मल्हार मीडिया ब्यूरो।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को मध्यप्रदेश विधानसभा चुनाव 2013 को लेकर दायर एक याचिका पर प्रदेश के सीएम शिवराजसिंह चौहान, बीजेपी महासचिव कैलाश विजयवर्गीय सहित 11 लोगों को नोटिस जारी किए हैं। यह याचिका इंदौर के महू विस सीट से कांग्रेस के प्रत्याशी अंतरसिंह दरबार द्वारा दायर की गई थी। दरबार ने चुनाव के दौरान जनता को प्रलोभन दिए जाने के संबंध में सीएम और विजयवर्गीय सहित अन्य के खिलाफ मप्र हाईकोर्ट के इंदौर खंडपीठ में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने अंतरसिंह दरबार की याचिका पर फैसला सुनाते हुए कैलाश विजयवर्गीय की विधायकी बरकरार रहने के आदेश दिए थे। जिसके बाद दरबार सुप्रीम कोर्ट में हाईकोर्ट के फैसले को लेकर याचिका दायर की थी।
2013 मप्र के महू विस क्षेत्र से बीजेपी की ओर से चुनाव लड़ा था। उनके विपक्ष में में कांग्रेस ने अंतरसिंह दरबार को चुनाव मैदान में उतारा था। चुनाव में विजयवर्गीय की जीत हुई थी, जिसके बाद दरबार ने यह कहते हुए इस जीत को 20 जनवरी 2014 को विजयवर्गीय के खिलाफ हाईकोर्ट में चुनौती दी थी कि सीएम और विजयवर्गीय ने वोटरों को चुनाव के दौरान प्रलोभन दिया था।
करीब साढ़े तीन साल चली सुनवाई में 100 से भी ज्यादा तारीख लगी, जिसमें 91 पेशियां हुईं, जहां याचिकाकर्ता ने 75 दस्तावेज सहित 5 सीडी कोर्ट में पेश की थी। नवंबर 2017 में कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए विजयर्गीय की विधायकी बरकरार रखी थी। कोर्ट ने कहा था कि याचिकाकर्ता द्वारा लगाए गए आरोप सिद्ध नहीं हो पाए। हाईकोर्ट से आए फैसले के बाद अंतरसिंह दरबार ने सुप्रीम कोर्ट की राह पकड़ी थी। दरबार की ओर से 21 और विजयवर्गीय की ओर से 15 के हुए थे बयान
हाईकोर्ट में याचिका की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता अंतरसिंह दरबार की ओर से 21 गवाहों ने अपने बयान दर्ज करवाए थे, जबकि कैलाश विजयवर्गीय की ओर से 15 लोग पहुंचे थे।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सीएम और वियजवर्गीय सहित 11 को नोटिस जारी होने पर कांग्रेसियाों में उत्साह की लहर दौड़ गई है। याचिकाकर्ता अंतरसिंह दरबार ने कहा कि यह हमारी जीत है। हालांकि यह आधी जीत है, जो फैसला हमारे पक्ष में आने के बाद पूरी हो जाएगी। सुप्रीम कोर्ट से हमें जरूर न्याय मिलेगा। वहीं राजनीति विशेषज्ञों का कहना है कि इस निर्णय का असर आगामी विस चुनाव पर पड़ सकता है। महू विस सीट को बीजेपी विधायक कैलाश विजयवर्गीय लगातार दो बार से जीत रहे हैं, हालांकि उनके जीत का अंतर काफी कम रहा है। ऐसे में ये फैसला वोटरों का मन बदल सकता है।
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