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अब भी दया की भीख मांग रहा याकूब मेमन!

खरी-खरी            Jul 22, 2015


prakash-hindustani01 डॉ.प्रकाश हिन्दुस्तानी 30 जुलाई को याकूब मेनन को फांसी की सजा मिलती है या नहीं, यह अभी तय नहीं है। याकूब मेनन और उनके वकील अभी भी कोशिश कर रहे है कि याकूब को फांसी न हो। याकूब मेमन की क्यूरेटिव याचिका भी खारिज कर दी गई है। क्यूरेटिव याचिका सुप्रीम कोर्ट की सजा के बाद और रिव्यू पिटीशन खारिज होने के बाद दाखिल की जाती है। क्यूरेटिव पिटीशन खारिज होने के बाद अब उसके वकील कोई नया रास्ता खोज रहे है। क्यूरेटिव पिटीशन की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट के कोर्ट रूम में नहीं, बल्कि चेम्बर में होती है। उस दौरान केवल जस्टिस ही मौजूद रहते हैं, कोई और व्यक्ति तब वहां मौजूद नहीं रह सकता। इस तरह याकूब मेनन की फांसी के हर आदेश पर मोहर लगती ही गई है। 1993 में हुए मुम्बई के बम धमाकों के संदर्भ में याकूब मेमन सहित दस लोगों को मौत की सजा सुनाई गई थी। याकूब के अलावा सभी की सजा को ताउम्र कैद की सजा बदल दिया गया है। इन्हीं बम धमाकों के मामले में अभिनेता संजय दत्त को भी 6 साल की जेल की सजा हुई है, जिन पर अवैध हथियार रखने और फिर उन्हें नष्ट करने की कोशिश का मामला साबित हुआ था। याकूब मेमन को मुम्बई की टाडा कोर्ट ने 27 जुलाई 2007 को मुम्बई बम कांड की आपराधिक साजिश के मामले में सजा-ए-मौत सुनाई थी। इसके बाद उसके वकील मुम्बई हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति के पास अपील कर चुके है, लेकिन याकूब को कहीं से भी राहत नहीं मिली है। अभी भी वह इस कोशिश में है कि किसी तरह फांसी की सजा उम्र कैद में बदल जाए। याकूब मेमन के वकीलों की दलील हर बार यही रही थी कि वह मुम्बई में हुए सीरियल बम धमाकों को अंजाम देने में शामिल नहीं था। जबकि सरकारी वकीलों का कहना था कि याकूब मेमन ही मुम्बई के सीरियल बम धमाकों को मास्टरमाइंड था। मुम्बई बम धमाकों का ही एक प्रमुख आरोपी टाइगर मेनन था। याकूब मेनन पेशे से चार्टर्ड अकाउंटेंट था और अपने भाई के गैरकानूनी धंधे का हिसाब रखता था। मुम्बई बम धमाकों के बाद याकूब मेनन नेपाल भाग गया था। नेपाल की पुलिस ने उसे काठमांडू से गिरफ्तार करके सीबीआई को सौंपा था। 12 मार्च 1993 को मुम्बई में 13 प्रमुख स्थानों पर भीषण बम धमाके हुए थे। इन बम धमाकोंं में आरडीएक्स का इस्तेमाल किया गया था। दूसरे विश्व युद्ध के बाद कहीं भी इतनी बड़ी मात्रा में बम विस्फोटकों में आरडीएक्स का इस्तेमाल नहीं हुआ था। यह बात इस लिए महत्वपूर्ण है कि विस्फोट के पीछे साजिश में शामिल लोगों की पहुंच और इरादे कितने खतरनाक थे। यह बम विस्फोट मुंबई में सभी प्रमुख स्थानों पर किए गए थे। ये प्रमुख स्थान बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज, कालबादेवी का हीरा बाजार, शिवसेना भवन, एयर इंडिया बिल्डिंग, जवेरी बाजार, सेंचुरी बाजार, मच्छीमार कॉलोनी माहिन, फाइव स्टार होटल सी-रॉक, प्लॉजा सिनेमा, फाइव स्टॉर जुहू सेन्टोर होटल, अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट के बाहर, होटल एयरपोर्ट सेन्टोर और पासपोर्ट कार्यालय वरली थे। