गुजरात में समर्थक की छत्रछाया कब तक बनी रहे कह नहीं सकते

राजनीति            Dec 05, 2022


विपुल रेगे।

इस बार का गुजरात चुनाव एक चुनाव है, जिसका अनुमान लगा पाना टेढ़ी खीर है। 27 वर्ष से सत्ता में बैठी भाजपा जीत के प्रति आश्वस्त है।

कल प्रधानमंत्री ने कहा कि गुजरात में भाजपा की सरकार बनने जा रही है।

प्रधानमंत्री के इस कथन से गुजरात भाजपा में उत्साह का संचार होगा।

विगत चुनाव में कांग्रेस ने बराबरी की टक्कर देते हुए भाजपा से लगभग 6.50 प्रतिशत वोट शेयर छीन लिया था, इसके बावजूद वह सरकार बनाने की स्थिति में नहीं आ सकी।

ऐसे समाचार हैं कि भाजपा ने चतुराई से काम करते हुए अपने विरोधियों (पाटीदार समाज) को शांत कर दिया और खोए हुए वोट प्रतिशत से कुछ प्रतिशत हासिल कर लिया।

ग्रामीण गुजरात और आदिवासी बहुल क्षेत्र की कहानियां अलग हैं और विकास की चमकदार राजनीति से दूर हैं।

प्रधानमंत्री ने चेतावनी दी थी कि कांग्रेस साइलेंट होकर काम कर रही है। इस बार कांग्रेस ने गुजरात में अपनी अधिकांश ताकत ग्रामीण में झोंक दी।

ग्रामीण में जनता असंतुष्ट है, इसका लाभ लेने के लिए कांग्रेस ने गांवों का रुख किया।

चूंकि गुजरात में कांग्रेस का संगठन भी भाजपा संगठन की तरह विस्तृत और मजबूत है, इसलिए वह ये कार्य कर सकी।

आम आदमी पार्टी के पास संगठन नहीं था,  इसकी कमी उसके अनूठे सॉफ्टवेयर ने पूरी की। कार्यकर्ताओं का फीडबैक सेम डे केजरीवाल की टेबल पर पहुंच जाता था।

भाजपा का सरकार बनाने का दावा सबसे मजबूत है, उसके पास २७ वर्ष का आधार और नरेंद्र मोदी की छवि है।

कांग्रेस के पास गुजरात के उन मतदाताओं की ताकत है, जिनकी अनदेखी की गई।

आम आदमी पार्टी इस ताक में है कि कुछ वोटर भाजपा के और अधिक वोटर कांग्रेस के खाकर कुछ सीट जीत सके।

प्रधानमंत्री की 30 रैलियां ये बताती हैं कि भाजपा को मोदी नामक बैसाखी से मुक्त होकर नए मोदी गढ़ने की आवश्यकता है।

यूक्रेन और 370 की बात राज्य के चुनाव में करना ये दर्शाता है कि 27 वर्ष की निष्कंटक सत्ता के बाद गुजरात भाजपा आमजन से दूर हो चुकी है।

वह उनकी तकलीफ की बात न कर विकास राग गाए जा रही है।

इसके बावजूद समर्थक ने मोदी के नाम पर वोट दिया है,  इस समर्थक की छत्रछाया कब तक बनी रहे, कह नहीं सकते।

 



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