकता है। हीरो लोगों के कमर दर्द दूर करता है, लेकिन उसके पैसे नहीं लेता, क्योंकि उसकी मां कहती है कि अगर ऐसा किया तो शफा खत्म हो जाएगी। बड़ी मुश्किलों के बाद उसकी शादी की बात आगे बढ़ती है, लेकिन लड़की का दादा मना कर देता है, क्योंकि वह गांधीजी का भक्त है और मंगा एक अंग्रेज के यहां अर्दली की नौकरी बजाता है।

फिरंगी की कहानी ऐसे-ऐसे अटपटे मोड़ लेती है कि यकीन करना मुश्किल हो जाता है। छोटे पर्दे का हाजिर जवाब कपिल शर्मा, बड़े पर्दे पर गेली ग्यारस मंगा के रूप में कोई कमाल नहीं दिखा पाता। स्थानीय राजा द्वारा ठगे गए लोगों का बदला लेने की जो तरकीब वह निकालता है, वह उसे फंसाती जाती है और अंत में बेहद हास्पास्पद और नाटकीय तरीके के बाद मंगा को उसकी मंगी यानि सारगी मिल पाती है।

यह फिल्म कपिल शर्मा ने ही बनाई है, जो शायद वह भूल गए है कि लोगों का हास्यबोध का स्तर काफी सुधर गया है। इशिता दत्ता, मोनिका गिल, कुमुद मिश्रा, राजेश शर्मा, जमील खान, अंजन श्रीवास्तव और एक अंग्रेज अधिकारी का रोल करने वाले एडवर्ड सोनेंब्लिच्क में से केवल अंजन श्रीवास्तव ही अच्छा प्रभाव छोड़ पाए। राजकुमारी शामली बनी मोनिका गिल ओवर एक्टिंग के कारण पका देती हैं। इशिता दत्ता ने सारगी के रूप में कपिल की प्रेमिका का रोल परंपरागत तरीके से निभाया है। छह गाने भी फिल्म में ठुंसे गए है। सुनिधि चौहान, राहत फतेह अली खान, दलेर मेहंदी, ममता शर्मा की आवाज के बाद भी सिनेमा में यह पसंद नहीं आए।

बकवास फिल्म है। कपिल शर्मा के भक्त है तो भी पक जाएंगे।

 


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