फिल्म समीक्षा:अति की अति मगर देखनीय है भारत

पेज-थ्री            Jun 05, 2019


डॉ. प्रकाश हिन्दुस्तानी।
सलमान खान की भारत में अति की भी अति कर दी गई है। इमोशन की अति, रोमांस की अति, देश प्रेम की अति, सांप्रदायिक सौहार्द्र की अति, स्लो मोशन की अति, एक्शन की अति, ट्रेजेडी की अति, फ्लैशबैक की अति, अति अति अति! लेकिन फिल्म परिवार एक साथ देखी जा सकती है।

फूहड़ फिल्म नहीं है। चुम्बन तो सलमान परदे पर देते नहीं हैं, इसमें उन्होंने फाइटिंग में शर्ट भी नहीं उतारी है।

कहते हैं कि यह एक कोरियन फिल्म ओड टू माय फ़ादर का अडॉप्शन है, कोरियन फिल्म में 1950 के का विभाजन था, इसमें 1947 का विभाजन है। दर्शकों को देखा कि उन्हें फिल्म पसंद आई। ईद के मौके पर एंटरटेनमेंट ठीक है। अधिकांश दर्शकों की आँखें फिल्म में भीगती हैं, कई की तो एकाधिक बार !

अच्छा हुआ कि प्रियंका चोपड़ा ने यह फिल्म छोड़ दी थी, कारण कोई भी रहा हो, सल्लू भाईजान के साथ कैटरीना की जोड़ी ही जमती है। इस फिल्म में एक प्रसंग में राष्ट्रगान भी है, अत: फिल्म के सीन में जब पूरा जन गण मन आये, तब खड़े ज़रूर हो जाएँ।

फिल्म के दृश्यों में अमिताभ बच्चन, शाहरुख़ खान और सचिन तेंडुलकर के अलावा पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहनसिंह को भी सुपरस्टार दिखाया गया है, जो कि भारत में नई आर्थिक नीतियों की शुरूआत करने के लिए पहचाने जाते हैं।

हीरो की बहन नेहरू जी की दीवानी है और किसी नेहरू टाइप शख्स से ही शादी करना चाहती है। आज के दौर में फिल्म में ऐसा दृश्य दिखाने के लिए विचार में दृढ़ता चाहिए।

इस फिल्म में इतनी कहानियां हैं कि उन सबको एक फिल्म में पिरोना अधूरा सा लगता है। 1947, 1950, 1964, 1985, 1990, 2010 की अलग-अलग कहानियां हैं। सलमान के बचपन, किशोरावस्था, जवानी, अधेड़पन और बुढ़ापे की।

हिंदी फिल्मों में हीरो बूढ़ा भी हो जाये तो जवान ही रहता है। सलमान ने फिल्म बनाई है तो कोई खुद को बुड्ढे के रूप में तो दिखायेगा नहीं। भारत और पाकिस्तान का विभाजन है, परिवार का बिछुड़ना है, परिवार के लिए हीरो का संघर्ष और मोहब्बत का बलिदान है, भाई बहन के रिश्ते की कोमलता है और पेट भरने का संघर्ष है।

भारत में बहन की शादी सदियों से भाई के लिए चुनौतीपूर्ण समस्या रही है, सो इस फिल्म में भी है। हीरो किराने की ऐसी दुकान चलाता है, जहाँ ग्राहक के अलावा सभी आते हैं और फिर अंत में बिल्डर की निगाह भी उस दुकान पर है, जो वहां बड़ा मॉल बनाना चाहता है और हीरो उसे खूब सबक सिखाता है तो बिल्डर हीरो को मारने के लिए गुंडे भेज देता है। अंत में मॉल के लिए दुकान टूटती है, पर हीरो की इच्छा के अनुसार ही।

फिल्म में 35 मिनट चलनेवाले 9 गाने हैं। सभी गानों के बोल चरपरे हैं। एक गाना है - आज की शाम लगे पिक्चर का सीन कोई ; मैं हीरो जैसा और तू हीरोइन कोई; स्टोरी कहाँ-कहाँ से, ओ घूम-घाम के, आ गई इमोशन मेंआजा, डूब जाऊँ तेरी आँखों के ओशन में, स्लो मोशन में। हिन्दी की शुद्धता और स्वच्छता की बात करने वाले राहुल देव की इस गाने पर प्रतिक्रिया का इंतज़ार है !

फिल्म में सलमान और कैटरीना के अलावा सुनील ग्रोवर की भूमिका लोगों ने पसंद की है। इसमें तब्बू, दिशा पटानी, सतीश कौशिक सोनाली कुलकर्णी, जैकी श्रॉफ,आसिफ़ शीक,नोरा फतेही, मानव विज, शशांक अरोरा, कश्मीरा ईरानी और वरुण धवन भी हैं। सलमान ने अधेड़ उम्र के हीरो का रोल किया है, और कैटरीना ने उनकी 'मैडम सर' का। फिल्म में दोनों की शादी नहीं होती और दोनों ही 'पवित्र लिव इन ' में रहते हैं।

छुट्टी के दिन परिवार के साथ कहीं जाना हो तो 'भारत' दर्शन कर सकते हैं।

 



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