
ओम प्रकाश।
अच्छा, अब यह बकवास बंद कर दीजिए कि साउथ अफ्रीका की विमेंस क्रिकेट टीम 'कोटा सिस्टम' की वजह से वर्ल्ड कप फाइनल हार गई। जब साउथ अफ्रीका की क्रिकेट टीम में 'कोटा सिस्टम' नहीं था तो वह कभी सेमीफाइनल से आगे नहीं बढ़ पाई। दक्षिण अफ्रीका की क्रिकेट टीम में 'कोटा' 2016 में लागू हुआ. साउथ अफ्रीका में 'कोटा' हमारे आप के कहने से लागू नहीं हुआ,वहां पर इसकी जरूरत थी।
देश की टीम में मूल निवासी जो अश्वेत क्रिकेटर थे उनका प्रतिनिधित्व कम था। जब किसी नई चीज को लागू किया जाता है तो उसका कुछ समय के लिए नकारात्मक असर पड़ता है।
साउथ अफ्रीका के कई श्वेत क्रिकेटर्स का करियर चौपट हो गया। ऐसा कितनी बार हुआ जब काबिल खिलाड़ी को मैच की प्लेइंग इलेवन से बाहर बैठना पड़ा। पर याद रहे जब बात सबकी भागीदारी की होती है तो आहुति देनी पड़ती है, बदलाव बलिदान मांगता है ।
साउथ अफ्रीका की क्रिकेट टीम में 'कोटा सिस्टम' के लागू होने के बाद बहुत कुछ सुनने को मिला. लेकिन जब धीरे-धीरे चीजें सेटल हुईं तो रिजल्ट अच्छे आने लगे।
2023 से अब तक साउथ अफ्रीका की सीनियर महिला/पुरुष क्रिकेट टीम चार बार आईसीसी वर्ल्ड कप के फाइनल में पहुंच चुकी है । हां, खिताब नहीं जीत पाई यह बात अलग है ।
याद कीजिए अभी छह महीने भी नहीं बीते, जब साउथ अफ्रीका के श्वेत और अश्वेत क्रिकेटर्स ने आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का खिताब जीता था । आप कोटा सिस्टम को लेकर कुछ भी कहिए. साउथ अफ्रीका की टीम मिलजुल कर खेल रही है उसके नतीजे सामने हैं ।
अब विमेंस वर्ल्ड कप 2025 में साउथ अफ्रीका की खिलाड़ी की अपने देश के लिए परफॉर्मेंस देखिए. सबसे ज्यादा 571 रन लॉरा वुल्फार्ट श्वेत खिलाड़ी । सबसे ज्यादा 13 विकेट मलाबा अश्वेत खिलाड़ी. हां, यह जरूर है कि 'कोटा सिस्टम' लागू होने से साउथ अफ्रीका की क्रिकेट टीम में प्रतिस्पर्धा बढ़ गई है, जो टीम हित के लिए अच्छी बात है ।
लेखक वरिष्ठ खेल पत्रकार हैं
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