मल्हार मीडिया डेस्क।
खेतों में फटाफट काम पूरा करने और समय बचाने के नजरिये से गेहूं कटाई के बाद अवशेष याने नरवाई में किसान भाइयों द्वारा आग लगाने का काम मध्य और उत्तर भारत के राज्यों में जोरों पर है। किसान भाई इसका परिणाम जानते, समझते हुए भी नरवाई जला रहे हैं, ये दुखद है, शर्मनाक है।
ये चिंता का विषय है कि सरकार के सारे प्रयासों के बावजूद खेतों में नरवाई जलाने की घटनाएँ कम नहीं हो रहीं हैं । पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश में पर्यावरण में धुआं घोलने वाला काम, भूमि की उर्वराशक्ति ख़त्म करने वाली, सूक्ष्म जीवाणुओं को नष्ट कर देने वाली, गेहूँ कटाई के बाद अवशेषों को (नरवाई ) जलाने की कथित सुविधापूर्ण प्रक्रिया किसानों के जान-माल को ही जला रही है । किसान भाइयों को भूमि के साथ हो रहे इस दुष्कृत्य को बचाने स्वयं आगे आना होगा। कृषि विभाग की सलाह को आग में जलाने, धुएँ में उड़ाने का ये कृत्य असामाजिक है। आँकड़े बताते हैं कि इस काम में 'शान्ति के टापूÓ मध्य प्रदेश का आकाश आग की लपटों से दहक रहा है। पहले ये काम रात में होता था, परंतु अब दिन दहाड़े , संजा - सवेरे आपको खेतों में आग और धुआँ मिलेगा। अब गाँव की हवा भी ज़हरीली होने लगी है। अंतरराष्ट्रीय पृथ्वी दिवस यानी बीती 22 अप्रैल को हमने मध्य प्रदेश में 1122 बार नरवाई जलाने का दुष्कृत्य किया है। सारी जि़म्मेदारी सरकार पर ढोल कर दायित्वपूर्ण नागरिक का लिबास पहन कर ये जन विरोधी, समाज विरोधी कार्य नहीं हो सकता। थोड़ी सी सहूलियत के लिए ये आगजऩी उचित नहीं है । इससे भूमि की उर्वरता नष्ट होगी ।
ये जब्र भी देखा है तारीख़ की नजऱों ने, लम्हों ने ख़ता की थी सदियों ने सज़ा पाई है
गेहूं कटाई के बाद खेतों में नरवाई (पराली) जलाने के मामलों में मध्य प्रदेश पूरे देश में सबसे आगे निकल गया है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) की क्रीम लेबोरेटरी की रिपोर्ट से पता चला है कि पंजाब दूसरे स्थान पर, उत्तर प्रदेश तीसरे और हरियाणा चौथे स्थान पर है। पराली जलाने की घटनाएं, अब वायु गुणवत्ता के लिए गहरी चिंता का विषय बनती जा रही हैं। गेहूं पराली जलाने के सबसे अधिक मामले मध्य प्रदेश में दर्ज किए गए हैं। इस दौरान राज्य सरकार ने कार्रवाई करते हुए पराली जलाने वाले किसानों पर जुर्माना और एफआईआर दर्ज की है। भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान की रिपोर्ट के आंकड़े बताते हैं कि 1 से 24 अप्रैल 2025 के बीच प्रदेश में 24953 से अधिक बार खेतों में पराली जलाने की घटनाएं रिकॉर्ड की गई हैं। वहीं, पंजाब में इन मामलों की संख्या 130 हरियाणा में 147 और उत्तर प्रदेश में 6895 है।
इन सारे आंकड़ों से पता चल रहा है कि पराली जलाने के मामलों पर नियंत्रण के लिए प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और राज्यों के जिला प्रशासन की निषेधाज्ञाएं और कृषि अवशेषों को जलाने पर प्रतिबंध आग की लपेट में है।
कृषि विभाग द्वारा किसानों को सभी मंचो, माध्यमों से सलाह दी जाती है कि नरवाई जलाने से अनेक खतरे हैं। जन-धन- संपत्ति- फसल- जगत नष्ट होने की आशंका रहती है। कटाई के समय हार्वेस्टर के साथ भूसा मशीन रोटावेटर, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर मशीन का उपयोग करें। किराएं पर भी ये यंत्र उपलब्ध है। इन यंत्रों को खरीदने पर कृषि विभाग द्वारा सब्सिडी भी दी जाती है। इन सारी कवायदों के बावजूद पराली जलाने की समस्या देश में सबसे अधिक पंजाब, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश, हरियाणा, राजस्थान में है।
