कप्तानी ऐसा बोझ है जिसका असर परफॉर्मेंस पर पड़ ही जाता है

स्पोर्टस            Jan 07, 2025


ओम प्रकाश।

विराट कोहली अगर 2 साल (2025-2027) तक टेस्ट क्रिकेट खेलते हैं, तो चयनकर्ताओं को उनसे कप्तानी के लिए बात करनी चाहिए. अगर विराट टेस्ट में टीम इंडिया की कप्तानी करने के लिए राजी हो जाते हैं तो इसमें भारतीय क्रिकेट की भलाई है, रोहित शर्मा आगे खेलेंगे या नहीं खेलेंगे, खेलेंगे भी तो कितने टेस्ट खेलेंगे यह उन पर और चयनकर्ताओं पर निर्भर है.

वैसे, बतौर कप्तान ऑस्ट्रेलिया में बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफी में रोहित की जो परफॉर्मेंस रही, हो सकता है आगे के लिए सिलेक्टर्स उन्हें कंसीडर न करें.

कप्तानी ऐसा बोझ है जिसका असर परफॉर्मेंस पर पड़ ही जाता है. बीते एक दशक की बात करें तो विराट ने टीम की कप्तानी करते हुए 50 से ज्यादा के औसत से टेस्ट में रन बनाए. उनके बाद चाहे केएल राहुल हों या रोहित शर्मा टेस्ट में कप्तानी करते हुए उनके बैटिंग औसत में गिरावट आई है. किंग कोहली ने टेस्ट में कप्तानी करते हुए 54.80 के बैटिंग एवरेज से रन बनाए हैं.

वहीं, प्लेयर के तौर पर टेस्ट में उनका बल्लेबाजी औसत 37.40 है. रोहित शर्मा टेस्ट में प्लेयर के रूप में सफल रहे हैं. उनका बल्लेबाजी औसत 46.87 का है, जबकि कप्तान के तौर पर उनका टेस्ट बैटिंग एवरेज 30.58 का रहा है. इनके अलावा टेस्ट में केएल राहुल का बैटिंग एवरेज कप्तान के रूप में 19.16 और खिलाड़ी के तौर पर 34.52 का है.

अब बात आती है कि टीम मैनेजमेंट विराट को दोबारा टेस्ट कप्तान बनाएगा या नहीं. वैसे मेरा मानना है विराट को दोबारा टेस्ट कप्तान बना देना चाहिए. हालांकि सौरव गांगुली से लेकर अब तक कप्तानी छोड़ने वाले प्लेयर को दोबारा कप्तान नहीं बनाया गया है.

लेकिन, उससे पहले मोहम्मद अजहरुद्दीन और सचिन तेंदुलकर को दोबारा टीम इंडिया का कप्तान नियुक्त किया गया था. विराट को दूसरी बार कप्तानी देने में हर्ज क्या है? फिलहाल उनसे बढ़िया विकल्प बीसीसीआई के पास नहीं है.

मैं व्यक्तिगत तौर पर जसप्रीत बुमराह को कप्तान बनाने के पक्ष में नहीं हूं. बुमराह में पैट कमिंस, शॉन पोलॉक, वसीम अकरम और कोर्टनी वाल्श वाली फिटनेस नहीं है, जो कप्तानी करते हुए 8-10 टेस्ट लगातार खेल लेंगे. अॉस्ट्रेलिया दौरे पर पांचवें टेस्ट तक उनकी हालत खस्ता हो गई थी.

बुमराह का बॉलिंग एक्शन गैर-परंपरागत है जिसके चलते उन्हें पहले भी पीठ में दिक्कत आई थी, और बाद में भी परेशानी आती रहेगी. फिर, बुमराह का यह स्वर्णिम समय चल रहा है, ऐसे में टीम मैनेजमेंट को उन पर कप्तानी का अतिरिक्त भार नहीं डालना चाहिए. बुमराह का वाइस कैप्टन बने रहना ठीक है.

लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं।

 

 


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