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गाने की बात: लागा चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे

पेज-थ्री            May 22, 2023


डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी।

1963 में प्रदर्शित फिल्म 'दिल ही तो है' का गाना है -"लागा चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे"! यह गाना दशकों बाद भी अपने बोल, संगीत, गायन, नृत्य और गाने की सिचुएशन के लिए याद किया जाता है।

कबीर का भजन है -"मेरी चुनरी में परिगयो दाग पिया" अमीर खुसरो ने भी कुछ इसी भाव का शेर कहा था, शब्द अलग थे, पर मंतव्य ऐसा ही रहा होगा। साहिर लुधियानवी के लिखे इस गाने के भाव दार्शनिक हैं, लेकिन फिल्म में इसकी प्रस्तुति मज़ाकिया लहजे में थी।

पर्दे पर यह गाना छद्म रूप धरे, नकली दाढ़ी-मूंछ वाले राज कपूर गाते हैं और पद्मिनी प्रियदर्शिनी इस शास्त्रीय गीत पर लाजवाब कर देनेवाला नृत्य करती हैं। 'दिल ही तो है' 1960 के दशक के मुस्लिम खान बहादुर परिवार की एक रॉम-कॉम फिल्म थी यानी रोमांटिक कॉमेडी।

इस गाने को मन्ना डे के नाम से प्रख्यात प्रबोध चंद्र डे ने राग भैरवी में गाया था, जो उन्हीं के गाये अनेक गीतों की तरह एक अलग ही मील का पत्थर है। गीत के दार्शनिक भाव देखिए :

‘’लागा चुनरी में दाग,

छुपाऊँ कैसे

चुनरी में दाग, छुपाऊँ कैसे,

घर जाऊँ कैसे’’

चुनरी में दाग को जीवन के पापों से और चरित्र के रूप में लिया गया तथा घर जाने को अंतिम यात्रा के रूप में ! आत्मा को कोरी चुनरिया कहा गया।

''भूल गई सब बचन बिदा के

खो गई मैं ससुराल में आके

जाके बाबुल से नज़रे मिलाऊँ कैसे,

घर जाऊँ कैसे’’

यानी जिस मकसद से धरती पर आये थे, यहाँ की सांसारिकता में वह सब भूल गए, अब ऊपर जाकर जगतपिता से नज़रें मिलाने की शक्ति नहीं बची।

आगे गीत के बोल देखिये :

‘’कोरी चुनरिया आत्मा मोरी

मैल है माया जाल

वो दुनिया मोरे बाबुल का घर

ये दुनिया ससुराल

जाके बाबुल से नज़रे मिलाऊँ कैसे,

घर जाऊँ कैसे

लागा चुनरी में दाग...’’

साफ़ है की गाने में आत्मा को कोरी चुनरिया बताया गया है और इस दुनियावी कामों की तुलना मेल से की गई है।

फ़िल्म में कहानी की मांग के कारण यह पूरा गाना कॉमेडी की तरह फिल्माया गया था, जिस कारण इस महान गाने के शास्त्रीय पक्ष की तरफ फिल्म देखते समय ध्यान कम जाता था। पद्मिनी प्रियदर्शिनी ने इस गाने पर चपल नृत्य में जो भंगिमाएं और हाव भाव दिखाए वे इलेक्ट्रिफाइंग थे।

फिल्म में राजकपूर का किरदार आकाशवाणी के ऐसे लोकप्रिय गायक चाँद का था, जिस पर ज़माना फ़िदा था। मज़बूरी में उन्हें एक मशहूर गायक का भेस बनाकर मंच पर यह गीत गाना पड़ रहा था। फिल्म के फर्स्ट हाफ में यह गाना करीब चालीस मिनट पर आता है और फिर राज कपूर के कई सीन इसी गेटअप में रहते हैं। मालदार आसामी खान बहादुर (नज़ीर हुसैन) की बेटी जमीला बानो (नूतन) उनकी माशूका है, जिसकी शादी खान बहादुर एक परिचित युवा यूसुफ़ (प्राण) से करना चाहते हैं, जो खलनायक की भूमिका में है।

कई बातें थीं जिस कारण यह गाना ऐतिहासिक बन गया था।

मन्ना डे साहब ने जिस शास्त्रीय कौशल से यह गीत गाया था, राज कपूर जैसा मंजा हुआ कलाकार भी उस पर सही-सही लिप-सिंक भी नहीं कर पाया। यानी गीत के बोल के उच्चारण के अनुसार वे होंठ नहीं हिला सके थे, लेकिन नकली दाढ़ी-मूँछ और सिचुएशन के कारण इस तरफ लोगों का ध्यान नहीं गया।