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक इन बम विस्फोटों में 317 लोगों की जान तो तत्काल चली गई थी और करीब डेढ़ हजार लोग भीषण जख्मी हुए थे। बाद में इन जख्मी लोगों में से भी कई की मौत हो गई। जिस दिन मुम्बई में यह बम धमाके हुए उसी दिन न्यूयॉर्क के वल्र्ड ट्रेंड सेन्टर में भी धमाके किए गए। वल्र्ड ट्रेड सेन्टर न्यूयॉर्क के धमाके उसकी पार्किंग में हुए थे। इस कारण वहां कोई बड़ी जनहानि नहीं हुई थी। बाद में न्यूयॉर्क के वल्र्ड ट्रेड सेन्टर को यात्री विमान से टकराकर नष्ट कर दिया गया। इन घटनाओं के संदर्भ में देखें तो यह बात साफ होती है कि मुम्बई बम ब्लास्ट के आरोपियों के तार कहीं न कहीं दूसरे देशों से भी जुड़े हुए थे और उनका मकसद दुनिया के कई देशों में एक साथ आतंक फैलाना होगा। मुंबई में हुए अधिकांश बम धमाके कार या स्कूटर में लगाए गए थे। होटलों में विस्फोट करते वक्त सूटकेस बम कमरे में छोड़ दिए गए थे। सीबीआई जांच में यह बात साबित हुई थी कि यह विस्फोट पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की मदद से कराए गए थे। याकूब मेमन गिरफ्तारी के बाद हमेशा अपने आप को निर्दोष साबित करने की कोशिश करता रहा है। जेल में उसका आचरण काफी संतुलित रहा है। ओपन यूनिवर्सिटी से उसने अपनी पढ़ाई भी जारी रखी है। वह हर तरीके से इस कोशिश में है कि उसे किसी न किसी आधार पर बख्श दिया जाए, लेकिन पुलिस को जो सबूत मिले है उसके अनुसार उसका बचना संभव नहीं है, क्योंकि कानून का कड़ा शिकंजा उसकी गर्दन तक पहुंच गया है। याकूब को फांसी देने के जो प्रमुख कारण कानून की किताबों में है वो है:- - याकूब मेमन बम विस्फोटों के प्रमुख आरोपी टाइगर मेनन का छोटा भाई है और बम धमाकों के बाद वह अपने परिवार सहित भारत छोड़कर विदेश भाग गया था। - याकूब मेनन के संबंध दाऊद इब्राहिम से भी साबित हुए है, जिसने बम धमाकों के षड्यंत्र में प्रमुख भूमिका निभाई है। - बम धमाकों की साजिश को अंजाम तक पहुंचाने के लिए याकूब ने धन की व्यवस्था की। - याकूब मेनन ने आतंकियों को पाकिस्तान जाकर हथियार चलाने की ट्रेनिंग लेने के लिए टिकट की व्यवस्था भी की थी। - याकूब ने धमाके के लिए एक अपराधी को 85 ग्रेनेड लाकर दिए थे। - मुम्बई बम धमाकों में इस्तेमाल होने वाले 12 बम याकूब ने घर पर ही बनाए थे। - याकूब के घर से ही घटना वाले दिन विस्फोटक रवाना हुए थे। - याकूब मेनन को भारतीय एजेंसियों ने 1994 में गिरफ्तार कर लिया था, तब उसने धमाकों में अपनी भूमिका स्वीकार कर ली थी। उसने दावा किया था कि उसके साथी दाऊद, टाइगर और दूसरे आरोपी पाकिस्तान में है। याकूब को फांसी सुनाने वाले जस्टिस पी.डी. कोडे ने याकूब को फांसी की सजा देते वक्त कहा कि ऐसा कोई भी कारण नजर नहीं आ रहा, जिसके अनुसार याकूब की फांसी टाली जा सकें। कानूनन उसे फांसी मिलनी ही चाहिए। उसे फांसी हुई, तो लोगों का भरोसा कानून पर बढ़ेगा। मुम्बई बम विस्फोट मामले में 123 लोगों को अभियुक्त बनाया गया था, जिनमें से 12 को निचली अदालत ने मौत की सजा सुनाई थी और 20 लोगों को ताउम्र जेल का आदेश दिया था। 23 लोग निर्दोष मानकर छोड़ दिए गए और 68 लोगों को आजीवन कैद से कम की सजा सुनाई थी। अगर याकूब मेनन को फांसी की सजा होती है, तो निश्चित ही मुम्बई के लोगों को थोड़ी राहत महसूस होगी। blast-1993-001 मुंबई, दिनांक 12 मार्च 1993 ; वह काला शुक्रवार उस दिन भी शुक्रवार था। तारीख 12, महीना मार्च का और साल 1993. दोपहर करीब सवा बजे हमारे वीटी ऑफिस के सामने से एक के बाद एक, लगातार कई दमकलें सायरन बजाते हुए फ़्लोरा फाउंटेन की तरफ़ दौड़ी जा रही थीं। मैं अपने सहकर्मी पत्रकार सुमंत मिश्र के साथ भयपूर्ण उत्सुकता के साथ उस दिशा में पैदल ही लगभग दौड़ते हुए पहुंचा तो पाया कि स्टॉक एक्सचेंज में बहुत प्रभावशाली बम विस्फोट हुआ है। वहां खून ही खून और जख्मी लोगों और शवों को देख रिपोर्ट करने अपने अखबार नवभारत टाइम्स के दफ़्तर आए और अपने प्रधान सम्पादक श्री विश्वनाथ सचदेव को पूरा किस्सा बताने उनके केबिन में पहुंचे। हमें घबराया सा देखकर उन्होंने पहले