डॉ.वेदप्रताप वैदिक
भाजपा के महासचिव राम माधव ने अखंड भारत की बात क्या कह दी, कबूतरों के दड़बे में बिल्ली छोड़ दी। राम माधव ने साफ शब्दों में कहा है कि वे डंडे के जोर पर अखंड भारत की स्थापना नहीं करना चाहते हैं। यदि भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश स्वेच्छा से चाहें तो दोबारा एक हो जाएं। राम माधव के इस कथन के पीछे जो प्रेम और सहयोग की भावना है, हमें उसे समझना चाहिए लेकिन अनेक विरोधी नेता उन पर टूट पड़े हैं, वे भी एकदम गलत नहीं हैं, क्योंकि अखंड भारत का अर्थ पाकिस्तान में यह लिया जाता है कि भारत ने पाकिस्तान के अस्तित्व को ही स्वीकार नहीं किया है।
अखंड भारत का अर्थ है- पाकिस्तान का खात्मा! विदेश नीति में पाकिस्तान का खात्मा और गृह-नीति में हिंदू राष्ट्र की स्थापना याने मुसलमानों को निपटाने की तैयारी! अखंड भारत की यह धारणा अब बिल्कुल असंगत और निरर्थक हो गई है। जो खंडित भारत आजकल हमारे पास है, वह ही हम ठीक से नहीं संभाल पा रहे हैं तो पाकिस्तान और बांग्लादेश को जोड़कर कोई मूर्ख सरकार ही अपना सिरदर्द बढ़ाना चाहेगी। डंडे के जोर पर अमेरिका, क्यूबा को और चीन, लाओस जैसे छोटे-छोटे राष्ट्रों को ही हजम नहीं कर सकता तो पाकिस्तान और बांग्लादेश को हजम करने की बात करना तो शुद्ध पागलपन है। राम माधव ने ऐसी बात कही भी नहीं है। यह भाजपा का आज का सोच नहीं है।
वास्तव में बांग्लादेश बनने के पहले डॉ. राममनोहर लोहिया ने भारत-पाक महासंघ का नारा दिया था और विनोबा भावे ने एबीसी (अफगानिस्तान, भारत और सीलोन) का प्रस्ताव रखा था लेकिन उन्हीं दिनों याने अब से लगभग 50 साल पहले मैंने संपूर्ण आर्यावर्त (दक्षिण एशिया) को जोड़ने की बात चलाई थी। यूरोपीय संघ से भी बेहतर संगठन की कल्पना मैंने की थी, क्योंकि ये लगभग दर्जन भर देश हजारों वर्षों से एक परिवार की तरह रहते रहे हैं। इनमें युद्ध होते रहे हैं तो एक छत्र राज्य भी रहा है। सांस्कृतिक एकता तो इनमें आज भी है, चाहे वे किसी भी भाषा या मजहब को मानते हो। इसी सांस्कृतिक एकता को अगर हम आर्थिक और राजनीतिक सहयोग में भी ढाल सकें तो अखंड भारत नहीं, वृहत भारत का निर्माण हो सकता है। अभी अखंड भारत नहीं, अखंड भावना की जरुरत है। इसी अखंड भावना के आधार पर भारत के सारे पड़ोसी और पांचों मध्य एशियाई देशों को मिलाकर एक ऐसा महासंघ बनाया जा सकता है, जिसकी संसद, जिसका रुपया, जिसका बाजार, जिसका पारपत्र और वीजा और जिसका महासंघपति एक ही हो।
नया इंडिया
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