शशांक द्विवेदी
गुजरात में पटेल समुदाय ओबीसी आरक्षण मांग को लेकर सड़क पर है ,हार्दिक पटेल के नेतृत्व में की गई महारैली के बाद इस आन्दोलन की चिंगारी पूरे गुजरात में फ़ैल गई है । राज्य में कई जगह आन्दोलन हिंसक भी हुआ ,सैकड़ो सरकारी बसें और संपत्ति जला दी गई ,कुछ जगहों पर कर्फ्यू भी लगा और अहमदाबाद सहित कुछ जगहों पर इंटरनेट की सेवा भी बंद की गई ।
यह सब उस राज्य में हो रहा है जहाँ के विकास मॉडल की दलीलें पूरी दुनियाँ में दी जाती थी लेकिन आज वहाँ राजनैतिक और आर्थिक रूप से सबसे ताकतवर जाति “पटेल “ आरक्षण पाने के सड़कों पर है और इसे पाने के लिए वो किसी भी हद तक जाने को तैयार भी दिख रहें है । पटेलों में इस असंतोष की वजह चाहे कुछ भी हो लेकिन आरक्षण का मुद्दा एक बार फिर सतह पर आ गया । गुर्जरों ,जाटों के बाद अब पटेल मैदान में है ।
पटेल आंदोलन के अगवा युवा हार्दिक पटेल के अनुसार पटेल उम्मीदवार को 90 प्रतिशत अंक प्राप्त करने पर भी एमबीबीएस में दाखिला नहीं मिलता वहीँ आरक्षण प्राप्त उम्मीदवार को केवल 40 -45 प्रतिशत अंक लेने पर दाखिला मिल जाता है। पटेल युवाओं के मन में भेद भाव और बेइंसाफी के कारण पैदा हो रही कुंठा और पीड़ा का कुछ हद तक सही चित्रण करता है।
हार्दिक पटेल का यह बयान काफी मायने रखता है कि “या तो देश भर में आरक्षण पूरी तरह से ख़त्म करके सबको बराबर कर दो या फिर हमें आरक्षण दो। ”कुलमिलाकर देश में आरक्षण व्यवस्था के प्रति उपजी उनकी और उनके समाज की नाराजगी सबके सामने है क्योकि उन्होंने जान लिया है कि आरक्षण आज के समय में सिर्फ एक राजनैतिक हथियार है जिसे जन बल के दबाव में आसानी से लिया जा सकता है ।
देश के कई हिस्सों में हो रहे आरक्षण के आन्दोलन साफ़ संकेत दे रहें है कि आगे आने वाले समय में अगर आरक्षण की समीक्षा ठीक ढंग से नहीं की गई तो यह समस्या बहुत विकराल रूप धारण कर सकती है । इस देश की एकता को सिर्फ “आरक्षण की व्यवस्था ही चोट पहुंचा सकती है या यह कह सकते है कि चोट पहुंचा रही है ।
शशांक द्विवेदी के फेसबुक वॉल से
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