मल्हार मीडिया।
प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान 11 दिसम्बर, 2016 से 05 मई, 2017 तक राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित 144 दिवसीय ‘‘नमामि देवी नर्मदे’’ यात्रा जारी किये हुए हैं, अपने 11 वर्षीय कार्यकाल में ‘‘माँ नर्मदा’’ को अपने परिजनों को बेशुमार संपत्ति उपार्जित करने का माध्यम बनाने वाले मुख्यमंत्री से कांग्रेस पार्टी प्रदेश के व्यापक हितों में यह जानना चाहती है कि चुनाव की नजदीकियों को दृष्टिगत रख उन्हें अब ‘‘माँ नर्मदा’’ की याद क्यों आई?
पार्टी ने मुख्यमंत्री पर सीधा आरोप लगाते हुए कहा है कि गत् 01 दिसम्बर, 16 को मुख्यमंत्री जी की उपस्थिति में इस आयोजन को लेकर राजधानी के प्रशासनिक अकादमी में नर्मदा सेवा यात्रा-2016 की कार्ययोजना तय करने के लिए संपन्न राज्य-स्तरीय बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा था कि ‘‘नर्मदा मध्यप्रदेश को जीवन देती है, इसके लिए नागरिकों की भी जिम्मेदारी है कि नर्मदा कि लिए अपने कर्तव्यों का पालन करें।’’ यह शब्द माँ नर्मदा के सम्मानार्थ तो स्तुत्य है, किन्तु मुख्यमंत्री जी के ही गृह जिले सीहोर, इटारसी, इछावर, नसरूल्लागंज, छीपानेर, शाहगंज, बुधनी, होशंगाबाद, आंबाजदीद, मंडी, सातदेव, सीलकंठ, नीलकंठ, बडगांव और डिमावर के तटीय रेत घाटों से प्रतिदिन 800 से 1000 ट्रक-डम्पर अवैध रूप से रेत का उत्खनन और परिवहन कर रहे हैैं। इनसे संबद्ध घाटों पर 30 से 50 पोकलीन और जेसीबी मशीनें न केवल चल रही हैं, बल्कि 1200 नावें, 500 से अधिक हाईवा व ट्रक, इससे अधिक ट्रेक्टर-ट्राली और लगभग 3 से 4 हजार मजदूर इस अवैध कारोबार को अंजाम देते हुए निरंतर दिखाई दे रहे हैं। रेत माफियाओं ने रेत चोरी करने के लिए सीहोर जिले की सीमा जोशीपुर-जर्रापुर की ओर नर्मदा नदी पर 600 मीटर लंबा अस्थायी पुल भी बना दिया है। जहां से रात-दिन ट्रालिया-डम्परों की आवाजाही व यह भयावह आपराधिक दृश्य देखा जा सकता है। जीवन दायिनी ‘माँ नर्मदा’ के प्रति सम्मान दिये जाने की गुजारिश करने वाले मुख्यमंत्री जी क्या कृपापूर्वक यह भी बतायेंगे कि उक्त वर्णित राजनैतिक संरक्षण प्राप्त अपराध को रोकने की जिम्मेदारी भी किसकी है और राज्य सरकार ने इसे रोकने के लिए अपने किन और कौन से कर्तव्यों का पालन किया है? यही नहीं, मुख्यमंत्री जी यह भी सार्वजनिक करें कि माँ नर्मदा नदी से इस रेत के अवैध भंडारण, उत्खनन, परिवहन और कालाबाजारी करने वाला यह समूह आखिरकार कौन है?
मिश्रा ने कहा कि उक्त उल्लेखित स्थानों से बिना नंबर प्लेट/ टैक्स/ पंजीयन/ फिटनेस, के आधार पर चलने वाले ट्रकों-डम्परों, जेसीबी, फोकलेन मशीनों पर चौहान इंटरप्राईज व चौहान ब्रदर्स लिखा हुआ है। इन वाहनों के मालिक कौन है, इससे जुड़े एस.एस. चौहान, तुलाराम चौहान, प्रद्यम्नसिंह चौहान, बबलू चौहान और ए.पी.एस. चौहान (पटेल) कौन, किसके रिश्तेदार है, सार्वजनिक होना चाहिए? आखिरकार क्या कारण है कि किसी भी आकस्मिक दुर्घटना में मृतकों के प्रति अपनी कथित संवेदना और आर्थिक सहायता तुरंत प्रदान करने वाले मुख्यमंत्री जी ने रेत माफियाओं द्वारा अवैध परिवहन कर ट्रक-डम्परों से टक्कर मारकर मौत के घाट उतारकर इसकी रोकथाम करने वाले पुलिस, वन और खनिज अधिकारियों/ कर्मचारियों को श्रद्धांजलि तक भी क्यों नहीं दी?
उल्लेखनीय है कि गत् मंगलवार को मुख्यमंत्री ने कहा था कि अब किसी भी विभाग में भ्रष्टाचार हुआ तो अफसर के साथ मंत्री भी होंगे जिम्मेदार?’’ मुख्यमंत्री जी, कांग्रेस के इतने प्रामाणिक और गंभीर आरोपों को लेकर अब आप किसे जिम्मेदार मानते हैं?
