मल्हार मीडिया ब्यूरो।
महिला स्व-सहायता समूह के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्रों की महिलाएं खुद का व्यवसाय प्रारंभ कर न केवल परिवार को आगे बढ़ाने में मदद कर रही हैं, बल्कि वे आत्मनिर्भर भी हो रही हैं।
रेहटी के ग्राम ढाबा की बबीता ने समूह से पांच हजार का लोन लेकर किराना दुकान से अपने व्यवसाय की शुरूआात की थी।
अब वे स्वयं की मारूति से वैन से अपने बेटे के साथ किराना, पापड़ बड़ी सहित अन्य सामान भरकर गांवों में बेचने जाती है। इससे उसे अच्छी खासी आमदनी होती है।
यही कहानी पास के गांव मरदानपुर की रहने वाली कविता की भी है। कविता दोना पत्तल बनाकर आसपास के गांवों से आर्डर लेती है। इससे उन्हें हर माह पांच से छह हजार का मुनाफा हो जाता है।
यह कहानी एक-दो महिलाओं की नहीं बल्कि 260 स्व सहायता समूह से जुड़ी तीन हजार महिलाओं की है।
यह महिलाएं जागृति महिला संस्थान रेहटी द्वारा बनाए गए समूहों से जुड़ती चली गई और अब आत्मनिर्भर बन गई हैं।
इन 260 समूहों की तीन हजार महिलाओं में से 310 महिलाओं ने अब व्हाटसएप ग्रुप भी बना लिया है और अब प्रतिदिन इस पर ही सभी अपनी डिमांड भेजती हैं और जो कुछ नया तैयार किया है उसे विक्रय करने के लिए फोटो भी शेयर करती हैं।
पांच साल पहले शुरू हुए इन समूहों के खातों में शुद्ध बचत एक करोड़ रूपए से अधिक जमा है।
महिलाओं के ये समूह 134 किराना दुकानें चला रहे हैं। दो साल पहले किराना बेचने का काम इन समूहों ने शुरू किया था।
खास बात यह है कि ये समूह आपसी लेनदेन भी करते हैं।
किसी समूह को किराना सामान की जरूरत है तो इन समूहों की महिलाएं बदले में उतनी कीमत के कपड़े या मनिहारी का सामान खरीद लेती हैं।
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