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छत्तीसगढ़ के पाठ्यक्रम में बताया जा रहा, बेरोजगारी का कारण कामकाजी महिलायें

वामा            Sep 23, 2015


मल्हार मीडिया ब्यूरो छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में शिक्षा पाठ्यक्रम में बेराजगारी का कारण कामकाजी महिलाओं को बताया जा रहा है। इस पाठ्यक्रम के अनुसार देश में बढ़ती बेरोजगारी की वजह कमाऊ महिलाओं को बताया जा रहा है। दसवीं क्लास की सामाजिक विज्ञान में यह पाठ पढ़ाया जा रहा है। इस तरह के पाठ्यक्रम से कई सवाल उठते हैं। क्या बेरोजगारी सिर्फ पुरूषों का मुद्दा है? क्या इस पाठ से महिला—पुरूषों की गैर बराबरी जाहिर नहीं होती। इस संबंध में छत्तीसगढ़ पाठ्यपुस्तक निगम के एमडी देवजी भाई पटेल ने कहा है कि यह आपत्तिजनक है इस पर कार्रवाई की जायेगी। छत्तीसगढ़ बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन की ओर से छपने वाली इस किताब में महिलाओं के कामकाजी होने को बढ़ती बेरोजगारी का दोषी बताया गया है। देश की आर्थिक समस्याएं और चुनौतियां वाले चैप्टर में यह कहा गया है कि आजादी के बाद देश में बेरोजगारी इसलिए बढ़ी, क्योंकि हर सेक्टर में महिलाओं ने काम करना शुरू कर दिया है। राज्य के जशपुर जिले की एक शिक्षिका ने राज्य सरकार का इस मुद्दे पर विरोध करते हुए पूछा है कि बच्चों को ऐसा कंटेंट क्यों पढ़ाया जा रहा है? 24 वर्षीय सौम्या गर्ग ने महिला आयोग में इस मुद्दे पर एक याचिका भी डाली है और कहा है कि इस देश में जितना अधिकार रोजगार पाने का पुरूषों को है, उतना ही महिलाओं को भी है। शिक्षिका का कहना है कि इस पाठ्यक्रम से देश के संविधान का उल्लंघन माना जाए क्योंकि देश का संविधान महिलाओं और पुरूषों को बराबरी का हक देता है।


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