ओम प्रकाश।
फ्रैंक चेस्टर इसलिए मशहूर नहीं हुए कि उन्होंने अचूक अंपायरिंग की.
एक हाथ होने के बावजूद उन्होंने जिस तरह 31 साल तक अंपायरिंग की वो कहीं ज्यादा मायने रखता है.
इंग्लैंड से ताल्लुक रखने वाले फ्रैंक चेस्टर ने कभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट नहीं खेली. फर्स्ट क्लास क्रिकेटर के तौर पर उन्होंने इंग्लिश काउंटी वॉरसेस्टरशायर के लिए 55 मैच खेले थे.
उसके बाद ग्रीस के शहर सालोनिका जाकर सेना ज्वाइन कर ली.
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उन्होंने अपना दाहिना हाथ खो दिया. जिसके चलते उनके क्रिकेट करियर पर विराम लग गया.
इसके बाद फ्रैंक चेस्टर ने नकली हाथ लगवाया और अंपायरिंग का रुख किया. वह 1924 से लेकर 1955 तक 48 टेस्ट मैचों में अंपायर रहे. इस दरम्यान उन्होंने एक हजार प्रथम श्रेणी मैचों में भी अंपायरिंग की.
सर डॉन ब्रेडमैन उनसे बहुत मुतअस्सिर थे. एक बार ब्रेडमैन ने कहा था," चेस्टर महानतम अंपायर थे जिनकी अंपायरिंग में मैंने क्रिकेट खेली." चेस्टर क्रिकेट जगत के एक और नायाब अंपायर सिड बुलर के समकालीन थे.
फ्रैंक चैस्टर की जीवटता देखिए, एक हाथ के थे, अल्सर के मरीज थे, कभी-कभी मैच के दौरान पेट दर्द के मारे कराहते रहते.
लेकिन उस दर्द को कभी अंपायरिंग पर हावी नहीं होने दिया.
उनके दिए गए निर्णय सौ फीसदी सही होते. चेस्टर ने अंपायरिंग के दौरान जो साहस दिखाया उससे दूसरे अंपायरों को भी प्रेरणा मिली.
साल 1931 में लंदन के ओवल मैदान पर सरे और यॉर्कशायर के बीच काउंटी चैंपियनशिप का मैच खेला गया. इस मुकाबले में फ्रैंक चेस्टर और डेनिस हेंड्रेन को अंपायर नियुक्त किया गया. अभी मैच में तीन ओवर फेंके गए थे.
चेस्टर को पिच की स्थिति ठीक नहीं दिखी उन्होंने मैच रोक दिया. मैदान पर मौजूद दर्शकों को यह बात नागवार गुजरी.
वे मैदान पर जाकर चेस्टर से भिड़ गए, उन्हें परेशान किया और लाते मारीं.
एक हाथ होने कि वजह से चेस्टर अपना बचाव भी नहीं कर पाए.
भीड़ ने दूसरे अंपायर डेनिस हेंड्रेन को भी नहीं बख्शा. उनके साथ भी धक्कामुक्की की.
डेनिस हेंड्रेन इंग्लैंड के मशहूर क्रिकेटर पैटसी हेंड्रेन के बड़े भाई थे.
इतना सब होने के बाद अपराधी बच निकले. इस घटना ने दिन का खेल बेमजा कर दिया था.
लेखक क्रिकेट के जानकार हैं।
Comments