डॉ. प्रकाश हिंदुस्तानी।
जो काम आईआईएम जैसे संस्थान नहीं कर सके, करोड़ों का दान लेनेवाले नहीं कर सके, वह इन्दौर के एक साधारण से (लेकिन असाधारण) युवक ने कर दिखाया।
लोगों को रक्तदान के लिए प्रेरित करनेवाले अशोक नायक ने अपने उद्यम से देश का पहला निःशुल्क ब्लड कॉल सेंटर खड़ा कर दिया है। उनकी प्रेरणा और भारतीय रेड क्रॉस सोसायटी के सहयोग से वे अब तक देश भर में 3 लाख 50 हज़ार से ज्यादा जरूरतमंद लोगों को ब्लड उपलब्ध करवा चुके हैं।
उनके नेटवर्क में देश के 4 लाख 50 हज़ार से ज्यादा रजिस्टर्ड डोनर हैं। देश मे कहीं भी, किसी भी शहर में किसी को खून की ज़रूरत हो तो वे उपलब्ध करवा सकते हैं। वे हर दिन 50 से ज्यादा मरीजों को ब्लड उपलब्ध करा रहे हैं। दुःख की बात यह है कि मरीज के परिजन खुद रक्तदान करने नहीं चाहते और चाहते हैं कि कोई और आकर रक्तदान करे।
रक्तदान दिवस हर 14 जून को मनाया जाता है क्योंकि इसी दिन 1868 में इम्यूनोलॉजिस्ट कार्ल लैंडस्टीनर का जन्म हुआ था, जिन्होंने खोज की थी कि सब खून समान नहीं हैं। उन्होंने ही खून के ग्रुप के बारे में बताया था। उनके ही कारण एक इंसान के खून का दूसरे इंसान में ट्रांसफ्यूजन संभव हो सका।
अशोक नायक के प्रयासों से रक्तदान के क्षेत्र चेतना आई। उन्होंने रक्तदान के फायदे बताये कि रक्तदान से हृदय रोग का खतरा कम होता है। इससे कुछ प्रकार के कैंसर का खतरा कम हो सकता है, शरीर में आयरन की अधिकता से होने वाली समस्याओं से बचाव होता है और शरीर में नई कोशिकाओं के निर्माण के साथ ही वजन कम करने में मदद मिल सकती है।
रक्तदान करनेवाले को मानसिक रूप से अच्छा महसूस होता है। यह भाव जागता है कि आप किसी की जान बचा सकते हैं। 18 साल से बड़ा, 45 किलो से ज्यादा वज़नवाला कोई भी व्यक्ति रक्तदान कर सकता है।
एक यूनिट ब्लड से 3 लोगों की जान बच सकती है।
अशोक नायक के पिता टेलरिंग का कार्य करते थे। वे खुद भी कुछ अरसे तक यह कार्य कर चुके हैं।
अशोक नायक को इस कार्य में कई बाधाएं झेलनी पड़ीं। खून का कारोबार करनेवाले कुछ प्राइवेट अस्पतालवालों को अब भी उनसे परेशानी है। उनके खिलाफ षड्यंत्र भी होते रहे हैं। आरोपों की भी कमी नहीं है।
इतना बड़ा काम इस बात का भी सबूत है कि सोशल मीडिया के माध्यम से कितना रचनात्मक काम भी हो सकता है।
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