अयोध्या से कामिनी शाही
आधुनिकता की चकाचौंध में खोए किशोरों में आपराधिक मनोवृत्ति बढ़ रही है। कम उम्र में अधिक पाने की चाहत में वे ऐसे कारनामों को अंजाम दे रहे हैं जिससे कोई भी सन्न रह जाए। ऐश-ओ आराम की जिंदगी जीने के लिए किशोर अपराध की ओर बढ़ने से भी परहेज नहीं कर रहे हैं। कुछ ऐसा ही नए साल के पहले दिन अयोध्या में हुई घटना में भी दिखा। कांवेंट के तीन छात्रों ने बुधवार शाम एक मासूम का अपहरण कर पांच लाख की फिरौती मांगी और न मिलने पर बच्चे पर चाकू, कैंची और ब्लेड से वार कर मरणासन्न कर दिया। नाबालिगों की इस हैवानियत ने लोगों को स्तब्ध कर दिया। वारदात में शामिल तीनों नाबालिगों ने अपनी उम्र से अधिक का कारनामा कर पुलिस तक को परेशान कर रखा। मासूम हर्ष के साथ हुई इस वारदात सभ्य समाज से हैरान है। वह भविष्य और किशोरों की प्रवृत्ति को लेकर चिंतन कर रहा है। मनोवैज्ञानिक मानते हैं कि भोगवादी संस्कृति से किशोरों में बदलाव आ रहा है। घटना की पृष्ठभूमि चाहे कुछ भी रही हो लेकिन किशोरों में किसी भी तरह से धन कमाने की इच्छा और इसके लिए किसी भी हद तक जाने का जुनून इसका अहम कारण माना जा रहा है। बड़ा सवाल ये है कि आखिर इतनी कम उम्र में किशोरों को जल्द से जल्द अधिक धन कमाने का यह गलत रास्ता क्यों सूझा। तो हम पाएंगे कि हमारे ही आसपास के कुछ संपन्न लोगों ने अपने पाल्यों को वो सारे संसाधन उपलब्ध करा दिए हैं जिन्हें मध्यम या गरीब वर्ग का व्यक्ति सोच भी नहीं सकता। ऐसे में जब किशोर अपने साथियों के पास गैजेट्स और ऐश-ओ आराम के साधन देखता है तो वो भी उसे किसी भी कीमत पर पाने की ठान लेता है और आपराधिक डगर की ओर बढ़ जाता है। अब अगर परिवार व समाज के लोग समय रहते सचेत हो जाएं और बच्चों पर नजर रखें तो शायद ऐसी घटनाओं पर अंकुश लग सके। इसलिए सभी को मिलकर कुछ ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे भटके हुए किशोरों को सही रास्ते पर ला सकें।
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