केन्द्रीय कृषि मंत्री का संसदीय क्षेत्र - लपटें ही लपटें
केन्द्र सरकार के कृषि मंत्रालय की सारी योजनाएं मध्य प्रदेश के विदिशा जिले में चल रही होंगी। पर नरवाई जलाने से रोकने के लिए यहां के किसान सारे प्रलोभनों, सजा की चेतावनियां, दंड भुगतने की आशंकाओं के बावजूद प्रदेश में नरवाई जलाने में आगे चल रहे हैं। विदिशा का गेहूं भले ही देश में मशहूर हो परन्तु नरवाई जलाकर प्रदूषण फैलाने में भी आगे रहकर अपना नाम कर रहा है।
मध्य प्रदेश में पराली का प्रकोप
विदिशा जिला इस बार मध्य प्रदेश में सबसे आगे है, जहां 3,853 घटनाएं दर्ज की गई हैं। यह पहली बार है जब विदिशा पराली जलाने में टॉप पर आया है। पिछले वर्षों में यह दूसरे या तीसरे स्थान पर रहा था, लेकिन इस साल के आंकड़े चौंकाने वाले हैं जबकि यह केन्द्रीय कृषि मंत्री का संसदीय क्षेत्र है वहीं इंदौर में भी स्थिति गंभीर बनी हुई है। यहां 1 से 24 अप्रैल के बीच 1309 बार पराली जलाई गई, इंदौर इस साल पांचवें स्थान पर है।
रायसेन जिला दूसरे नम्बर पर है यहां 2148 पराली जलाने की घटनाएं हुई हैं। उज्जैन जिला भी पराली जलाने के मामलों में तीसरे नंबर पर आ गया है। 24 अप्रैल तक यहां 1,861 घटनाएं सामने आ चुकी हैं। यहां रोजाना के आंकड़ों में तेजी से वृद्धि हो रही है, जो जिले की पर्यावरणीय स्थिति को और खराब कर रही है।
मुख्यमंत्री ने दी चेतावनी
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने नरवाई जलाने की बढ़ती प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए किसानों को चेतावनी देते हुए कहा है कि जो किसान नरवाई जलाएंगे उन्हें मुख्यमंत्री सम्मान निधि की राशि नहीं दी जाएगी। साथ ही समर्थन मूल्य पर उनकी उपज की खरीदी सरकार नहीं करेगी। नरवाई जलाने पर भूमि की उर्वराशक्ति समाप्त हो रही है तथा पर्यावरण को हो रहे नुकसान को देखते हुए उन्होंने कहा कि प्रदेश के 85 लाख से अधिक किसानों को मुख्यमंत्री सम्मान निधि का लाभ दिया जाता है, जो नरवाई जलाने वाले किसानों को नहीं मिलेगा।
पराली जलाने पर जुर्माना
पराली जलाने पर 2 एकड़ वाले छोटे किसानों को 2,500 रुपये का जुर्माना देना होगा। वहीं, 2 से 5 एकड़ के बीच वाले भूमिधारकों को 5 हजार का भुगतान करना होगा। इसी तरह 5 एकड़ से अधिक भूमि वाले किसानों को 15,000 रुपये का भुगतान करना होता है।
क्या है क्रीम (CREAM) - द कंसार्टियम फॉर रिसर्च ऑन एग्रोइकोसिस्टम मॉनीटरिंग एंड मॉडलिंग फ्रॉम स्पेस (CREAM) लेबॉरेटरी, आईएआरआई- भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली की एक अनुसंधान पहल है और इसका समन्वय संस्थान के फिजिक्स डिवीजन द्वारा किया जाता है। ये भारत में खेतों से लेकर क्षेत्रीय स्तर तक फसलों और फसल पर्यावरण के गुणात्मक और मात्रात्मक मूल्यांकन के लिए रिमोट सेंसिंग कृषि, मौसम विज्ञान और एग्रो-मॉडल के उपयोग में क्षमता निर्माण और अनुसंधान करता है। क्रीम (CREAM) लेबॉरेटरी के अध्ययन दल में आईसीएआर के उप महानिदेशक (एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग) डॉ. एच.एन. झा और डॉ. राजवीर सिंह हैं। साथ ही आईएआरआई के प्रिंसिपल साइंटिस्ट एवं नोडल ऑफीसर डॉ. वी.के. सहगल हैं।
1 से 24 अप्रैल 2025 तक म. प्र. के प्रमुख जिलों में नरवाई जलाने की घटनाएं
विदिशा - 3853
रायसेन - 2148
उज्जैन - 1861
होशंगाबाद - 1579
इंदौर - 1309
गुना - 1072
भोपाल - 920
प्रमुख राज्यों में नरवाई जलाने की घटनाएं
पंजाब - 130
हरियाणा - 147
उत्तर प्रदेश - 6895
मध्य प्रदेश - 24953
Comments