मल्हार मीडिया ब्यूरो।
सुप्रीम कोर्ट के बिहार में एसआईआर को जारी रखने के निर्देश के बाद भाजपा ने विपक्ष पर हमला बोला है। राष्ट्रीय प्रवक्ता ने राजीव प्रताम रूडी ने कहा, रोएं नहीं, बस मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करें। बिहार की सारण लोकसभा सीट से सांसद रूडी ने कहा कि चुनाव आयोग ने बिहार में विधानसभा चुनाव से पहले विशेष गहन समीक्षा शुरू की है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि सिर्फ योग्य मतदाता ही अपने मताधिकार का प्रयोग करें। यह चुनाव आयोग का सांविधानिक अधिकार है।
रूडी ने कहा, विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। लेकिन, शीर्ष अदालत ने इस प्रक्रिया पर रोक नहीं लगाई। यह उन राजनीतिक दलों के लिए एक बड़ा झटका है जिन्होंने बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण के खिलाफ अभियान शुरू किया था। ये विपक्षी दल अब डर गए होंगे और उन्हें आगामी बिहार चुनावों में अपनी हार का आभास होने लगा होगा। उन्हें अपने मतदाताओं को लुभाने के लिए कड़ी मेहनत करनी चाहिए... बजाय इसके कि वे यह रोना रोएं कि उनके मतदाताओं को हटाया जा रहा है।
राजीव रंजन बोले- सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी विपक्ष के लिए करारा जवाब
बिहार में सत्तारूढ़ व राजग में सहयागी जदयू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राजीव रंजन ने कहा कि मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के खिलाफ कई याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी विपक्ष के लिए करारा जवाब है। इस प्रक्रिया को उत्साही प्रतिक्रिया मिल रही है और यह सुनवाई की अगली तारीख 28 जुलाई से पहले पूरी हो जाएगी। प्रसाद ने कहा, कल राहुल गांधी और तेजस्वी यादव समेत विपक्षी नेताओं ने एक तरह से सुप्रीम कोर्ट पर दबाव बनाने की कोशिश की। उन्हें करारा जवाब मिला है। जदयू ने आरोप लगाया कि विपक्ष चुनाव आयोग के अधिकार पर सवाल उठा रहा है, हालांकि संविधान में उसकी शक्तियों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है। किसी भी स्थिति में, विशेष गहन पुनरीक्षण को राज्य में उत्साहजनक प्रतिक्रिया मिल रही है और यह सुनवाई की अगली तारीख से बहुत पहले पूरा हो सकता है।
कांग्रेस बोली- लोकतंत्र के लिए राहत
वहीं, कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने सुप्रीम कोर्ट के निर्देश को लोकतंत्र के लिए राहत बताया है। उन्होंने कहा कि अब इस मामले की सुनवाई 28 जुलाई को होगी। सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में आधार, वोटर आईडी और राशन कार्ड को सत्यापन प्रक्रिया का हिस्सा बनाने की बात कही है। मुझे लगता है कि चुनाव आयोग सुप्रीम कोर्ट के इस सुझाव पर अमल करेगा। इसका इंतजार करते हैं।
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