मंडला से दीपक ताम्रकार
आजादी के 70 सालों बाद भी अगर किसी महिला को उसकी योग्यता के आधार पर पाई गई नौकरी से बिना कोई कारण बताये हटा दिया जाये, वह भी एक पंचनामे के आधार पर तो इसे आप क्या कहेंगे। पंचनामा भी एक लडकी की झूठी शादी का वह भी उसके फुफेरे भाई के साथ जो कि पहले ही तीन बच्चों का बाप है। ये कारनामा भी एक महिला ने ही कर दिखाया सिर्फ नौकरी की खातिर।अगर आरोपों पर विश्वास किया जाये तो परियोजना अधिकारी की भूमिका भी इस मामले में संदिग्ध नजर आती है, जैसा कि सीएम हेल्पलाईन को लिखे गये आवेदन के आखिर से पहले पैरा में दर्शाया गया है।
मामला दरअसल यह है कि मंडला की मवई तहसील की ग्राम पंचायत सरसडोलि के बिलगाव में रहने वाली बिसाहिन पिता गुलाब सिंह गोड़ की 12 वीं परीक्षा पास करने के बाद अच्छे अंकों के साथ महिला बाल विकास विभाग में आँगन वाड़ी कार्यकर्ता के पद पर नियुक्ति हुई थी । लेकिन कुछ दिनों के बाद परियोजना अधिकारी ने बिना बताये उसे नौकरी से हटाकर दूसरी महिला को नियुक्त कर दिया। जब बिसाहीन ने मवई की परियोजना अधिकारी से कारण पूछा तो उन्होंने कुछ भी बताने से इन्कार कर दिया। बिसाहिन के अनुसार गांव के कुछ लोगों के साथ मिल कर उसके विवाहित होने का फर्जी पंचनामा बनवाया गया। जिसके आधार पर उसे आँगन वाड़ी कार्यकर्ता के पद से हटा कर दूसरे को रखा गया। पीड़ित लड़की बिसाहिन ने आरोप लगाया है कि बिना अविवाहित होने के बावजूद इन लोगों ने मुझे शादीशुदा बना दिया और जिससे मेरा नाम जोड़ा है वो मेरी बुआ का बेटा है यानी मेरा फुफेरा भाई जो 3 बच्चों का बाप है।
दस्तावेजों से प्राप्त जानकारी के अनुसार कुमारी बिसाहिन गौड की आंगनवाडी कार्यकर्ता की परीक्षा पास कर इस पोस्ट पर नियुक्ति हुई थी। सीएम हेल्पलाईन को बिसहिन द्वारा लिखे गये पत्र में बताया गया है कि परीक्षा में उसका चयन आठ आवेदकों की सूची में नवंबर 2014 में हुआ था। इसके आधार पर ग्राम भरवेटोला की मिनी आंगनवाडी केंद्र में नियुक्ति दी गई। मल्हार मीडिया को प्राप्त सूची में बिसाहिन का नाम सातवें नंबर और सुनीता आयाम का नाम आठवे नंबर पर यानी कि आखिरी है।
बिसाहिन ने इसी सुनीता आयाम पर आरोप लगाया है कि सुनीता ने उसकी शादी का झूठा पंचनामा बनवाकर और फर्जी दस्तावेज लगाकर नौकरी हासिल करने का आरोप लगाकर विभाग में पेश कर दिया जिसके आधार पर उसे नौकरी से हटाकर सुनीता आयाम को उसकी जगह पर नियुक्ति दे दी गई। सीएम हेल्पलाईन को लिखे पत्र में बिसाहिन ने परियोजना अधिकारी द्वारा पैसे मांगे जाने की भी बात कही है।
बिसाहिन का कहना है परीक्षा का फार्म भरते समय वैवाहिक स्थिति वाले कॉलम में उसने अविवहित भरा था क्योंकि उसकी शादी नहीं हुई है लेकिन सुनीता आयाम ने फर्जी पंचनामे के आधार पर उसकी दी गई जानकारी को गलत साबित कर उसे फर्जी करार दे दिया और परियोजना अधिकारी से मिलकर मुझे नौकरी से हटाकर अपनी नियुक्ति करवा ली।
बिसाहिन के आवेदन पर यकीन करें तो परियोजना अधिकारी ने उससे दान—दक्षिणा देने की बात कही थी। लेकिन जब उसने असमर्थता जताई तो उसे यह कहकर वहां से चलता कर दिया गया कि स्वर्ग में भी लक्ष्मी का ही राज है।
अंत में बिसाहिन ने सूचना के अधिकार के तहत जानकारी निकलवाई तो ये मामला सामने आया कि उसकी वैवाहिक स्थिति को आधार बनाकर उसे नौकरी से हटाया गया है।
बिसाहिन का कहना है कि बाल्यकाल में कोई सगाई जैसी रस्म हुई थी जिसे शादी नहीं माना जाता है। उसी को आधार बनाकर सुनीता ने पंचनाम बनाकर पर्यवेक्षक और गांव के लोगों से पंचनामा पर हस्ताक्षर करवा लिये।
अब पीडित महिला की परेशानी यह है कि एक तो उसकी नौकरी गई और दूसरे अविवाहित होते हुये भी पूरे समाज में उसे विवाहिता होने की बदनामी का सामना करना पड रहा है। इस संबंध में पीडिता ने सीएम हेल्पलाईन में भी शिकायत की थी जहां से अभी तक उसे कोई जवाब नहीं दिया गया है। पीड़ित लड़की ने मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से जांच और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की है।
वहीं महिला बाल विकास अधिकारी मवई की श्रीमति परवीन कुरैशी का कहना है की उसकी नियुक्ति नहीं हुई है और वह विवाहिता है।
बहरहाल इस पूरे मामले में सवाल यह उठता है कि अगर आपत्ति लगाई भी गई थी तो विभाग ने इस मामलेे बिसाहिन से जवाब तलब करने के बजाय एक पंचनामे के आधार पर उसे नौकरी से कैसे हटा दिया। वह भी जबकि पंचनामे पर अंगूठा लगाने वालों को शायद पता ही न हो कि उन्होंने किस कागज पर अपना अंगूठा लगा दिया।
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