ममता यादव।
एक ऐसा आम इंसान जो जीवन भर कच्चे घर में रहा, जिसने पढ़ाई भी लालटेन की रोशनी में की हो। घर के खपरैल तक कभी पैसों के अभाव में पड़ोसी से तब ले लिए जब पड़ोसी मकान की छत पक्की कर रहा था।
ऐसे इंसान का एकमात्र ध्येय होता है कि वह अपने परिवार को कम से कम एक पक्की छत तो मुहैया करा दे।
यह किसी एक धर्म या जात के इंसान की की इच्छा या सपना नहीं होता। हर इंसान का होता है। भाजपा की सरकारों ने निचले तबके की इसी नब्ज को पकड़ा और आवासीय योजनाएं न सिर्फ लाई बल्कि तरीके लागू कीं।
ऐसा नहीं है कि पहले की सरकारें ऐसी कोई स्कीम लाई नहीं थीं, लाईं थीं पर उन योजनाओं को लागू करने में ढांचागत कमियां रहीं। इसलिए वह योजनाएं वैसे परवान नहीं चढ़ पाईं जैसी चढ़नी चाहिए थीं।
2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भी मैंने यह बात लिखी थी, कुटीर और प्रधानमंत्री आवास योजना भाजपा के पक्ष में जाएगी।
अब उत्तरप्रदेश में 4 चरणों की वोटिंग और उत्तरप्रदेश के साथियों से चर्चा के बाद मेरा निष्कर्ष यही निकलता है कि उत्तरप्रदेश के नतीजे चौंकाने वाले हो सकते हैं।
अप्रत्याशित का मतलब किसी के पक्ष में या खिलाफ नहीं है बल्कि कुछ ऐसा जो तमाम शास्त्रीय विश्लेषणों पर पानी फेर दे।
एक शब्द होता है अंडरकरंंट उत्तरप्रदेश में यह सपा भाजपा दोनों की तरफ अपनी—अपनी तरह से दिखाई देता है।
लेकिन अंडरकरंट के बावजूद भाजपा के पक्ष में जो एक चीज सकारात्मक है, वह हैं लाभार्थी योजनाएं। गांव—देहात में इसका असर साफ—साफ दिखता है।
परंपरागत जातीय समीकरणों से परे नमक का कर्ज अदा करने का दावा करने वाले बहुत से गरीब-गुरबा टाइप लोग दिखाई दे रहे हैं। ये याद रखना चाहिए 2014, 2017 और 2019 ऐसे ही वोटरों ने प्रचंड सफलता दिलाई थी।
आवारा पशु एक ऐसा मुद्दा है, जिसपर हर कोई बात कर रहा है, चाहे वो भाजपा का कोर वोटर ही क्यों ना हो। ये एक ऐसा सवाल बन चुका है कि प्रधानमंत्री तक को रैलियों में इसे लेकर सफाई देनी पड़ रही है। दूसरी तरफ अखिलेश सांड़ के हमले के हमले के शिकार लोगों को मुआवजा देने की बात कर रहे हैं।
लाभार्थी योजनाओं के अलावा भाजपा का कैंपेन नकारात्मक लगता है। जो राम को लाए हैं हम उनका लाएंगे जैसी लाईनों से लोग न तो कनेक्ट हो पा रहे हैं न ही बहुत उन्हें फर्क पड़ता है। एक तबका सीधे कहता है कि राम को ये कैसे लाए? मंदिर बनवा रहे हैं सच है मगर राम को ये कैसे ला सकते हैं? उत्तरप्रदेश भाजपा की ब्रांडिंग टीम ने इस लाईन को गढ़ते पढ़ते और आगे बढ़ाते समय ज्यादा ध्यान नहीं दिया या इस पहलू पर सोचा ही नहीं कि राम ईश्वर हैं उन्हें लाया नहीं जा सकता। वो तो पहले से अयोध्या उत्तरप्रदेश में हैं। देश के कण—कण में हैं।
बावजूद इसके योगी के कुछ सख्त कदमों ने जनता के एक वर्ग में खास जगह बनाई है।
दूसरी तरफ अखिलेश के कैंपेन में नई स्कीम्स की बात होती है। लेकिन वह भी नई पैकिंग में पुराना माल टाईप ही प्रतीत होती है। पुरानी पेंशन स्कीम को छोड़ दें तो गर्वनेंस,और रोजगार, महिला सुरक्षा वही पुराने मुद्दे हैं।
कांग्रेस की लड़की है लड़ सकती है लाईन ने ठीक ठाक क्रीज पकड़ी थी मगर प्रियंका गांधी के बिकनी बुर्का वाले स्टेटमेंट ने इस लड़ाई को कमजोर कर दिया।
अभी तक के आकलन के आधार पर यही कहा जा सकता है कि समाजवादी पार्टी फ्रंटफुट पर खेल रही है और भाजपा अंडरप्रेशर है। लेकिन नतीजों पर पहुंचना या उसके बारे में कुछ भी कहना जल्दबाजी हो सकती है।
वैसे हो तो यह भी सकता है कि खिचड़ी सरकार बनने की नौबत आये और बसपा किंगमेकर साबित हो। ऐसे में भाजपा की सरकार बनने के चांस ज्यादा हैं।
बाकी तो जो जिस विचारधारा की तरफ है उसी की पार्टी सोशल मीडिया पर रोज जीत रही है।
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