मल्हार मीडिया भोपाल।
मध्य प्रदेश विधानसभा में सोमवार को फिल्म 'जंगल सत्याग्रह' का प्रीमियर शो रखा गया। यह फिल्म दिखाने का निर्णय पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने लिया था। उन्होंने इसके लिए सभी बीजेपी और कांग्रेस नेताओं को निमंत्रण दिया था। लेकिन दिग्विजय सिंह के निमंत्रण पर बीजेपी के एक भी नेता नहीं पहुंचे, हालांकि कांग्रेस के सभी दिग्गज नेता इस दौरान मौजूद रहे। दरअसल यह फिल्म 1930 के स्वतंत्रता संग्राम में बैतूल के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों पर आदिवासी कलाकारों द्वारा बनाई गई है। कांग्रेस नेताओं में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी, नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार, राज्यसभा सांसद अशोक सिंह, पूर्व मंत्री ओमकार सिंह मरकाम, पीसी शर्मा, कमलेश्वर पटेल, विधायक जयवर्धन सिंह, नितेन्द्र सिंह राठौर पहुंचे।
दिग्विजय सिंह ने मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव, पूर्व सीएम उमा भारती, केन्द्रीय मंत्री शिवराज सिंह चौहान, भाजपा प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, विधानसभा अध्यक्ष नरेन्द्र सिंह तोमर सहित बीजेपी के तमाम विधायकों और मंत्रियों को जंगल सत्याग्रह के प्रीमियर शो देखेने का न्योता दिया था।
बीजेपी नेताओं के फिल्म में न आने पर दिग्विजय सिंह ने कहा कि उनकी रूचि है कश्मीर फाइल्स, केरला, साबरमती एक्सप्रेस, जहां हिंसा, नफरत उद्देश्य है वहां उनका पॉलिटिकल एजेंडा है। हमारा पॉलिटिकल एजेंडा देश की आजादी में जिन लोगों ने कुर्बानी दी है। ऐसे लोगों को आगे बढ़ाने और इतिहास को महिमामंडित करने का हमारा प्रयास है।
दिग्विजय ने कहा कि ये कोई अनुभवी लोग नहीं थे। इन्होंने बडे़ प्रोफेशनल तरीके से अच्छी क्वालिटी की फिल्म बनाई है। एक संदेश दिया है कि किस तरह से अंग्रेजों ने इस देश को लूटा। अंग्रेजों ने हमारे जंगलों की बर्बादी की। आदिवासियों की आमदनी का जरिया छीना।
हम ये पहले से मांग करते आए हैं। कि इसे न केवल टैक्स फ्री किया जाए, बल्कि इसे सेंसरबोर्ड से तत्काल मंजूरी देकर प्रमोट किया जाना चाहिए। मैं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और मुख्यमंत्री मोहन यादव से कहूंगा कि इस टीम को प्रोत्साहित करें। और आदिवासियों के जो ऐसे ऐतिहासिक उदाहरण हैं। इसी टीम को पूरा संसाधन देकर इनसे फिल्में तैयार कराई जाएं।
पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि मैं समझता हूं कि जो महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी जो इतिहास में दर्ज नहीं हैं। उन्हीं सेनानियों के कारण हम स्वतंत्र हैं। मैं मानता हूं कि हम सबको फिल्म देखना चाहिए। फिल्म में किसी प्रकार का राजनीतिकरण छोटी और ओछी बात हो जाएगी। लेकिन, पूरे भारतवर्ष के नागरिक फिल्म देखें। क्योंकि, ये स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का सम्मान होना चाहिए। पटवारी ने कहा फिल्म को टैक्स फ्री होना चाहिए। हमारे लोकल कलाकार हैं संघर्ष में फिल्म बनी है। सरकार सहायता नहीं करेगी केवल जो बाहर के स्टार आते हैं उनके साथ फोटो खिंचवाने से अच्छा है कि अपने देशी कलाकारों का ध्यान दे।
कांतिलाल भूरिया ने कहा कि बीजेपी का तो आदिवासियों से कोई लेना देना नहीं हैं। हमारे आदिवासी कलाकारों ने जो फिल्म बनाई है वो असली है। उस जमाने में आजादी के पहले आदिवासियों पर कैसे अत्याचार होता था। उनको कैसे प्रताडित करते थे वो सब इस फिल्म में दिखा है।
इस दौरान फिल्म के डायरेक्टर प्रदीप उईके ने कहा कि, मैं पीएससी का एग्जाम दे रहा था उसमें जंगल सत्याग्रह पर प्रश्न पूछा गया। उसके बाद मैंने सरदार गंजन सिंह कोरकू के बारे में पढ़ना शुरू किया। 3 साल में पूरी कहानी खोज पाया। इस फिल्म को बनाने के लिए मैने समाज के लोगों से मदद मांगी। और आदिवासियों पर बनी फिल्म के लिए एक करोड़ तक राशि जुटाने में बहुत संघर्ष करना पड़ा। प्रदीप ने दिग्विजय सिंह को आदिवासी हितैषी बताया।
दिग्विजय सिंह ने केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया को बच्चा कहा है। उन्होंने कहा कि उनके पिता माधवराव सिंधिया को मैं ही कांग्रेस में लाया था।दिग्विजय सिंह ज्योतिरादित्य सिंधिया के उस बयान पर प्रतिक्रिया दे रहे थे, जिसमें उन्होंने कहा था कि दिग्विजय सिंह मेरे पिता को भी टारगेट करते थे और मुझे भी टारगेट कर रहे हैं।
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