ओम प्रकाश।
13 नवंबर को इंग्लैंड बनाम पाकिस्तान टी-20 वर्ल्ड कप फाइनल के दौरान रवि शास्त्री हॉटस्टार के लिए कॉमेंट्री कर रहे थे। इस दरम्यान मैदान पर एकाध परिंदे दिखाई दिए, रवि शास्त्री ने कहा देखो मैदान पर कबूतर आ गया।
बहुत लोगों ने मान भी लिया होगा कि यह कबूतर है जबकि, यह पक्षी कबूतर नहीं है, इसे सीगल या सीगल्स कहा जाता है।
ऑस्ट्रेलिया के मैदानों पर मैच के दौरान इनका आ जाना आम बात है।
कई बार बल्लेबाजों के बल्ले से निकले शॉट की चपेट में आने से सीगल्स की मौत हो जाती है। तो आप लोग इसे कबूतर मत मानिए, कबूतर की अपेक्षा सीगल का आकार बड़ा होता है।
जो लोग प्रयागराज (इलाहाबाद) संगम तट पर गए हैं उन्होंने सीगल्स को देखा होगा। संगम तट पर थोड़ा सुबह जाइए तो वहां पर सीगल्स के झुंड के झुंड देखे जा सकते हैं।
ये वही सीगल्स हैं जिन्हें रवि शास्त्री कबूतर बता रहे थे, सागर और बड़े दरिया सीगल्स के निवास स्थान होते हैं।
ऐसे ही सुनील गावस्कर एक बार जतिन सप्रू के साथ कॉमेंट्री कर रहे थे, जतिन ने उनसे पूछा नकल बॉल क्या होती है?
इस सवाल के जवाब में गावस्कर इधर-उधर की बात करने लगे, उन्होंने जतिन सप्रू से कहा कि नकल बॉल उसी तरह की होती है जैसे किसी स्कूल में कोई बच्चा नकल करता है कुछ उसी टाइप की।
जबकि सच यह है कि नकल बॉल करते वक्त जहां हथेली से उंगलिया शुरू होती हैं उसके सहारे गेंद रिलीज की जाती है। इन उंगलियों के जोड़ को नकल कहा जाता है।
इसलिए जब इसके सहारे गेंद की जाती है तो उसे नकल बॉल कहते है। सुनील गावस्कर कितने बड़े क्रिकेटर और कॉमेन्टेटर हैं ये बताने की जरूरत नहीं है।
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