- ममता यादव
किसानों की आत्महत्या से ग्रस्त विदर्भ के यवतमाल जिले के जालका गाँव के एक किसान की विधवा और आठ बच्चों की माँ हैं कलावती! कलावती उस समय सुर्खियों में आईं जब 2008 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी उसके घर पहुंचे और बाद में संसद में किसानों की आत्महत्या से जूझ रहे इलाके में गरीब किसान विधवाओं के लिए प्रतीक के तौर पर कलावती का उल्लेख किया। इस खबर ने उसे 'पोस्टर वुमन' बना दिया! इसके बाद सुलभ इंटरनेशनल ने उसे 36 लाख रुपए देने की घोषणा की! मुद्दा ये है कि राहुल गाँधी की कलावती और क्या कर रही है।

महाराष्ट्र के यवतमाल जिले की कलावती बांदुरकर अब भूमिहीन मजदूर नहीं रहीं! उसके पास भी अब ठेके पर ली गई छह एकड़ खेती है। अपने खेत में काम करती हुई अब वह मजदूरों की कमी की समस्या से जूझ रही है। वह इतनी खुद्दार भी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से नहीं मिलना चाहती! बात स्पष्ट करती है कि पहले नरेंद्र मोदी खेती-बाड़ी के लिए कुछ ठोस करें, तो मैं उनसे मिलना पसंद करूंगी! उन्होंने बड़े-बड़े वादे किए हैं, उन्हें पूरा करें! कलावती राहुल गांधी की चुनाव में पराजय को उनकी अलोकप्रियता से अलग करके देखती है।
वह मोदी से मिलने की किसी इच्छा से इंकार करते हुए राहुल गांधी की प्रशंसा करती हैं कि उन्होंने गरीबों के लिए बहुत किया! उनकी सरकार ने किसानों की कर्ज़माफ़ी से कई औरतों को विधवा होने से बचाया है। राहुल और कांग्रेस की हार पर अफ़सोस जाहिर करते हुए कहती हैं कि पहले बीपीएल कार्ड पर 20 किलो राशन मिलता था, अब मोदी के राज में 12-13 किलो मिलता है।
2013 में नरेंद्र मोदी ने फ़िक्की के एक आयोजन में कलावती का मज़ाक उड़ाते हुए कहा था कि गुजरात में जस्सू बेन जैसी आदिवासी स्त्री हैं, जिनका लिज्जत पापड़
आज ब्रांड है, वह कलावती की तरह नहीं हैं। ठेके पर लिए गए अपने कपास के खेत में काम करती हुईं कलावती नरेंद्र मोदी की तरह उनका मज़ाक तो नहीं उड़ाती, लेकिन किसानों के लिए किए गए अपने वादे पूरे करने के लिए उन्हें ललकारती हैं। राहुल गांधी और उनकी सरकार ने गरीबों के लिए काफ़ी काम किए हैं, योजनाएं चलाई हैं, मोदी भी किसानों के लिए कुछ ठोस करें।
कौन है कलावती
किसानों की आत्महत्या से ग्रस्त विदर्भ के यवतमाल जिले के जालका गाँव के एक किसान की विधवा और आठ बच्चों की माँ हैं कलावती! उनके दो बच्चे पहले ही नहीं रहे! कलावाती उस समय सुर्खियों में आईं जब 2008 में कांग्रेस नेता राहुल गांधी उसके घर पहुंचे और बाद में संसद में किसानों की आत्महत्या से जूझ रहे इलाके में गरीब किसान विधवाओं के लिए प्रतीक के तौर पर कलावती का उल्लेख किया। इस उल्लेख ने उसे 'पोस्टर वुमन' बना दिया! इसके बाद सुलभ इंटरनेशनल ने उसे 36 लाख रुपए देने की घोषणा की और पहली किश्त के तौर पर 6 लाख रुपए का भुगतान भी किया। बाद में 30 लाख रुपए उनके नाम से बैंक में जमा करवा दिए। उन्हें दूसरी सरकारी सहायता भी महाराष्ट्र सरकार की तरफ से उपलब्ध कराई गई।
पिछले 7 सालों में कलावती कलावती का घर सुर्ख़ियों में आने के बाद और सरकारी-गैरसरकारी सुविधाएं मिलने के बाद भी कलावती का दास्तान अंतहीन दुःख और उससे उबरने के संघर्ष का दास्तान है! एक ओर तो सुलभ इंटरनेशनल से मिले पैसों के ब्याज से उसके घर का मासिक खर्च पहले की तुलना में ज्यादा आसान हो गया तो दूसरी ओर उनके दामाद के बाद एक–एक कर दो बेटियाँ की मौत हो गई।
विधवा बेटी के बच्चे और अपने बच्चों की परवरिश भी उनके जिम्मे हैं। वे कहती है कि अभी एक बेटी की शादी में तीन लाख रुपये खर्च हुए, जिसमें से डेढ़ लाख रुपये लड़के वालों ने लिए। अब लड़का मेरी बेटी को मारने–पीटने लगा तो वह मेरे घर वापस आ गई! इस बीच उनका घर झोपड़ी से ईटों के छोटे से घर में तब्दील हो गया है। ठेके पर छह एकड़ खेत भी ले ली है। नियमित आमदनी के ये स्रोत हालांकि उनके बच्चों की परवरिश को सुविधाजनक बनाते हैं लेकिन 10वीं और 12वीं में पढ़ रहे अपने बेटों के खर्चों को चलाने में खुद को असमर्थ बताते हुए वह कांग्रेस के नेताओं की वादाख़िलाफ़ी को कोसने लगती हैं।
कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष माणिक राव ठाकरे ने कहा था कि वे बच्चों को गोद ले लेंगे यानी दो बच्चों की पढ़ाई का खर्चा देंगे! नेताओं के कहने से मेरे घर पर बिजली का मीटर लग गया और ठाकरे ने कहा था कि 20 साल तक बिजली का बिल नहीं आएगा! लेकिन, बिजली का बिल भी मैं दे रही हूँ और बच्चों की पढाई भी जैसे–तैसे करवा रही हूँ!
राजनीति की डगर
2009 में कलावती के चुनाव लड़ने की घोषणा ने कांग्रेस के खेमे में हडकंप पैदा कर दिया था! कलावती कहती हैं कि वह सब एक धोखा था! मुझे विदर्भ जनांदोलन समिति के नेता किशोर तिवारी के घर पर किसानों और किसान विधवाओं की हालात पर सवाल किए गए थे, जिसपर मैंने कहा था कि उनकी स्थिति बुरी है, किसी एक कलावती की मदद से सभी किसान–महिलाओं की समस्या का समाधान नहीं हो जाता। इसके बाद मुझ से चुनाव संबंधी बात धोखे से कहवा ली गई! तिवारी का कहना था कि उनके साथ किए गए वायदे जब पूरे नहीं हो रहे थे तो उन्हें न्याय दिलाने के लिए चुनाव में खड़े होने की घोषणा की गई थी। कलावती के अनुसार वह उन दिनों काफ़ी परेशान रहीं। 2011 में कलावती को भाजपा के लोगों ने भाजपा नेता लालकृष्ण आडवानी के मंच पर लाने की कोशिश की थी! उसी समय 24 साल की अपनी बेटी की मौत से दुखी कलावती इससे बचने के लिए घर से गायब हो गई थीं!
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