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चीन को 15 लाख टन चीनी बेच सकता है भारत

बिजनस            Jun 01, 2018


मल्हार मीडिया ब्यूरो।

भारतीय चीनी मिलों के संगठन, इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष गौरव गोयल ने शुक्रवार को कहा कि भारत इस साल चीन को 15 लाख टन चीनी बेच सकता है। जाहिर है कि चीन दुनिया का सबसे बड़ा चीनी आयातक है।

भारत से यहां आए चीनी उद्योग के प्रतिनिधिमंडल में शामिल गोयल ने कहा, "चीन सालाना 40-50 लाख टन चीनी का आयात करता है। भारत ने चीन को पहले बहुत कम चीनी निर्यात किया है। वर्ष 2007 में भारत ने महज दो लाख टन चीनी चीन को निर्यात किया था। अब हमारा 15 लाख टन निर्यात का लक्ष्य है, जिसका मूल्य 35 करोड़ डॉलर होगा।"

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ अप्रैल में वुहान में हुई अनौपचारिक शिखर बैठक के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत से चीन को चीनी निर्यात के बारे में चर्चा की थी। चीन ज्यादातर ब्राजील और थाईलैंड से चीनी आयात करता है।

चीन और भारत के चीनी उद्योग व कारोबार क्षेत्र के प्रमुखों ने शुक्रवार को यहां एक संगोष्ठी में हिस्सा लिया।

गौरव गोयल ने कहा, "भारत के पास इस साल 70 लाख टन चीनी का आधिक्य भंडार है और अगले साल भी भंडार में इतना ही आधिक्य बना रहेगा। इसलिए भारत को चीनी निर्यात के लिए नये बाजार की तलाश है।"

उन्होंने कहा, "हम अफ्रीका से लेकर मध्यपूर्व को चीनी निर्यात करते हैं, मगर चीन के बाजार पर भारत की पकड़ कभी नहीं बन पाई।"

दुनिया के सबसे बड़े चीनी उपभोक्ता देश भारत में इस साल चीनी का उत्पादन तीन करोड़ टन से ज्यादा है।

इस्मा के महानिदेशक अविनाश वर्मा ने कहा, "भारत के प्रधानमंत्री जब यहां वुहान में थे तो उन्होंने शी के साथ बातचीत में भारत के तीन उत्पादों की चर्चा की थी, जिनमें एक चीनी भी है। उससे भी काफी प्रोत्साहन मिला है और भारतीय दूतावास व वाणिज्य मंत्रालय ने भी दिलचस्पी दिखाई है।"

गोयल ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय बाजार में चीनी के दाम की तुलना में भारतीय मिलों को घाटा उठाना पड़ रहा है, क्योंकि भारत में गóो का मूल्य ज्यादा है।

उन्होंने कहा कि हो सकता है कि भारत ऐसे देशों की श्रेणी में शामिल हो, जिनपर आयात शुल्क 50 फीसदी है। इससे घाटे में कटौती होगी।

उन्होंने कहा, "आयात शुल्क 90 फीसदी है। मगर कुछ देशों के लिए 50 फीसदी है। हमारा मानना है कि भारत ऐसे ही देशों की श्रेणी में होगा। इस प्रकार हमारा घाटा कम होगा और आयात शुल्क में अंतर को अपने चीनी समकक्ष के साथ साझा कर पाएंगे।"

भारतीय मीडिया के साथ बातचीत में गोयल ने कहा कि अगस्त तक करार होने की उम्मीद है और सितंबर के बाद चीन को चीनी का निर्यात शुरू हो सकता है।

चीन की ओर से मिली प्रतिक्रिया पर गोयल ने कहा, "प्रतिक्रिया बहुत ही सकारात्मक है, लेकिन थोड़ी शंका भी है, क्योंकि भारत ने वास्तव में हमेशा आपूर्ति नहीं की है।"

उन्होंने कहा, "एक बार भारत से आपूर्ति शुरू हो जाने पर वह भारत की चीनी को अन्य देशों से बेहतर पाएंगे।"



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