वसातुल्लाह खान
डरो उस समय से जब राजनीति नाक का मसला हो जाए और नाक बचाने के लिए गाली-गलौज, कोसने और बददुआओं तक बात आ जाए। वोटरों को डराया जाए कि हमें ना जिताया तो भऊ आ जाएगा और तुम्हें काट खाएगा और सोते-जागते में सपने डसने लगें कि कहीं ना कहीं, कोई ना कोई मेरे ख़िलाफ़ साज़िश रच रहा है। अगर मैं हार गया तो स्पष्ट हो जाएगा कि यही वो साज़िश थी जो मेरे विरोधियों और मतदाताओं ने मिलकर रची।
यह पृष्ठभूमि इसलिए मुझे आपके सामने रखनी पड़ रही है क्योंकि हमारे खान साहब इमरान खान ने देश के सबसे बड़े दो सूबों पंजाब और सिंध में 2013 के आम चुनाव से लेकर पिछले महीने के लाहौर उपचुनाव और अब नगरपालिकाओं के चुनाव तक हर मौके पर अपने भाषणों, धरनों और प्रेस कांफ्रेसों में ऐसा यक़ीन दिलाया कि बस अब तहरीक-ए-इंसाफ़ की सुनामी सब कुछ बहाकर ले जाएगी। और अगर हम हार गए तो पाकिस्तान कहीं का नहीं रहेगा। नवाज़ शरीफ़ और ज़रदारी जैसे 'भ्रष्टाचारी' देश को नोचकर खा जाएंगे।

मगर हर बार ख़ान साहब की पार्टी नंबर दो रही और ख़ान साहब के मिजाज़ पहले नंबर पर। दो दिन पहले पंजाब और सिंध में नगरपालिकाओं के पहले चरण में जब बीस ज़िलों के नतीजे आए तो मियां नवाज़ शरीफ़ की मुस्लिम लीग ने हज़ार सिटें जीतीं तो तहरीक-ए-इंसाफ़ ने डेढ़ सौ।
यही हाल सिंध में भी हुआ और ज़रदारी की पीपुल्स पार्टी फिर छा गई। मगर वो ख़ान साहब ही क्या जो हार मान लें? अब कह रहे हैं कि हम पता लगाएंगे कि धांधली के लिए विरोधियों ने क्या-क्या नए तरीक़े इस्तेमाल किए।
और अगले चुनाव में हम अपने दुश्मनों को तहस-नहस करके रख देंगे। वो जो कहते हैं कि ख़रबूजा से ख़रबूजा रंग पकड़ता है तो इसी प्रकार मुझे सीमापार की बीजेपी भी अपनी तहरीक-ए-इंसाफ जैसी दिखने लगी है।

जिस तरह खैबर-पख़्तूनख़्वा में सरकार बनाने के बावजूद इमरान ख़ान ये सोचकर हल्कान हो रहे हैं कि पंजाब ना जीता तो क्या जीता...उसी तरह बीजेपी सोच में पड़ी हुई है कि बिहार ना जीता तो केंद्र में रहने का भी क्या फ़ायदा...इस हिसाब से मुझे तो अब बिहार के नीतीश कुमार भी पंजाब के मुख्यमंत्री शहबाज़ शरीफ जैसे लगने लगे हैं और लालू जी में ज़रदारी की छवि साफ़ नज़र आ रही है।
अमित शाह की बीजेपी बिल्कुल इमरान ख़ान की तहरीक-ए-इंसाफ़ की तरह दहाड़ रही है। हमें वोट नहीं दोगे तो बिहार अंधेरे में डूब जाएगा। पाकिस्तान में पटाखे फूटेंगे। ऐ बिहारियों पीछे मुड़कर देखा तो पत्थर के हो जाओगे। लेकिन जिस तरह पंजाब और सिंधवासी इमरान ख़ान का नया पाकिस्तान ख़रीदने को तैयार नहीं, उसी तरह क्या बिहारवासी भी अच्छे दिनों से भागते नज़र आ रहे हैं? अगर ऐसा ही है, फिर तो बिहार के चुनाव नतीजों पर पाकिस्तान में पटाखे फूटे ही फूटे !
बीबीसी ब्लॉग से साभार
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