राकेश कायस्थ।
राहुल गांधी ने जीएसटी को गब्बर सिंह टैक्स कहा। बयान सोशल मीडिया पर वायरल हुआ। न्यूज़ चैनलों ने भी जमकर बाइट चलाई। राहुल के राइटर और उनकी सलाहकार मंडली को याद रखना चाहिए कि भाषण की यह शैली नरेंद्र मोदी की है।
हर चीज़ में शब्द संक्षेप बनाना और जगदीप स्टाइल की तुकबंदी ये दो ऐसी विधाएं हैं, जिन्हें नरेंद्र मोदी अपने ऑरिजनल स्टाइल के रूप में विकसित किया है और उनके ज़रिये खूब कामयाबी बटोरी है।
लेकिन जनता तीन साल में इस स्टाइल से पकने लगी है। उसे कुछ नया चाहिए। राहुल गांधी की भाषण शैली नरेंद्र मोदी से बिल्कुल अलग है। उसमें मेलो ड्रेमेटिक इफेक्ट नहीं है। वीर रस नहीं है। फिर भी एक तरह का असर है।
राहुल पिछले छह महीने में एक कम्युनिकेटर के तौर पर अप्रत्याशित रूप से मंजे हैं। वे सवालों का सामना करते नज़र आते हैं और बयान देने में गलतियां कम करते हैं। राहुल बार-बार कह रहे हैं कि मुझमें और मोदीजी में बुनियादी फर्क यह है कि वे सिर्फ बोलते हैं और मैं सुनता हूं।
नरेंद्र मोदी और राहुल राहुल गांधी दो अलग-अलग शख्सियतें हैं। अगर राहुल को एक वक्ता के रूप में असरदार साबित होना है तो उन्हें भूले से भी मोदी के जोन में कदम नहीं रखना चाहिए। उन्हे वैसे ही शब्दों का चयन करना चाहिए जो उनकी पर्सनैलिटी को सूट करता है। कद्र हमेशा ऑरिजनल की होती है, डुप्लीकेट माल की नहीं।
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