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गैंगरेप पीडि़ता पर दोहरी मार, पवित्रता साबित करने झेलनी होगी शुद्धिकरण की तकलीफ

वामा            Apr 29, 2015


मल्हार मीडिया डेस्क हम जी रहे हैं 21वीं सदी में। जहां दम भरा जाता है आधुनिक विचारों और जीवनशैली का, लेकिन इसी सदी में इसी देश में एक कोने में एक जाति ऐसी भी है जो बलात्कार पीडि़ता के शुद्धिकरण की बात करती है। देवीपूजक समुदाय की इस शुद्धिकरण की प्रक्रिया में पीडि़ता के सिर पर दस किलो का पत्थर रखा जायेगा और इसे वह तभी हटा सकेगी जब देवी उसे पवित्र और सच साबित कर देंगी। आपको बताते चलें कि यही गैंगरेप पीडि़ता है जिसे पिछले दिनों गुजरात उच्च न्यायालय ने रेप के बाद गर्भ में आये बच्चे को गिराने से मना कर दिया था। गुजरात में गैंग रेप का शिकार हुई युवती को आने वाले दिनों में एक बड़ी लड़ाई से रूबरू होना है। पीडि़ता का आरोप है कि उसे अग़वा कर आठ महनों तक गैंगरेप किया गया। पिछले हफ़्ते कोर्ट ने बच्चा गिराने की उनकी याचिका ख़ारिज कर दी थी। दो बच्चों की ये मां अपने समुदाय में होने वाले एक रिवाज को लेकर सहमी हुई हैं। ये रिवाज है चोखा थावा नी विद्धि (शुद्धिकरण की प्रक्रिया)। इसके तहत उन्हें अपने समुदाय के सामने अपनी पवित्रता साबित करनी होगी ताकि उनका समाज उन्हें फिर से अपना सके। ये पीडि़ता गुजरात की देवीपूजक समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। ब्रितानी राज में इस समुदाय को आपराधिक आदिवासी समुदाय कऱार दिया गया था हालांकि आज़ादी के बाद ये सरकारी आदेश वापस ले लिया गया। जाति और धर्म को लेकर ये समुदाय बेहद संवेदनशील रहा है। समाज की पंचायत कई मामलों पर अपने फ़ैसले देती है और इसमें किसी ग़लती से लेकर बलात्कार तक के मामले होते हैं। शुद्धिकरण का ये रिवाज अब केवल गुजरात के कुछ गांवों में देवीपूजक समुदाय तक ही सीमित रह गया है। पीडि़ता ने अपने समुदाय में इस रिवाज से लड़कियों और अन्य महिलाओं को गुजरते हुए देखा है। पीडि़ता बताती हैं, जब बचे की जचगी हो जाएगी तो समाज के लोग इस रिवाज को अमल में लाने की तारीख़ तय करेंगे। सौ से दो सौ लोगों की भीड़ में वे देखेंगे कि जो मैं कह रही हूं वो सही है या नहीं। उन्होंने कहा, अगर मैं ग़लत हुई तो देवी उन्हें बता देंगी। कई रीतियों में से एक के दौरान 10 किलो का एक पत्थर मेरे सिर पर रख कर मुझे घंटों खड़ा रहने के लिए कह दिया जाएगा। वह कहती हैं, मैं वो पत्थर तभी हटा सकती हूं जब देवी उनसे मेरे सच बोलने के बारे में कहेंगी। और अगर मैं नाकाम रही तो वे मेरा बहिष्कार कर सकते हैं और मेरे परिवार को भी इसके नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। पीडि़ता के पति सूरत में ठेलागाड़ी चलाते हैं। वे कहते हैं, हम बचे को रखने के बारे में या उसे सरकार को देने के बारे में कोई फ़ैसला नहीं कर सकते। समाज का फैसला आखिरी होगा और ये सब कुछ शुद्धिकरण की प्रक्रिया के दौरान तय किया जाएगा।उन्होंने कहा, एक बार जब मेरी पत्नी को पवित्र घोषित कर दिया जाएगा, हम सामान्य जीवन जी सकेंगे और तब हमें किसी तरह के बहिष्कार का सामना नहीं करना होगा। वे कहते हैं, मुझे अपनी पत्नी की इस बात पर भरोसा है कि उन्हें अग़वा किया गया था और उनका बलात्कार किया गया था। उम्मीद है कि समाज के लोग भी उन पर भरोसा करेंगे।सरदार सिंह मोरी पीडि़ता के पारिवारिक दोस्त हैं और बलात्कार की शिकायत दर्ज करवाने में उन्होंने परिवार की मदद की। वे बताते हैं, उन्हें समाज के दूसरे लोगों के सामने साबित करना होगा कि बलात्कार उनकी मर्जी के ख़िलाफ़ हुआ था। इस प्रक्रिया में उन्हें खाना भी बनाना होगा और गले में जूतों की माला भी पहननी होगी।सरदार सिंह ने बताया कि ऐसा इम्तिहान केवल समाज की औरतों को देना होता है।उन्होंने कहा, जब भी किसी पति को अपनी पत्नी पर शक़ होता है या किसी बिनब्याही लड़की पर किसी से संबंध रखने के आरोप लगते हैं तो उस लड़की या महिला को उनकी ग़लतियों से मुक्त करने के लिए शुद्धिकरण की प्रक्रिया की जाती है। सरदार सिंह कहते हैं, पुरुषों के मामलों में भी उनके सच या झूठ को परखने के लिए समाज की पंचायत जांच करती है लेकिन शुद्धिकरण की कोई बात नहीं होती। ओधा भाई देवीपूजक इसी गांव के बुजुर्ग हैं। वे कहते हैं, तांत्रिक चुटकी भर जोवार के बीज लेगा और पीडि़ता से एक सवाल पूछेगा। जवाब देने के बाद पीडि़ता को बताना होगा कि बीजों की कुल संख्या सम है या विषम।उन्होंने बताया, अगर वो सही हुईं तो अगला सवाल पूछा जाएगा और ग़लत होने की सूरत में वही सवाल तब तक पूछा जाता रहेगा जब तक कि वो सही जवाब नहीं दे देती हैं। इसके बाद उन्हें जूतों की माला पहननी होगी और दस किलो का पत्थर अपने सिर पर रखना होगा। ओधा भाई कहते हैं, लेकिन अगर पीडि़ता इम्तिहान में पास नहीं हो पाती हैं तो देवी कहेंगी कि वो अशुद्ध हैं और इसके बाद उन्हें समाज से बहिष्कार का सामना करना पड़ सकता है। जाने-माने समाज विज्ञानी अयुत याग्निक कहते हैं कि देवीपूजक समुदाय अंधविश्वासों और टोने-टोटकों से ग्रसित है। अयुत बताते हैं, मैंने किसी ऐसे रिवाज के बारे में नहीं सुना है लेकिन इस समुदाय में ऐसी प्रथाएं हैं। देवीपूजक का मतलब देवी की उपासना करने वाले लोगों से है और इस समुदाय में अंधविश्वास व्याप्त हैं। input bbc


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