ये है 'जनक दीदी' की दुनियां जहां बनते हैं रद्दी से कंडे,सब्जियों से रंग,फलों से मिठाईयां

वामा            Sep 16, 2015


[caption id="attachment_2904" align="alignleft" width="150"]प्रकाश हिन्दुस्तानी प्रकाश हिन्दुस्तानी [/caption]डॉ. प्रकाश हिंदुसतानी वे इंदौर के पास सनावदिया गाँव में रहती हैं। अपने स्वर्गीय पति जिम्मी के नाम से सस्टेनेबल डेवलपमेंट कार्यक्रम संचालित करती हैं और पवन ऊर्जा से मोहल्ला जगमगाती हैं, सूरज की धूप सौर ऊर्जा से खाना पकाती हैं और फूलों, सब्जियों और फलों की अनोखी सुगंधों से परिचय कराती है। यहाँ अखबार, तेल और नमक के अलावा कोई चीज़ खरीदी नहीं जाती। अखबार की रद्दी से जलाने के कण्डे, पोई की भाजी, टमाटर और चुकंदर से रंग बनाये बनाये जाते हैं। तरह- तरह के फलों को सौर ऊर्जा से सुखाकर मिठाइयां बनती हैं। jagat-didi-01 ईश्वर खुद जनक पल्टा की परीक्षाएं लेता रहता है। करीब 50 साल पहले 15 की उम्र में, (जब ऑपरेशन का सक्सेस रेट बहुत कम था) हार्ट बायपास सर्जरी हुई, वे जीत गईं। फिर ब्रेस्ट कैंसर, सिक्सटी प्लस में चार-चार बार सर्जरी ! संघर्ष जारी था ही कि करीब 5 साल पहले पति के संग कार से जाते वक़्त खतरनाक एक्सीडेंट हुआ जिसमे उनके पति की जान चली गई। ...उन्होंने 15 की उम्र में बायपास सर्जरी के बाद ही मान लिया कि यह जीवन कुछ ख़ास करने के लिए दिया है। यह उम्र ईश्वर का दिया 'बोनस' है! jagat-didi वे बहाई धर्म की हैं. चंडीगढ़ के पंजाबी परिवार से हैं. रिसर्च कर रही थी कि 1985 में इंदौर आ गईं। यहाँ 26 साल बरली ग्रामीण विकास संस्थान की निदेशक रहीं, और इस दौरान 6000 ग्रामीण-आदिवासी लड़कियों को शिक्षा दी। जिस सौर ऊर्जा और पवन ऊर्जा की चर्चाएं सब तरफ हैं, जैविक खेती का प्रचार-प्रसार जोरों पर है, यह सब वे 30 साल से कर रही हैं। उनके शुभचिंतकों के प्रयासों से इंदौर में आर्गेनिक हाट 'जैविक सेतु' शुरू हुआ। इसमें आर्गेनिक खेती को प्रोत्साहन देने वाले अभियान चल रहे है। वे पद्मश्री से सम्मानित हैं!


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