मंगलवार को ही मुख्यमंत्री ने ‘‘समाधान ऑनलाईन’’ से समस्याऐं निपटाने को लेकर जिला अधिकारियों की अगंभीरता पर उन्हें उत्तदायी ठहराने की बात की है, वहीं 26 जनवरी को इस क्षेत्र में अच्छा काम करने वाले जिन अधिकारियों को सम्मानित किये जाने की सरकार की ओर से जो सूची जारी की गई है, उसमें मुख्यमंत्री जी के परिवार के आर्थिक हितों का ‘‘ऑफ लाईन समाधान’’ करने वाले जिला परिवहन अधिकारी, सीहोर प्रमोद कापसे का नाम भी शामिल है, इसे क्या कहा जायेग...? क्या यह सम्मान मुख्यमंत्री जी के गृह जिले सीहोर में रेत का अवैध उत्खनन, भंडारण और परिवहन करने वालों के हितों के संरक्षण में दिया जा रहा है?
वैसे तो प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा 11 वर्षों में लगभग 11 हजार झूठी घोषणाऐं करने वाले ‘‘घोषणावीर मुख्यमंत्री’’ के रूप में ख्याति अर्जित कर हो चुके हैं। यह आरोप कांग्रेस का नहीं, अपितु इस आरोप की पुष्टि उन्हीं की पार्टी के वरिष्ठतम भाजपा नेता व पूर्व राज्यसभा सदस्य श्री रघुनंदन शर्मा ने गत् वर्षों की थी। इन 11 वर्षों में विभिन्न लोकसभा, विधानसभा, नगरीय निकायों के संपन्न चुनावों / उपचुनावों में मुख्यमंत्री जी द्वारा उस क्षेत्र को स्मार्ट/ आदर्श बनाना, करोड़ों रूपयों के विकास कार्यों की झूठी घोषणाऐं करना, किसानों को खाद-बीज, फसल नुकसानी का मुआवजा, बीमा राशि, खेती को लाभ का धंधा बनाना, बेरोजगारों को रोजगार देने, स्कूल, कॉलेजों, स्टेडियमों, नलकूप, कुंआ, तालाब, स्टॉप डेम आदि के निर्माणों की थोथी घोषणा करना आम बात हो चुकी है, उसी श्रंृखला में प्रदेश के घोषणावीर मुख्यमंत्री जी का यह प्रामाणिक झूठ कांग्रेस के उक्त आरोपों को स्पष्ट कर रहा है।
ऐसी ही एक घोषणा का प्रामाणिक झूठ अब सामने आया है, जिसमें मुख्यमंत्री जी ने गुना जिले के ग्राम पंचायत म्याना ग्राम बजरंगगढ़, ग्राम पंचायत बम्होरी, रामपुर कॉलोनी को नगरीय निकाय चुनाव के दौरान नगर पंचायत बनाने की घोषणा 17 सितम्बर, 2008 को साढ़ोरा में संपन्न आमसभा को संबोधित करते हुए की थी। दुर्भाग्य से इस चुनाव में भाजपा प्रत्याशी की करारी हार हो गई, जिससे क्षुब्ध घोषणावीर मुख्यमंत्री ने आज तक ग्राम पंचायत म्याना को अपनी पूर्व घोषणा के अनुरूप नगर पंचायत का दर्जा नहीं दिया।
गुना जिले से निर्वाचित कांग्रेस विधायक महेन्द्रसिंह सिसोदिया ने इस बाबत् 24 फरवरी, 2015 को शीतकालीन सत्र के दौरान अपने तारांकित प्रश्न के उत्तर में जब जानकारी चाही, तब तत्कालीन नगरीय प्रशासन मंत्री श्री कैलाश विजयवर्गीय ने सदन को जानकारी दी कि ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है। जब कांग्रेस विधायक श्री सिसोदिया ने अपने निजी स्त्रोतों से जानकारी हासिल की, तो गुना जिले के तत्कालीन कलेक्टर श्री मुकेश गुप्ता द्वारा पत्र क्रमांक/ मु0म0घो0/ 2008/ 913, दिनांक 24.9.2008 को प्रमुख सचिव, मप्र शासन, नगरीय प्रशासन एवं विकास विभाग, भोपाल को लिखा हुआ एक पत्र मिला, जिसमें कलेक्टर ने ग्राम पंचायत म्याना को नगर पंचायत का दर्जा प्रदान करने हेतु 17 सितम्बर, 2008 को मुख्यमंत्री के म्याना, जिला गुना प्रवास के दौरान की गई घोषणा के क्रियान्वयन हेतु प्रस्ताव ठहराव आवश्यक कार्यवाही हेतु संलग्न कर प्रेषित किये जाने का मामला सामने आया है।
यह मुख्यमंत्री द्वारा परोसे गये झूठ और प्रदेश विधानसभा में सरकार की गलत बयानी को लेकर विशेषाधिकार हनन से जुड़ा हुआ गंभीर मामला है। कांग्रेस, मुख्यमंत्री द्वारा की गई झूठी घोषणाओं और विशेषाधिकार हनन का मामला विधानसभा में उठायेगी।
Comments