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अन्तरिक्ष परी को नमन

वामा            Feb 02, 2015


कुंवर समीर शाही कल्पना चावला एक ऐसा नाम है, जिसे सुन कर देश के हर शख्स का सिर गर्व से ऊंचा हो जाता है। कल्पना चावला ने न केवल यह साबित कर दिया कि महिलाएं किसी से कम नहीं है वहीं उन्होंने अंतरिक्ष में उड़ान भरकर भारत का नाम गौरवान्वित किया। कल्पना भारतीय अंतरिक्ष यात्री और अंतरिक्ष शटल मिशन विशेषज्ञ थीं। दुनिया के लिए 1 फरवरी 2003 की सुबह एक खबर लेकर आई जिसने सभी को दुखी कर दिया. इस दिन नासा का महत्वपूर्ण महत्वाकांक्षी स्पेस स्टल कोलंबिया पृथ्वी में वापस आते समय दुर्घटनाग्रस्त हो गया था जिसमें कल्पना चावला समेत सभी 6 अंतरिक्ष यात्रियों की मौत हो गई थी. भारतीय मूल की अंतरिक्ष यात्रि कल्पना चावला इस दुर्घटना में मारी जाने वाली एक अहम सदस्य थी. वे कोलंबिया अंतरिक्ष यान आपदा में मारे गए सात यात्री दल सदस्यों में थीं। 1 जुलाई 1961 को हरियाणा के करनाल में जन्म लेने वाली कल्पना चावला के पिता बनारसी लाल चावला आरै माता संजयोती थे। वह अपने परिवार के चार भाई बहनों मे सबसे छोटी थी। बचपन से ही कल्पना इंजीनियर बनना चाहती थी और उनकी इच्छा अंतरिक्ष में घूमने की भी थी। उन्होंने टेक्सास विश्वविद्यालय आर्लिंगटन से वैज्ञानिक अभियांत्रिकी में विज्ञान निष्णात की उपाधि प्राप्त की और एरोस्पेस इंजीनियरिंग में एम. ए. किया। 1988 से ही कल्पना चावला ने नासा के एम्स रिसर्च सेंटर में काम करना शुरू किया। 1995 में उनका चयन बतौर अंतरिक्ष-यात्री किया गया। कल्पना अंतरिक्ष में उड़ने वाली प्रथम भारत में जन्मी महिला थी जबकि भारतीय मूल की दूसरी व्यक्ति। उनके पहले राकेश शर्मा ने सोवियत अंतरिक्ष यान में उड़ान भरी थी। कल्पना ने विमानन लेखक जीन पियरे हैरीसन से शादी की थी। पहली अंतरिक्ष यात्रा कल्पना चावला की पहली अंतरिक्ष यात्रा एस. टी. एस.-87 कोलंबिया स्पेस शटल से संपन्न हुई। यह यात्रा इसकी अवधि 19 नवंबर 1997 से लेकर 5 दिसंबर, 1997 तक रही। कल्पना चावला की दूसरी और अंतिम उड़ान 16 जनवरी, 2003 को कोलंबिया स्पेस शटल से ही आरंभ हुई। यह 16 दिन का मिशन था। इस मिशन पर उन्होंने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर लगभग 80 परीक्षण और प्रयोग किए। वापसी के समय 1 फरवरी 2003, को शटल दुर्घटना ग्रस्त हो गई तथा कल्पना समेत 6 अंतरिक्ष यात्रियों की मृत्यु हो गई। कल्पना चावला को अगर अंतरिक्ष की परी कहा जाए तो गलत न होगा। हरियाणा को ही नहीं पूरे देश की इस बेटी पर गर्व है। कल्पना चावला आज अमर हो चुकी हैं. मरकर भी वह आज हजारों लड़कियों के लिए प्रेरणा का काम कर रही है. महिला सशक्तिकरण की राह में कल्पना चावला ने नई कहानी लिखी है. आशा है उनसे प्रेरित होकर कई लड़कियां अपने सपनों को नई उड़ान देंगी.


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