मल्हार मीडिया ब्यूरो।
विजय माल्या प्रकरण से सबक लेते हुये अब सरकार नया नियम लाने पर विचार कर रही है। इस नए नियम के तहत केंद्रीय जांच एजेंसियों और बैंकरों को ज्यादा अधिकार देने की योजना बना रही है, जिसके अंतर्गत अदालत की मंजूरी के बगैर आर्थिक अपराध के मामलों में संपत्तियां जब्त करने की अनुमति होगी। इस कदम से जांचकर्ता नियम का उल्लंघन करने वालों की संपत्तियां जांच के शुरुआती चरण में ही जब्त कर सकते हैं जबकि मौजूदा नियमों के तहत जांच पूरा करने में दो साल से भी ज्यादा वक्त लग जाता है, उसके बाद ही संपत्ति जब्त की जा सकती है। हालांकि आगे की कानूनी प्रक्रिया के लिए जांच एजेंसियों को संपत्ति जब्त करने के बारे में अदालत को सूचित करना होगा।
वर्तमान में संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया उस समय शुरू की जाती है जब केंद्रीय जांच एजेंसियां अपराध को साबित करने में सफल होती हैं। हालांकि ऐसा पूरी जांच होने के बाद ही संभव हो पाता है और इसके बाद भी केवल 180 दिनों तक ही अंतरिम तौर पर संपत्ति जब्त की जा सकती है। इसके लिए भी उन्हें अदालत के आदेश की जरूरत होती है और एक स्वतंत्र निर्णायक प्राधिकरण द्वारा इसकी पुष्टिï करानी होती है।
मामले से जुड़े एक सरकारी अधिकारी ने कहा, 'किसी के खिलाफ मामला दर्ज होने के बाद देश छोड़कर भाग जाने वालों पर कानूनी सख्ती की दिशा में सरकार द्वारा उठाया गया यह पहला कदम है।' अधिकारी ने कहा, 'संपत्ति जब्त करने की प्रक्रिया के दौरान ही अपराधी देश छोड़कर भाग जाते हैं और जांच एजेंसी के पास सिवाय कानूनी नोटिस, रेड कॉर्नर नोटिस और प्रत्यर्पण के प्रयास के अलावा और कोई विकल्प नहीं रहता है। हालांकि नए प्रावधान से सहूलियत होगी।'
ऐसे ही एक मामले में देश छोड़कर भागने वाले शख्स का उदाहरण देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने अपने बजट भाषण में कहा, 'सरकार विधायी बदलाव करने या नए कानून बनाने पर विचार कर रही है, ताकि ऐसे लोगों की देश में स्थित संपत्तियां जब्त की जा सके।' एक सरकारी अधिकारी ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया कि आर्थिक अपराध विभाग नए नियमों का खासा तैयार करने के लिए आयकर, प्रवर्तन निदेशालय और बैंकरों के साथ बातचीत कर रहा है।
सरकार भी उल्लंघनकर्ताओं को जांच में शामिल होने के लिए एक समयसीमा देने पर विचार कर रही है और समयसीमा के बाद उनकी घरेलू संपत्तियों को जब्त किया जा सकता है तथा रकम की वसूली के लिए उसकी नीलामी की जा सकती है। प्रस्तावित नए प्रावधानों के मुताबिक धनशोधन कानून, आयकर कानून और अपराध संहिता जैसे कुछ आर्थिक अपराधों को इसमें शामिल किया जा सकता है। दिवालिया संहिता का प्रावधान भी इसमें शामिल किया जा सकता है। सभी प्राधिकरणों और बैंकों को ऐसे उल्लंघनकर्ताओं की सूची मुहैया कराने को कहा गया है, जो जांच से भाग रहे हैं। चार्टर्ड अकाउंटेंट विनोद जैन ने कहा, 'जानबूझकर कर्ज नहीं चुकाने वालों और गड़बड़ी करने वालों पर सख्ती के लिए यह बहुत अच्छा कदम है।'
Comments