राकेश दुबे।
देश के सभी राजनीतिक दलों को सचेत हो जाना चाहिए कि वे भी चुनाव आयोग की नजर में हैं। चुनाव आयोग की आम आदमी पार्टी के विरुद्ध की जा रही कार्रवाई एक बड़ा संकेत है।
आयोग ने चंदे में अनियमितताओं को लेकर आम आदमी पार्टी को नोटिस जारी किया है। आयोग ने नोटिस का जवाब देने के लिए बीस दिन का समय दिया है।
आयोग का आरोप है कि आप ने चंदे की रकम छिपाई है और आयोग के समक्ष गलत जानकारी पेश की है। गलत जानकारी के कारण चुनाव चिन्ह रद्द होने के साथ, पार्टी की मान्यता भी रद्द हो सकती है।
चुनाव आयोग ने नोटिस जारी कर आम आदमी पार्टी से स्पष्टीकरण देने को कहा है। आयोग के मुताबिक अगर नोटिस मिलने के बीस दिन के भीतर आम आदमी पार्टी जवाब नहीं देती है, तो उसका चुनाव चिन्ह रद्द कर दिया जाएगा।
आयोग के मुताबिक आप ने २०१४-१५ की चंदे की जानकारी भेजी थी, जो आयोग को ३० सितंबर, २०१५ को मिली] वहीं आप ने २० मार्च२०१७ को चंदे की संशोधित रिपोर्ट भेजी।
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पनी पहली रिपोर्ट में आम आदमी पार्टी ने २६९६ दानदाताओं की सूची भेजी थी, जिनसे ३७ करोड़ ४५ लाख रुपए का कुल चंदा मिला। लेकिन अपनी संशोधित रिपोर्ट में आप ने ८२६२ दानदाताओं से ३७ करोड़ ६० लाख रुपए का चंदा मिलना दिखाया।
आयोग का कहना है कि उन्हें ५ जनवरी, २०१८ को सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज यानी सीबीडीटी से रिपोर्ट मिली, जिसमें आम आदमी पार्टी द्वारा २०१४-१५ में लिए गये चंदे में कई विसंगतियां पाई गईं। सीबीडीटी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि आप ने चंदे के मामले में पारदर्शिता नहीं बरती है और आयोग के नियमों का उल्लंघन किया है।
आयोग का कहना है कि आप के बैंक अकाउंट में ६७.६७ करोड़ रुपए क्रेडिट हुए, जिसमें दान से मिले हुए ६४.४४ करोड़ रुपए भी शामिल हैं। लेकिन पार्टी ने अपनी आय ५४.१५ करोड़ ही दिखाई और १३.१६ करोड़ का कोई हिसाब नहीं मिला।
इसी रिपोर्ट में कहा गया है कि हवाला कारोबारी से आम आदमी पार्टी को हवाला ऑपरटर्स के जरिए २ करोड रुपए भी मिले, जिन्हें पार्टी ने चंदे के तौर पर दिखाया।
दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने चंदे में गड़बड़ी को लेकर चुनाव आयोग के आरोपों को गलत बताया है। आप का कहना है कि सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेज ने अकाउंट की गलत गणना की है, जिसके चलते यह नोटिस जारी हुआ।
पार्टी के मुताबिक उसने वित्तीय वर्ष २०१४-१५ की रिपोर्ट में विभिन्न दानदाताओं से मिली३७ करोड़ ६० लाख रुपए की रकम की जानकारी दी थी। साथ ही, रिपोर्ट में एक ही दानदाता की कई रसीदें भी सौंपी थी।
आप का कहना है कि पार्टी की राज्य ईकाइयों के बीच हुए बैंक ट्रांसफर को भी आयोग ने चंदा मान लिया है।
पार्टी का कहना है कि यह बेहद आश्चर्यजनक है कि सीबीडीसी ने इनकम टैक्स एक्ट का उल्लंघन करते हुए ५ जनवरी २०१८ को रिपोर्ट दाखिल की। जो स्पष्ट रूप से दिखाता है कि केंद्र सरकार की एजेंसियां पूर्वाग्रह से ग्रसित हैं।
चंदे में पारदर्शिता देश का कोई राजनीतिक दल नहीं बरत रहा है। बड़े राजनीतिक दल तो हिसाब तक नहीं देते। चुनाव आयोग की पहल सराहनीय है। उसे बड़े दलों पर भी नकेल कसना चाहिए।
लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।
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