क्या अनुपस्थित विधायकों के खिलाफ व्हिप उल्लंघन की कार्यवाही करेगी कांग्रेस

राजनीति            Dec 22, 2022


मल्हार मीडिया भोपाल।

मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाकर कांग्रेस सदन में तो धराशाई हो चुकी है अब उसके सामने एक नया धर्मसंकट है। क्योंकि व्हिप उल्लंघन करने वाले नेताओं के खिलाफ कार्यवाही की बात की जाने लगी है।

समस्या यह है कि खुद कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ भी सदन से अनुपस्थित रहे और अन्य विपक्षी विधायक भी।

गौरतलब है कि मध्यप्रदेश सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने के पूर्व नियमानुसार विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने व्हिप जारी किया था।

जिसके अनुसार विपक्ष के सभी नेताओं को 19 नवंबर से 23 नवंबर सदन में उपस्थित रहना था मगर अविश्वास विधानसभा द्वारा स्वीकृत करने के दूसरे ही दिन से पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ सदन से अनुपस्थित रहे।

 अन्य विधायकों में जयवर्धन सिंह और शशांक भार्गव संजय शुक्ला  विशाल पटेल के अलावा आज बाला बच्चन भी अनुपस्थित थे।

भाजपा प्रवक्ता सलूजा ने ट्वीट करते हुए कहा है कि जिस समय कांग्रेस के विधायक, पार्टी व्हिप का पालन कर सदन में अविश्वास प्रस्ताव पेश कर रहे थे , तब उनके नेता जी दो विधायकों के साथ सिरोंज में थे…

और जब कांग्रेस विधायक सदन में इस प्रस्ताव पर चर्चा कर रहे थे , तब उनके नेताजी दो अन्य विधायकों के साथ दिल्ली में शादी समारोह में थे।

ना वो सिरोंज से दोपहर में सदन  में वापस लौटे और ना रात में दिल्ली में शादी समारोह के बाद सदन लौटे और कांग्रेस का नेतृत्व करने वाला सदन में कोई नज़र नहीं आया , अविश्वास प्रस्ताव टाँय-टाँय फ़िस्स साबित होकर औंधे मुँह धाराशाही हो गया।

कांग्रेस का आपसी अविश्वास फिर सामने आ गया।

गौरतलब है कि आज गुरूवार 22 दिसंबर को विपक्ष द्वारा सरकार के खिलाफ लाए गए अविश्वास प्रस्ताव पर मुख्यमंत्री शिवराज का जवाब आना था।

मगर आज कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष कमलनाथ, नेता प्रतिपक्ष डॉ गोविंद सिंह के अलावा विधायक बाला बच्चन सहित कुछ अन्य विधायक भी सदन से अनुपस्थित थे।

ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या कांग्रेस पार्टी व्हिप उल्लंघन करने वाले विधायकों पर कार्यवाही करेगी।

लेकिन दूसरा सवाल यह भी है कि नेता प्रतिपक्ष क्या पार्टी प्रदेश अध्यक्ष पर कार्यवाही कर पाएंगे?  

क्या होता है व्हिप

जब भी फ्लोर टेस्ट होता है तो पार्टी अपने विधायकों के लिए व्हिप जारी करती है। दरअसल व्हिप विधायकों को क्रॉस वोटिंग से रोकने के लिए जारी की जाती है।

व्हिप किसी भी राजनीतिक दल का एक अधिकारी होता है, जिसका काम विधायिका में पार्टी अनुशासन सुनिश्चित करना होता है, इसे सचेतक भी कहा जाता है।

आसान भाषा में समझें तो इसका मतलब होता है कि संगठन के इस व्यक्ति को यह सुनिश्चित करना है कि पार्टी के सदस्य अपनी व्यक्तिगत विचारधारा या अपनी इच्छा की बजाय पार्टी द्वारा तय किए नियमों या फैसलों को फॉलो करें।

जब फ्लोर टेस्ट होता है तो पार्टी व्हिप के जरिए अपने सभी सदस्यों को एक करती है और उन्हें विधायिका में उपस्थित होने का आदेश देती है।

तीन तरह के व्हिप होते हैं- एक लाइन का व्हिप, दो लाइन का व्हिप और तीन लाइन का व्हिप।

वन लाइन व्हिप में सदस्यों को वोट के लिए जानकारी दी जाती है। इस स्थिति में पार्टी सदस्य अपने हिसाब से फैसला ले सकते हैं।

वहीं एक व्हिप होता है, जिसे टू लाइन व्हिप कहा जाता है। टू-लाइन व्हिप में सदस्यों को निर्देश दिया जाता है कि वो वोटिंग के वक्त सदन में मौजूद रहें और इसमें वोटिंग के लिए खास निर्देश जारी किए जाते हैं।

थ्री लाइन व्हिप में सदस्यों का कहा जाता है कि वो पार्टी लाइन के हिसाब से ही वोट दें. ये सबसे सख्स व्हिप माना जाता है।

व्हिप का उल्लंघन करने पर दलबदल कानून के तहत सदन से बर्खास्तगी की कार्रवाई तक की जा सकती है।

 



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