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मामला इस रात की सुबह नहीं वाला तो छक्का-छक्का के सिस्टम में दिक्कत क्या है

राज्य            Jun 22, 2019


प्रकाश भटनागर।
तो मामला अब 'मेरे अपने' से आगे 'गैंग्स आॅफ वासेपुर ' वाला हो गया है। गोविंद राजपूत का बुंदेलखंडी गुस्सा चरम पर आ गया है। उन्होंने साफ फरमा दिया है कि चाहे जो हो, मुख्यमंत्री को उनकी बात सुनना पड़ेगी।

इधर, खबर है कि कमलनाथ खेमे के भाई लोग ज्योतिरादित्य सिंधिया गुट के मंत्रियों को निपटाने पर उतर आये हैं।

उत्तरप्रदेश का वह दरोगा तो याद होगा ही, जिसने अपराधियों का पीछा करते-करते मुंह से बंदूक के फायर की आवाज निकाली थी। ऐसा ही मध्यप्रदेश मंत्रिमंडल के दो गुट एक-दूसरे के लिए कर रहे हैं।

लिहाजा हालात कुछ विचित्र दिख रहे हैं। कुछ समय तक जनता के काम आचार संहिता के चलते नहीं हुए। अब मंत्रिमंडल में गिरोहबंदी की अनाचार संहिता के चलते कामकाज अटकना तय लग रहा है।

जनता की फिक्र तो किसी की पेशानी पर दिख नहीं रही। पेशानी पर नजर आते बलों में यही छपा हुआ है कि किस तरह फलाने मंत्री का आखेट कर दिया जाए। नाथ को मुख्यमंत्री घोषित करने के साथ ही राहुल गांधी ने ट्वीट किया था। लिखा था, 'धैर्य और समय सबसे बड़े योद्धा हैं।'

लगता है कि अब मध्यप्रदेश की सरकार से निराश आवाम को यही ट्वीट अपनी नीयति के रूप में स्वीकार लेना चाहिए। उसे धैर्य रखते हुए उस समय का इंतजार करना होगा, जब सरकार के नाम पर योद्धाओं में तब्दील इस व्यवस्था में सब-कुछ वैसा चलने लगे, जैसा सामान्य रूप में होना चाहिए।

अब क्या किया जाना चाहिए। जनता को तो काम चाहिए। इस लिहाज से एक प्रयोग किया जा सकता है। छह-छह महीने के लिए नाथ और इतनी ही अवधि के लिए सिंधिया को मुख्यमंत्री बना दिया जाए। अंटार्कटिका में छह महीने केवल दिन और बाकी छह महीने केवल रात रहती है।

प्रदेश का मंत्रिमंडल शीतयुद्ध में मग्न है। उनके विवाद की बर्फ पिघलती नहीं दिखती। मामला इस रात की सुबह नहीं वाला हो गया है। तो फिर छक्का-छक्का के सिस्टम में भला दिक्कत क्या है? हो सकता है कि ऐसा करने से ही अंधेरा छंटने और सुबह की रोशनी के दिखने का प्रबंध हो जाए।

एक सज्जन की सरकारी नौकरी लगी। योग्यता की बजाय किस्मत के चलते। दफ्तर पहुंचे। फाइल सामने आई। चपरासी बोला, इसे पुटअप कर दीजिए। लिहाजा उसने फाइल उठाई और अलमारी के ऊपर रख दी। फिर जो भी फाइल आती, वह ऐसा ही करता।

कुछ समय बाद दफ्तर में कोहराम मच गया। क्योंकि कई जरूरी कामों की फाइलें गुम थी। तलाश में सारी फाइल उसकी अलमारी के ऊपर मिलीं। पूछने पर उसने कहा, चपरासी ने कहा था पुटअप, तो मैंने उन्हें उठाकर ऊपर रख दिया।

नाथ मंत्रिमंडल में भी पुटअप ही चल रहा है। किसी को उठाकर ऊपर फेंकना है, इसके लिए दिमागी पुशअप की प्रक्रिया जोरों पर चल रही है। किसान परेशान है कि उसका कर्ज माफ नहीं हो रहा।
बाकी लोग नाराज हैं कि भारी गरमी के बीच बिजली की अघोषित कटौती से निजात नहीं मिल पा रही। ढेरों जन समस्याएं यहां-वहां कुंडली मारकर बैठी हैं।

इस सबसे सर्वथा अविचलित सरकार के नुमाइंदे एक-दूसरे की कुंडली में काल सर्प योग बिठाने का जतन करने में मशगूल हैं।

कमलनाथ जी और ज्योतिरादित्य सिंधिया जी, से निवेदन किया जाना चाहिए कि खत्म कीजिए यह झगड़ा। अपने-अपने स्वार्थ में लिपटे आपके गुटों के मंत्री घुन की तरह इस सरकार को चाटकर खत्म करने पर तुले हैं।

यूं तो गेहूं के साथ घुन पिसता है, लेकिन प्रदेश में आपके इन घुनों के साथ जनता की आशाओं और जरूरतों का गेहूं भी पिसने को मजबूर है। लोकसभा चुनाव में प्रदेश की जनता यूं भी विधानसभा चुनाव के नतीजों की अपनी गलती का प्रायश्चित कर चुकी है।

अब उसके इस भाव को गुस्से में तब्दील मत करो। वो करो, जिसकी प्रत्याशा में जनता ने आपको वोट दिया था। वो मत करो, जिसकी प्रत्याशा में आप दोनों के विधायक आप दोनों को आखिरकार कहीं का नहीं छोड़ेंगे।

 



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