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बुंदेलखंड में बेकाबू महिलाओं के खिलाफ अपराध के आंकड़े

वामा            Sep 04, 2015


छतरपुर से धीरज चतुर्वेदी मध्यप्रदेश की सरकार महिला सुरक्षा के लाख दावे करती हो पर हकीकत इसके ठीक उलट है। बुंदेलखंड के सागर संभाग के पांच जिलों में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराध के आंकडे भयावह होते जा रहे हैं। यहां हर डेढ घंटे में एक महिला अपराध की शिकार होती है इन अपराधों में रोजाना एक महिला के साथ बलात्कार जैसी घटनायें होती हैं। महिलाओं के साथ छेडखानी के मामले तो चौंकाने वाले हैं। यहां हर आठ घंटे में एक महिला छेडखानी का शिकार होती है। महिला सुरक्षा के दावों की पुलिस में दर्ज आंकडे पोल खोलते नजर आते हैं। नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो के आंकडों के अनुसार तो बुंदेलखंड में हालात बेकाबू हैं। सागर संभाग के पांच जिलों छतरपुर, सागर, टीकमगढ, पन्ना और दमोह में जनवरी 2015 से जून माह के बीच महिला से संबधित 2596 अपराध दर्ज हुये। सागर संभागीय मुख्यालय के जिले में तो छह माह में ही 950 महिलायें अलग—अलग अपराधों का शिकार हुईं। पन्ना जिले में स्थिति संतोषजनक रही जहां मात्र 214 अपराध पंजीबद्ध हुये। इसी तरह दमोह जिले में 374, टीकमगढ में 489 एंव छतरपुर जिले में 569 प्रकरण दर्ज हुये हैं। इन छह माह में कुल 181 दिन होते है जिनकी तुलना पंजीबद्ध 2596 अपराध से की जाये तो प्रतिदिन 15 अर्थात हर डेढ घंटे में महिलाओ से संबधित अपराध पुलिस थाने की चौखट तक पंहुचता है। बलात्कार, छेडखानी और अपहरण के मामले भी शर्मनाक कहानी बयां करते हैं। जून माह तक बीते छह माह में सागर संभाग में 177 बलात्कार के प्रकरण विभिन्न पुलिस थानो में दर्ज हुये। इनमे ंसबसे अधिक 69 सागर जिले में और सबसे कम 24 पन्ना जिले में पंजीबद्ध हुये। छतरपुर जिला भी जनसंख्यां के हिसाब से अपने चितंनीय आंकडे दर्शा रहा है। यहां 34, दमोह में 19 और टीकमगढ में 31 बलात्कार के मामले पुलिस थाने में दर्ज हुये। आंकडे गवाह बन रहे है कि सागर संभाग में महिलाओं के साथ छेडखानी की वारदाते आम होती जा रही है। यह ऐसा मामला है जिसमें आमतौर पर महिलाये सामाजिक इज्जत के कारण पुलिस तक नही पंहुचती। इसके बाद भी 552 मामलो का पुलिस रोजनामचो में दर्ज होना दर्शाता है कि हालात बेकाबू है। मनचलो पर पुलिस का कोई अंकुश नही बचा है या फिर छेडखानी के मामलो के प्रति पुलिस गंभीर नही है। सबसे अधिक छेडखानी के मामले सागर जिले में 223, छतरपुर में 130, टीकमगढ में 103, दमोह में 60 और पन्ना जिले में 36 अपराध दर्ज हुये। इसी तरह महिलाओ के अपहरण की घटनाये भी तेजी से बढती जा रही है। 181 दिनो में सागर में 102, छतरपुर में 59, टीकमगढ में 50, दमोह में 44 और पन्ना जिले में 34 महिलाओ के अपहरण संबधी अपराध पंजीबद्ध हुये। आंकडे बताते है कि हर डेढ दिन में एक महिला का अपहरण होता है। महिलाओं अपराध के आंकडों पर कोई भी सक्षम अधिकारी अपनी प्रतिक्रिया नहीं देना चाहता है। यह दलील अवश्य देते हैं कि मामला का दर्ज होना पुलिस की महिलाओ के प्रति संवेदनशीलता को दर्शाता है। सवाल यह भी है कि आखिर पुलिस इतनी संवेदनशील क्यों नही है महिला अपराधों में कमी आये। पुलिस कितनी संवेदनशील है इसका सबूत है नौगांव थाना के ग्राम मुडवारा की घटना । जहां दलितों द्वारा एक दलित महिला के साथ मारपीट कर उसे पेशाब पिला दी गई। अव्वल तो इस मामले की रिपोर्ट हंगामे के बाद लिखी गई। जब पुलिस अधिकारी छानबीन के लिये पहुंचे तो पूछताछ के समय उनके साथ कोई महिला पुलिसकर्मी या अधिकारी नहीं था। इतना ही नहीं फटे हुये कपडे पहने ही सरेआम लोगों के सामने उस महिला से पूछताछ की गई।


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