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ग्राउंड रिपोर्टिंग छिन्दवाड़ा इश्टाईल: कठिन डगर है कमलनाथ की

चुनाव            Nov 08, 2023


डॉ.प्रकाश हिंदुस्तानी।

◆ सीन 1

मैं मित्र के साथ उनके रिश्तेदार के यहां चाय पीने बैठा हूं। घर के सबसे बुजुर्ग बीमार हैं और वह कुछ देर पहले ही सोने गए हैं। तभी दरवाजे पर तीन-चार लोग आते हैं और मेजबान से कहते हैं कि हमें दादाजी से मिलना है!

मेज़बान कहते हैं कि वे अभी आराम कर रहे हैं। उनकी तबीयत ठीक नहीं है।

आगंतुक कहते हैं - "हमें उनसे अभी ही मिलना है।"

"ऐसा भी क्या जरूरी काम है? आराम करने दीजिए। बड़ी मुश्किल से तो सो पाए हैं।"

आगंतुक फरमाते हैं कि आप सही हैं लेकिन हमें अभी मिलना है, क्योंकि हमारे पास समय नहीं है। दरअसल हम उनका सम्मान करना चाहते हैं। वे हमारे वार्ड के एक वरिष्ठ वोटर हैं!"

"बाद में आ जाइए!"

"बाद में आना मुश्किल होगा क्योंकि हमें बहुत सारे लोगों का सम्मान करना है। हम कांग्रेस की तरफ से आए हैं और शाल ओढ़ाकर बुजुर्ग वोटरों का सम्मान कर रहे हैं।"

वे जिद करते हैं। बुजुर्ग का 'सम्मान करके' ही दम लेते हैं।

डर के आगे जीत और जीत के आगे चुनाव है!

मान ना मान, ले मेरा सम्मान !

◆ सीन 2

छिंदवाड़ा के स्थानीय पत्रकार से मिलने की तमन्ना थी। उन्हें फोन किया। वे आए और कहने लगे कि मुझे अभी जाना है क्योंकि शाम को कमलनाथ जी की दो नुक्कड़ सभाएं हैं । हमने कहा कि रुक जाओ भाई, हम भी चलते हैं। इतने बड़े नेता हैं और गली कूचे में सौ पचास लोगों के सामने लोकल सभाएं कर रहे हैं। सीन तो मजेदार होगा ही।

शाम 7 बजे वार्ड क्रमांक 7 की एक गली में हो रही नुक्कड़ सभा में हम भी गए। कुर्सियां लगी थी, जैसे शादी- ब्याह में लगती हैं। एक तरफ महिलाएं बैठी थी, दूसरी तरफ पुरुष। मंच पर जितने भी जगह थी, वहां केवल सोफे रखे थे और कमलनाथ के स्वागत भाषण चल रहे थे। बच्चे ज्यादातर कुर्सियों पर कब्जा जमाए थे। नारा लगा रहे थे जय जय कमलनाथ ! रास्ते में जगह- जगह महिलाएं हाथ में फूलमाला और फूल लिये खड़ी  थीं। कार्यकर्ताओं के गले में तिरंगे कपड़े थे।

एक जगह भंडारे जैसा खाना बन रहा था बड़े-बड़े भगोनों में। मैंने पूछा भाई किस देवता का भंडारा है? हम भी आ जाएं? प्रसाद है हम भी इसमें खा सकते हैं क्या उन्होंने कहा - जरूर! आज हमारे मुस्लिम कैलेंडर से 11 तारीख है और यहां हम खाना खिला रहे हैं तो आप भी आएं।

◆ सीन 3

कमलनाथ गली के मुहाने मंच तक कार से आते हैं। साढ़े तीन मिनट उनका भाषण होता है। सरकार पर लगे आरोप दोहराते हैं। इस दौरान वे सिंधिया की गद्दारी याद दिलाना नहीं भूलते।  मुझे पूरे प्रदेश में चुनाव प्रचार करना है। सभाएं करनी है। छिंदवाड़ा की बहुत उपेक्षा हुई। भाजपा की सरकार ने हमारी योजनाओं को रोक दिया। फंड अलॉट नहीं किया। जो हमने किया था, उसे रोक दिया। हम प्रदेश को आगे ले जाना चाहते हैं... सभा खत्म।

◆ सीन 4

छिंदवाड़ा के प्रमुख इलाके में बने एक होटल में प्रवेश करते हैं। रिसेप्शन एरिया में एक कपल आता है। पुरुष आगे निकल जाते हैं। महिला हमसे नमस्ते करती हैं। हम भी नमस्ते करते हैं । हम उनसे पूछते हैं कि आप क्या राजनीति में है? वे कहती हैं हां। मैं महिला विभाग की पदाधिकारी हूं।

यहां कैसे? कहती है कि मेरे पति पहले चुनाव लड़ चुके हैं। कांग्रेस के हैं और हम यहां कमलनाथ जी का प्रचार करने आए हैं।