तो बैठने का कहा और फिर पानी पिलवाने के बाद बताया कि और भी करीब दर्ज़न स्थानों पर बम धमाके हुए हैं और यह कोई बड़ी आतंकी साजिश है। तब मोबाइल व इंटरनेट का ऐसा वजूद था नहीं; न प्राइवेट न्यूज़ चैनल थे, न एफ़एम रेडियो। हम टेलीप्रिंटर कक्ष में बम धमाकों के समाचार देख देख कर उत्तेजना और डर महसूस कर रहे थे, क्योंकि तीन-चार महीने पहले भारी सांप्रदायिक उन्माद हम देख चुके थे। उधर टेलीप्रिंटर बम धमाकों खबरें उगलते जा रहे थे : *बॉम्बे स्टॉक एक्सचेंज - बम ब्लॉस्ट 13.30 बजे - 84 मृत * कालबादेवी - बम ब्लॉस्ट 14.15 बजे - 5 मृत * शिव सेना भवन - बम ब्लॉस्ट 14.30 बजे - 4 मृत * एयर इंडिया बिल्डिंग, नरीमन पॉइंट - बम ब्लॉस्ट 14.33 बजे - 20 मृत * मच्छीमार कॉलोनी, माहिम - बम ब्लॉस्ट 14.45 बजे - 3 मृत * वर्ली सेंचुरी बाज़ार - बम ब्लॉस्ट 14.45 बजे - 113 मृत * ज़वेरी बाज़ार - बम ब्लॉस्ट 15.00 पीयेम - 17 मृत * होटल सी रॉक (वर्तमान में होटल ताज लैंड्स एंड ), बांद्रा - बम ब्लॉस्ट 15.10 बजे - * प्लाज़ा सिनेमा , दादर - बम ब्लॉस्ट 15.15 बजे - 10 मृत * होटल जुहू सेंटोर (वर्तमान होटल ट्यूलिप स्टार) - बम ब्लॉस्ट 15.20 बजे - 3 जख्मी * सहार एयरपोर्ट के समीप - बम ब्लॉस्ट 15.30 बजे * होटल एयरपोर्ट सेंटोर (वर्तमान में होटल सहारा स्टार) - बम धमाका 15.40 बजे - 2 मृत * पासपोर्ट कार्यालय, वर्ली सरकारी आंकड़ों के मुताबिक बम ब्लॉस्ट में 317 जानें गईं और करीब 1400 लोग ज़ख़्मी हुए थे। करोड़ों की संपत्ति की क्षति भी हुई। षड्यंत्रकारी दहशतगर्दों ने मुंबई की हर उस जगह निशाना बनाया था, जिससे मुंबई की पहचान दुनियाभर में होती रही है। शेयर बाज़ार, पब्लिक ट्रांसपोर्ट केंद्र, भीड़भरे बाजार, प्रमुख होटल, एयरपोर्ट जैसी जगहें खास निशाने पर थीं. इसी दिन न्यूयॉर्क के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर पर भी बम ब्लॉस्ट किये गए थे, पर वहां कोई जनहानि नहीं हुई थी। अधिकांश बम कार या स्कूटर में लगाए गए थे । होटल में, सूटकेस बम कमरे में छोड़ दिया गया। यह करतूत पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई की थी और उसमें दाऊद इब्राहिम, टाइगर मेमन, अयूब मेमन और याकूब मेमन सहित उसके अंडरवर्ल्ड सहयोगियों ने मदद की थी। मुम्बईकर लोगों के ज़ज्बे को सलाम ! इस भीषण हमले के बाद मुंबई महानगरी फिर दुगुने जोश के साथ खड़ी है और जख़्मों के बावजूद दुनिया को अमन का पैगाम दे रही है। sanjay-dutt संजय दत्त ,बम ब्लॉस्ट , द डेली में बलजीत परमार की ब्रेकिंग न्यूज़ इन सीरियल बम ब्लॉस्ट में ही संजय दत्त को दोषी ठहराया गया और अवैध हथियार रखने के लिए 5 साल जेल की सजा सुनाई गई। संजय दत्त को कथित तौर पर दाऊद इब्राहिम के गिरोह द्वारा एके 56 और गोलियों की आपूर्ति की गई। कहा गया कि बम विस्फोट के बाद संभावित सांप्रदायिक दंगों के दौरान सुरक्षा के लिए संजय दत्त ने ये हथियार लिए थे। संजय दत्त के पास से कोई हथियार ज़ब्त नहीं हुआ था क्योंकि वह नष्ट किया जा चुका था। संजय को यह सजा उनके द्वारा कुबूलनामे के कारण हुई है। इस मामले में संजय दत्त की खबर सबसे पहले 'द डेली' अखबार के क्राइम रिपोर्टर बलजीत परमार ने ब्रेक की थी। 15 अप्रैल 1993 को जब यह खबर ब्रेक की गई तब देश भर में सनसनी फ़ैल गई। उस दिन संजय दत्त मॉरिशस में 'आतिश' फिल्म की शूटिंग कर रहे थे. उनके पिता अभिनेता सुनील दत्त संसद सदस्य थे और उन्होंने ही संजय को भारत आने के लिए कहा था। सहार एयरपोर्ट से बाहर आते ही संजय को पुलिस ने पूछताछ हिरासत में ले लिया था. अभी वे पुणे की यरवदा जेल में हैं।


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