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डीजीपी के आदेश को पटवारी ने बताया लोकतंत्र पर हमला और वर्दी का अपमान

राजनीति            Apr 26, 2025


मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्य प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने सरकार द्वारा पुलिस अधिकारियों को सांसदों और विधायकों को अनिवार्य रूप से सलामी देने संबंधी आदेश को "लोकतंत्र पर हमला और वर्दी का अपमान" करार दिया है।

एमपी के डीजीपी कैलाश मकवाना ने एक दिन पहले एक आदेश जारी किया है, जिसमें पुलिस अफसरों और कर्मचारियों को सांसदों और विधायकों को सैल्यूट करने के लिए कहा गया है। अब पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने सरकार पर हमला बोला है।

पटवारी ने एक वीडियो जारी कर सरकार द्वारा पुलिस अधिकारियों को सांसदों और विधायकों को अनिवार्य रूप से सलामी देने संबंधी आदेश को "लोकतंत्र पर हमला और वर्दी का अपमान" करार दिया है। उन्होंने कहा कि "जिस समय राज्य की कानून व्यवस्था रसातल में पहुंच चुकी हो, पुलिस खुद अपराधियों के निशाने पर हो, ऐसे समय में राज्य सरकार पुलिस को न्याय दिलाने की बजाय सत्ता के प्रतीकों के सामने झुकने का फरमान सुना रही है। यह आदेश जनतंत्र के बुनियादी सिद्धांतों और संविधान की आत्मा 'जनता सर्वोच्च है' का भी अपमान है।

पीसीसी चीफ जीतू पटवारी ने कहा कि प्रदेशभर में रेत, शराब, भू-माफिया और ट्रांसपोर्ट सिंडिकेट खुलेआम पुलिस को चुनौती दे रहे हैं। पिछले 06 महीने में पुलिस पर हमलों की दर्जनों घटनाएं, थानों पर हमले, जवानों को पीटना, राजनीतिक संरक्षण में अपराधियों को बचाना, लगातार हो रही ऐसी अनेक घटनाओं ने पुलिस की साख पर सवाल खड़े कर दिए हैं। एनसीआरबी के आंकड़े बताते हैं कि महिलाओं, बच्चों और दलितों के खिलाफ अपराध में मध्य प्रदेश टॉप पर है।

सरकार के निर्णय से असहमति जताते हुए पीसीसी चीफ ने कहा कि पुलिस का मनोबल पहले ही कमजोर है। वह एक ओर अपराधियों से लड़ रही है, तो दूसरी तरफ भाजपा नेताओं के दबाव से! अब यह आदेश उन्हें और भी कमजोर, झुका हुआ और भयभीत बना सकता है। पुलिस की निडर और निष्पक्ष कार्यप्रणाली में सत्ता दल के नेताओं का दखल बढ़ सकता है!

पटवारी ने सरकार से पूछे सवाल

  1. पुलिस की प्राथमिकता अपराध रोकना है या नेताओं को सलाम ठोकना? जब किसी मामले में विधायक थाने आकर दबाव बनाएंगे और पहले सलामी लेंगे, तब पुलिस स्वतंत्र जांच कैसे करेगी?
  2. क्या लॉ एंड ऑर्डर की स्थितियों में नेतागिरी के लिए पहुंचने वाले सांसदों को सैल्यूट देने के लिए पुलिस को ट्रेनिंग दी जाएगी? जब कानून व्यवस्था को नियंत्रित करने की स्थिति बनेगी, तब क्या पुलिस जनता को संभालेगी या नेताओं को सम्मान देगी?
  3. पब्लिक डोमेन में आने वाली खबरें बताती हैं कि माफिया सत्ताधारी नेताओं के संरक्षण में ही गैर-कानूनी कार्य करते हैं! सरकार के इस निर्णय से क्या उनके हौसले बुलंद नहीं होंगे?

पीसीसी चीफ ने दुष्परिणामों की जानकारी दी

  1. यह राजनीतिक दबाव का वैधानिककरण है, क्योंकि अब माफिया नेताओं के जरिए पुलिस पर ज्यादा दबाव बना सकेंगे।
  2. अब जनता का भरोसा ज्यादा डगमगाएगा और पुलिस की निष्पक्षता पर भी लोगों को शक होगा।
  3. सुरक्षा पंक्ति का आंतरिक अनुशासन टूटेगा और पुलिस विभाग में ऊंचे पदों पर बैठे अफसरों को भी "झुकना" सिखाया जाएगा।
  4. इस निर्णय से अफसरशाही का मनोबल टूटेगा, इसकी वजह है वरिष्ठ अधिकारियों की गरिमा पद से नहीं, सच्चे कर्तव्य से बनती है, जो इस आदेश से धूमिल होगी।

 


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