◆ सीन 5

इंडियन कॉफी हाउस में मसाला डोसा खाने और कॉफी पीने के लिए बैठे थे। बिल का भुगतान हो चुका था। तभी केंद्रीय मंत्री और पड़ोसी जिले नरसिंहपुर से विधानसभा सीट से भाजपा प्रत्याशी प्रह्लाद पटेल अपने कुछ साथियों के साथ आते हैं। दुआ सलाम होती है। साथ बैठने का आग्रह करते हैं। आग्रह मान लेते हैं। प्रह्लाद पटेल के लिए बिना प्याज-लहसुन के सांभर वाला सादा डोसा, बिना शक्कर की कॉफ़ी आती है। हम लोग भी कॉफी पीते हैं। बड़े चैनल के रिपोर्टर उनके सामने माइक लेकर बैठते हैं। पूछते हैं इंडियन कॉफी हाउस में कब से आते हैं ? वे बताते हैं कि हमने राजनीति जबलपुर से शुरू की थी। जबलपुर का इंडियन कॉफी हाउस बहुत बड़ा है। वहां हम चार-चार घंटे बैठकर चुनाव लड़ने की योजनाएं बनाते थे। तब से काफी हाउस में रिश्ता है। कहते हैं कि उन्हें बहुत बड़े अंतर से जीतने की आशा है।

◆ सीन 6

छिंदवाड़ा के छत्रपति शिवाजी चौक के पास चायवाले इंजीनियर की दुकान। पोहे भी खाते हैं, चाय पीते हैं और चर्चा शुरू करते हैं कि भाई छिंदवाड़ा तो बहुत ही अच्छा शहर है। सड़कें बहुत अच्छी हैं और साफ सुथरा भी है। भीड़ में से एक नौजवान कहता है कि हां, सड़कें बहुत अच्छी है। ताकि यहां के बेरोजगारों को सड़क नापने में तकलीफ नहीं हो। काम धंधा तो कुछ है ही नहीं। जो उद्योग धंधे खुलते हैं, वे भी बंद हो जाते हैं।

◆ सीन 7

छिंदवाड़ा का राजीव गांधी भवन। कांग्रेस का स्थानीय मुख्यालय। सुबह दस बजे एकदम शून्य बटा सन्नाटा! में पूछता हूं कि भाई चुनाव के वक्त कितना सन्नाटा क्यों है? जवाब मिलता है चुनाव शहर में और मतदाताओं के बीच है, पार्टी कार्यालय में नहीं!

◆ सीन 8

शाम का समय मोबाइल ऐप पर खबर ब्लिंक होती है कि केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद पटेल के रोड शो में उनकी कार से उलटी दिशा में आ रहे मोटर बाइक सवार की टक्कर के बाद मृत्यु। तीन बच्चे घायल। प्रह्लाद पटेल को भी चोट लगी। प्रह्लाद पटेल वहां से रवाना हो गए हैं। यह लाइन खबर में नहीं थी कि पीड़ित परिवार से मिलने के लिए कांग्रेस और भाजपा कार्यकर्ताओं में होड़।

◆ सीन 9

छिंदवाड़ा में गांधी परिवार का बहुत सम्मान है। इंदिरा पथ है। इंदिरा मार्ग है। प्रियदर्शिनी मार्ग है। राजीव गांधी चौक है। राजीव मार्ग है। नेहरू मार्ग है। लेकिन कांग्रेस के कार्यालय के ठीक सामने एक बोर्ड लगा है लाड़ली बहना रोड।

सरकारी योजनाओं के प्रचार का कितना ब्रिलिएंट आइडिया है यह!

अगर सड़कों के नाम प्रधानमंत्री रोजगार योजना मार्ग, प्रधानमंत्री आवास योजना मार्ग, लाड़ली बहना मार्ग, लाड़ली लक्ष्मी मार्ग, मुफ्त अनाज मार्ग, श्रद्धानिधि मार्ग, किसान कल्याण योजना मार्ग आदि नाम रख दिए जाएं! पर इसमें खतरा है कि कहीं विपक्षी लोग मौका आने पर बलात्कार मार्ग, रेप स्ट्रीट, लूटमार पथ, रिश्वतखोर चौराहा,भ्रष्टाचार मंडी, व्यापम तिराहा, डंपर गली आदि नाम तो नहीं रख देंगे?

◆ क्लोजिंग सीन 10

एक स्थानीय छिंदवाड़ावासी से मैं पूछता हूं कि भाई छिंदवाड़ा का चुनाव परिणाम तो सभी को पता है। तो फिर काहे को इतनी मेहनत ?

जवाब : हां कमलनाथ की जीत तो तय है ही, लेकिन इस बार शायद उतने वोट से नहीं जीत पाएं जितना पिछली बार मुख्यमंत्री रहते हुए जीते थे। इस बार उनकी जीत कम वोटों से होने वाली है । इस बार छिंदवाड़ा की सभी सातों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी नहीं जीतने वाले हैं। जिले की दो सीट बीजेपी को मिलने की संभावना है।

"सरकार किसकी बनने की संभावना है?

"क्या तुमको पता है कि कमलनाथ की नरेंद्र मोदी और अमित शाह से सेटिंग हो गई है। उन्होंने कमलनाथ को कहा कि तुम मध्य प्रदेश के सीएम बन जाओ और लोकसभा की एमपी की सीटें हमारे लिए छोड़ दो।

मेरे मुंह से अचरज से निकलता है- औ तेरे की! इतनी बड़ी सेटिंग!! हम तो इसकी कल्पना भी नहीं कर सकते हैं भाई!

 

 


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