गायक के रूप में पूरी दुनिया मोहम्मद रफ़ी की दीवानी रही है, लेकिन मोहम्मद रफ़ी खुद मन्ना डे के दीवाने थे। 'लागा चुनरी में दाग छुपाऊं कैसे' राग सिंधु भैरवी के साथ लोकप्रियता के शिखर पर पहुँच गया। इसमें जगह-जगह मुरकियों का इस्तेमाल है और संगीतकार रोशन ने ठेके के साथ घुँघरू और सारंगी का उपयोग किया। अंतिम चरण में द्रुत लय का तराना था! इस गाने में कल्याण थाट का उपयोग भी किया। कुल मिलाकर यह एक बेमिसाल गाना था।

''लागा चुनरी में दाग... '' गाने के लिए मन्ना डे को कोई अवार्ड नहीं मिला तो उन्हें बुरा लगा। ‘ऐ भाई जरा देख के चलो’ के लिए जब उन्हें अवॉर्ड मिला तो उन्हें अचरज हुआ। उन्हें पद्म भूषण और देश का सर्वोच्च दादा साहब फाल्के अवार्ड प्रदान किया गया था।

साहिर लुधियानवी ने पूरा गाना इस तरह लिखा था :

लागा चुनरी में दाग, छुपाऊं कैसे

चुनरी में दाग,

छुपाऊं कैसे, घर जाऊँ कैसे

लागा चुनरी में दाग...

हो गई मैली मोरी चुनरिया

कोरे बदन सी कोरी चुनरिया

जाके बाबुल से नज़रें मिलाऊँ कैसे, घर जाऊँ कैसे

लागा चुनरी में दाग...

भूल गई सब बचन बिदा के

खो गई मैं ससुराल में आके

जाके बाबुल से नज़रे मिलाऊँ कैसे, घर जाऊँ कैसे

लागा चुनरी में दाग...

कोरी चुनरिया आत्मा मोरी

मैल है माया जाल

वो दुनिया मोरे बाबुल का घर

ये दुनिया ससुराल

जाके बाबुल से नज़रे मिलाऊँ कैसे, घर जाऊँ कैसे

लागा चुनरी में दाग...

-प्रकाश हिन्दुस्तानी

19-5-2023

#onelinephilosophy

#philosophyinoneline

#एक_लाइन_का_फ़लसफ़ा

………………

स्वर लिपि:

आ.. धिम तानाना दिर्ग तानुम

तान्ना देरे ना धिन

तानाना धिक् ता

नुम ता देरे ना धिन

तानाना धिक् ता

नुम ता देरे ना धिन

ना देरे देरे ताना देरे

ताना तुम्र ता धा रे तारे ता नि

धिम तानानानाना धिर धिर

धिर धिर धिर ता नि

ता नि ता न

ता नि ता न

धिम तानाना दिर्ग तानुम

ताना देरे ना धिम

तानाना दिर्ग ता

नुम ता देरे ना

सप्त सुर न तीन ग्राम

बंसी बाजे

रे सा सा नी, सा नी नी ध, नी ध ध प, प म म ग

म ध ग म म ग र स

धा धा किरता, धा धा किरता, धा धा किरता

चरन धरन धरत पग परत नहीं परन

झांझर झनके छननन नननन

ना धिरन धिन तनुम

नननन तनननन

ना धिम तनन दिर्ग तानुम

ता ना देरे ना धिम

तानाना दिर्ग ता

नुम ता देरे ना धिन

तानाना धित ता

ना दिर्ग तुम्र ध ध

धिम तानानानानना, धिम तानानानानना, धिम तानानानानना

धिरधिर तुम तानानाना, धिरधिर तुम तानानाना, धिरधिर तुम तानानाना

ना धिर धिर धीर, तुम धिर धिर धिर

ना धिर धिर धीर, तुम धिर धिर धिर

धित तुम, धित तुम, धित तुम, धित तुम

धि तुम तो, धि तुम तो, धि तुम तो, धि तुम तो

धा गिर्त त तुम त क्रांधा

धा गिर्त त तुम त क्रांधा

धा गिर्त त तुम त क्रांधा

धिम तानाना धित त तानुम

तान्ना देरे ना धिम

तानाना धित त तानुम

तान्ना देरे ना धिम

तानाना धित त तानुम

तान्ना देरे ना धिम

तानाना धित त ता

नुम ता धेरे ना धिम

तानाना धित त ता

नुम ता धेरे ना धिम

तानाना धित त ता

धित त ता

धित त ता

 

 



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