Breaking News

अनाथ शावकों को जंगली बनाने के लिए बांधवगढ़ प्रबंधन कर रहा है मशक्कत

राज्य            Jan 31, 2017


उमरिया से सुरेन्द्र त्रिपाठी।

मध्यप्रदेश के उमरिया जिले में स्थित संजय गाँधी टाइगर रिजर्व में अनाथ हुए तीन बाघ शावकों को जंगली बनाने की जद्दोजहद में यहां का प्रबंधन जुटा हुआ है। बांधवगढ़ में एक पिंजरे में कैद ये वही बाघ शावक है जिनकी बाघिन माँ बीते दिनों शिकारियों द्वारा लगाये गए करंट के जाल में फंसकर मौत का शिकार हो गई थी। अठखेलियाँ करते इन शावकों को देखकर भले ही ये अंदेशा न लगे कि ये अनाथ नहीं है मगर सच्चाई यही है कि प्राकृतिक परिवेश से इतर ये बाघ शावक कत्रिम वातावरण में पल रहे हैं। दो माह के इन शावकों को माँ की कमी न खले इसका पूरा प्रयास टाइगर रिज़र्व प्रबंधन द्वारा किया जा रहा है। गौरतलब है कि संजय टाइगर रिज़र्व में मृत बाघिन के तीन शावकों को बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व में लाया जाकर उनका लालन पालन किया जा रहा है। वनकर्मी योगेन्द्र सिंह परिहार बताते है कि हम लोग सुबह से इन बच्चों को धूप में ले आते हैं, शाम होते ही भीतर कर देते हैं हर दो घंटे में इनको खाने को देते हैं और हर बात पर नजर रखते हैं।

पार्क प्रबंधन की मानें तो पूरी दुनिया में यह अकेला ऐसा मामला है जिसमें इतने कम उम्र के शावकों को वाइल्ड एनीमल बनाने का काम किया जा रहा है। काम कठिन है लेकिन प्रयास पूरे किये जा रहे हैं। बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के फील्ड डायरेक्टर मृदुल पाठक का कहना है कि पहले भी टाइगर कब्स को वाइल्ड बनाने के लिए प्रयास किये गए हैं। बांधवगढ़ में तो पहले भी जो तीन टाइगर कब्स अपनी मां के मरने के कारण अकेले हो गए थे उनको जंगली माहौल में ही बड़ा किया गया था। उनमें से एक संजय गांधी टाइगर रिज़र्व में है दूसरा बांधवगढ़ में है और उसने अपनी खुद की टेरेटरी बना ली है। उसके बच्चे भी हैं और वो जंगली ही है। वह अपना स्वभाविक जीवन जी रहा है। इन बच्चों की जब क्रिटिकल कंडीशन पार हो जाती है तो इसके उपरांत सुनिश्चित रूप से जंगली माहौल में ही इनहें पाला जाएगा अन्यथा उनको बांधवगढ़ रखे जाने का कोई ओचित्य नहीं है। ऐसी स्थिति में अगर उनको स्वभाविक माहौल में नहीं पलने बढ़ने दिया गया तो आगे परेशानी होगी। किसी जू में रख कर उनको कैडर किया जा सकता है परन्तु इनको जू में इसलिए नहीं रखा जा रहा है कि हम इनको वाइल्ड टाइगर के रूप में बढ़ें और हमारा लक्ष्य यही है।

 

शावकों के सरक्षण में तैनात वन्य जीव चिकित्सक डाक्टर नितिन गुप्ता का कहना है कि शुरुआत में जब इनको लेकर आये थे तो इनकी स्थिति गंभीर थी। खाना भी काफी मुश्किल था। धीरे—धीरे फीड शुरू किया। तो उन्हें थोड़ी समस्या हुई तो दवाई दी गई। इनको करीब आठ दिन हो गए, अब इनको सख्त खाना भी देना शुरू कर दिया गया है। इनको चिकन कीमा बना कर दे रहे हैं, अब धीरे – धीरे उसकी मात्रा बढ़ा रहे हैं। सुबह बकरी का दूध देते हैं धूप आ जाने पर बाहर निकाला जाता है कवर करके रखते हैं। जो इनके केयर टेकर हैं वही इनके पास जा पाते हैं। अभी स्थित गंभीर है। एक– डेढ़ महीने तक कुछ कहा नहीं जा सकता है।

बांधवगढ़ टाइगर रिज़र्व के ऑफिसियल कार्नर में बाघ शावकों की चहल कदमी किसी जंगल बुक के मोगली से कम नहीं है देखना है कि जंगल में पैदा होकर उसका राजा बनने की हैसियत रखने वाले बाघ शावकों को पार्क प्रबंधन कृत्रिम सरंक्षण देकर असली राजा बना पाता है या नहीं।
 



इस खबर को शेयर करें


Comments