ममता यादव।
फिलहाल मध्यप्रदेश कांग्रेस में अध्यक्ष कमलनाथ जो कहते हैं पार्टी की मीडिया विंग को या तो उसके विपरीत जवाब देना पड़ता है या कुछ ऐसा कह और कर दिया जाता है कि अध्यक्ष, मीडिया विंग और अन्य नेताओं के बीच के असमन्वय खुलकर बाहर आ जाता है।पत्रकारों के भोज के दौरान कमलनाथ द्वारा दिए गए बयान से बना माहौल अभी बदला भी नहीं था कि आज उनके बागेश्वर धाम जाने को लेकर उनके मीडिया सलाहकार रहे पंकज शर्मा ने सर्वे कर लिया और बता दिया कि 57 प्रतिशत लोग कमलनाथ के बागेश्वर धाम जाने को गलत मानते हैं।
मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और वर्तमान प्रदेश के कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ व उनकी टीम के बीच सामंजस्य की कमी साफ नजर आती है। शायद यही कारण है कि जब कमलनाथ मीडिया से कुछ कहते हैं तो उनकी टीम की तरफ से कुछ ओर ही कहा जाता है।
पहला मामला कांग्रेस नेता कमलनाथ ने भोपाल के पत्रकारों को भोज पर बुलाया और चर्चा में कहा कि मैं चुनाव नहीं लड़ूंगा, दूसरे दिन तमाम बड़े अखबारों और मीडिया में यह खबर साया थी लेकिन उसके साथ कांग्रेस की मीडिया टीम के पीयूस बबेले का बयान भी था कि यह मिथ्या प्रचार किया जा रहा है कमलनाथ जी ने ऐसा नहीं कहा।
दरअसल, ये मुद्दा पिछले सप्ताह भोपाल में कमलनाथ द्वारा दिए गए भोज से शुरू हुआ था, जहां उन्होंनेअनौपचारिक चर्चा के दौरान पत्रकारों से कहा कि वे अगला चुनाव नहीं लड़ेंगे। उन्होंने कहा- मैं एक सीट पर नहीं फंसना चाहता, मुझे सभी 230 सीट देखना है। बात फैली खबरें छपीं तो पार्टी की मीडिया विंग ने कहा कि नाथ ने ऐसी कोई घोषणा नहीं की है।
कांग्रेस पार्टी ने कहा कि कमलनाथ के चुनाव न लड़ने की ख़बर पूरी तरह ग़लत है। एमपी कांग्रेस पार्टी के ऑफिशल ट्विटर हैंडल से ट्वीट कर लिखा गया कि मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष कमलनाथ ने आगामी विधानसभा चुनाव नहीं लड़ने के विषय में कोई घोषणा नहीं की है। सोशल मीडिया पर चल रही इस तरह की खबरें पूरी तरह भ्रामक है।
इसी प्रकार का ताजा घटनाक्रम कमलनाथ के बागेश्चर धाम जाने को लेकर घट गया। कमलनाथ ने कल कहा कि वे बागेश्वर धाम जाएंगे और आज वे पहुंच भी गए इधर उनकी ही पार्टी के लोगों के बयान और सोशल मीडिया पर बागेश्वर धाम को लेकर की गई पोस्ट ने फिर कांग्रेस में असमन्वय की स्थिति को उजागर कर दिया।
कमलनाथ के पूर्व मीडिया सलाहकार पंकज शर्मा ने उनके बागेश्वार धाम जाने को लेकर सही-गलत की वोटिंग सोशल मीडिया पर करा डाली।
इतना ही नहीं इस वोटिंग के परिणाम में उन्होंने बताया कि 57% लोग उनके जाने को ग़लत बता रहे है।
इससे पहले नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह भी बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ विवादित बयान दे चुके हैं।
भाजपा प्रवक्ता नरेंद्र सलूजा ने इस पर सवाल पूछते हुए ट्विट किया है कि अब कमलनाथ किसके साथ हैं? क्या वो उनके बयानों पर माँफी माँगेंगे? यह कैसा दोहरा चरित्र? एक तरफ़ जा रहे है और दूसरी तरफ़ जाने की वोटिंग भी करा रहे हैं। बताया जा रहा है कि उनकी पार्टी के अल्पसंख्यक नेता भी उनसे इस यात्रा को लेकर भारी नाराज़ हैं।
बहरहाल पूर्व सीएम कमलनाथ छतरपुर के बागेश्वर धाम में आज यानी सोमवार 13 फरवरी को पहुंचे, यहां उन्होंने यहां उन्होंने बालाजी के दरबार में हाजिरी लगाई और पूजा – अर्चना की।
उन्होंने बंद कमरे में धाम के पीठाधीश्वर धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से दो मिनट मुलाकात भी की।
उन्होंने पत्रकारों से चर्चा में कहा कि हम तो हनुमान जी के दर्शन करने आए हैं। मैंने छिंदवाड़ा में सबसे बड़ा हनुमान मंदिर बनवाया है। 101 फीट ऊंची प्रतिमा लगी है वहां।
यहां मैंने प्रार्थना की है कि मध्यप्रदेश का भविष्य सुरक्षित रहे। प्रदेशवासियों के कल्याण की कामना की।
बहरहाल समन्वय की कमी के ऐसे जीवंत उदाहरण कांग्रेस के लिए खुद ही मुसीबन बन सकते हैं।
इसके पूर्व विधानसभा में अविश्वास प्रस्ताव और पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के सीएम के धरने के दौरान भी असमन्वय के ऐसे उदाहरण सामने आ चुके हैं।
पार्टी विद डिफरेंस के ऐसे उदाहरण आमतौर पर दलों की अंदरूनी राजनीति का हिस्सा होते हैं लेकिन यहां तो नेता और टीम के बीच समन्वय व डिफरेंस एक के बाद एक सामने आ जाते हैं और सोशल मीडिया पर भी वायरल हो जाते हैं।
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