मल्हार मीडिया डेस्क।
आस्ट्रेलिया के खिलाफ सीरीज के निर्णायक मुकाबले में टीम इंडिया भले ही हार का सामना कर बैठी हो, लेकिन स्मृति मंधाना ने अपनी आतिशी पारी से करोड़ों भारतीयों की स्मृति में एक बार फिर अमिट छाप छोड़ दी।
दिल्ली के अरुण जेटली स्टेडियम में खेले गए इस हाई-स्कोरिंग मुकाबले में मंधाना ने महज 50 गेंदों में शतक जड़कर भारतीय क्रिकेट इतिहास का सबसे तेज शतक बना दिया।
टीम इंडिया को 413 रनों का विशाल लक्ष्य मिला था। जवाब में शुरुआती झटकों के बावजूद मंधाना ने अपनी पारी को किसी भी तरह धीमा नहीं होने दिया और कंगारू गेंदबाजों पर लगातार प्रहार करती रहीं। उन्होंने हर शाट में आत्मविश्वास और आक्रामकता का नमूना पेश किया।
प्रतीका रावल के जल्दी आउट होने के बाद भी मंधाना ने रनगति बनाए रखी। इसके बाद हरलीन का विकेट गिरा तो कप्तान हरमनप्रीत कौर ने भी अर्धशतक जमाकर संघर्ष जारी रखा, लेकिन अंत में टीम 369 रन तक ही पहुंच सकी और मुकाबला 43 रनों से गंवा दिया।
मंधाना ने जो उपलब्धि हासिल की, वह भारतीय क्रिकेट के इतिहास में एक नया अध्याय है। उनका यह शतक अब तक का सबसे तेज भारतीय शतक बन गया है।
पुरुष और महिला दोनों क्रिकेट को मिलाकर। उन्होंने विराट कोहली का रिकार्ड पीछे छोड़ दिया, जिन्होंने 2013 में आस्ट्रेलिया के विरुद्ध 52 गेंदों में शतक जड़ा था। इससे पहले वीरेंद्र सहवाग (60 गेंद) और मोहम्मद अजहरुद्दीन (62 गेंद) जैसे दिग्गजों के नाम यह उपलब्धि दर्ज थी।
यह शतक मंधाना के करियर का लगातार दूसरा शतक भी रहा। खास बात यह है कि उन्होंने 2024 में भी लगातार दो शतक लगाए थे और अब 2025 में भी यह कारनामा दोहराकर अपनी निरंतरता और क्लास साबित कर दी।
आस्ट्रेलिया जैसी मजबूत टीम के विरुद्ध यह मंधाना का चौथा शतक रहा। महिला वनडे क्रिकेट में इतने शतक आस्ट्रेलिया के खिलाफ बनाना किसी भी बल्लेबाज के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। उन्होंने एक बार फिर दिखा दिया कि विश्व की सबसे कठिन गेंदबाजी आक्रमण भी उनकी बल्लेबाजी के आगे टिक नहीं पाता।
इस शतक के साथ मंधाना के महिला वनडे क्रिकेट में कुल शतक की संख्या 13 हो गई है। अब वे आस्ट्रेलिया की महान बल्लेबाज मेग लैनिंग (15) और न्यूज़ीलैंड की सूजी बेट्स (13) के बराबर खड़ी हैं। लगातार दो साल 2024 और 2025 में चार-चार शतक ठोकने वाली मंधाना महिला वनडे क्रिकेट की चुनिंदा महान बल्लेबाजों की सूची में शामिल हो चुकी हैं।
टीम इंडिया भले ही 1-2 से सीरीज हार गई हो, लेकिन मंधाना की पारी ने दर्शकों को रोमांचित किया और क्रिकेट प्रेमियों को गर्व का अहसास कराया। उन्होंने साबित किया कि भारतीय क्रिकेट की ‘स्मृति’ केवल नाम भर नहीं, बल्कि हर मैच में उम्मीदों का दूसरा नाम है।
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